Joshi Bhaddri jaati reservation : सामाजिक न्याय देने के लिए आरक्षण व्यवस्था की शुरुआत हुई है। सवाल उठता है कि कई ऐसी जातियां हैं जो आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद पिछड़े हैं। उन्हें क्या ओबीसी में आरक्षण मिल पाया है। इन जातियों में से जोशी भड्डरी जाति भी है। यह जाति उत्तर प्रदेश और केंद्र में पिछड़ा वर्ग में शामिल होने के लिए कई वर्षों से लगातार अपनी मांग सरकार के सामने रखती आ रही है। वहीं आपको बता दें कि इस जाति को कई राज्यों में ओबीसी श्रेणी में आरक्षण प्राप्त है।
उत्तर प्रदेश का जोशी भड्डरी, डाकोत समाज पिछले कई साल से पिछले वर्ग में सम्मिलित करने की अपनी मांग रखती आई है। आपको बता दे कि सन 2018 से लेकर 2024 तक कई बार लखनऊ के इको गार्डन में अपनी मांग के लिए धरना प्रदर्शन भी किया था।
केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की पिछड़ा वर्ग सूची में इस जाति को शामिल करने की मांग लगातार जोशी भड्डरी महासभा की ओर से उठती रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन विमुक्त घुमंतू व अर्ध घुमंतू जनजाति आयोग 2015 द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी का नाम इदाते कमीशन था। इदाते कमीशन की रिपोर्ट 2017 में आई। इस रिपोर्ट में जोशी भड्डरी, भडरी जाति का नाम भी शामिल था। वहीं बता दे कि मानव विज्ञान सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जोशी भड्डरी, भडरी जाति का सर्वेक्षण किया गया। इस ईदाते कमीशन द्वारा जोशी भड्डरी, भडरी जाति को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय /राज्य सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी।
अब बस औपचारिकता रह गई है। उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग इस सर्वेक्षण को ध्यान में रखते हुए इस जाति को उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की कार्रवाई करें। लेकिन मीडिया जानकारी के अनुसार पता चलता है कि उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OBC) के अध्यक्ष पद कई वर्षों से खाली होने के कारण इस सर्वेक्षण और सिफारिश पर आयोग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया।
वैसे आपको बता दें कि ईदाते कमीशन की रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को जोशी भड्डरी,भडरी जाति को पिछड़े वर्ग की सूची में तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की उत्तर प्रदेश राज्य की केंद्रीय सूची में सम्मिलित करने की कार्रवाई हो जानी चाहिए। बहरहाल सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर जाति जोशी भड्डरी,भडरी को ओबीसी की सूची में शामिल करने की आवश्यकता है। https://amitsrivastav.in/
जोशी भड्डरी,भडरी जाति का क्या है इतिहास
Joshi Bhaddri jaati reservation मीडिया रिपोर्ट्स व इस जाति के लिए संघर्ष करने वाले महासभा के दस्तावेजों और उनसे बातचीत करने पर पता चला है कि उत्तर प्रदेश में महाकवि घाघ भड्डरी की जाति के के लोग उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले में निवास करते हैं। इसके साथ ही भारत के दूसरे प्रदेशों में भी यह जाति इन्हीं नाम से या अलग-अलग नामों से पाई जाती है। जिन्हें बोलचाल की भाषा में जोशी, जोशी भड्डरी, भडरी, भतरी, भटरी, भठरी, डाकोत, देशांतरि, पडिया, ज्योतिषी आदि नामों से पूरे देश में पहचाना जाता है। वही आपको बता दें कि जोशी भड्डरी, भडरी जाति के लोग जोशी कुमायूनी तथा जोशी ब्राह्मणों से अलग उप जाति है। जोशी ब्राह्मण और जोशी कुमाऊनी ब्राह्मणों के साथ इनका रोटी बेटी का किसी भी तरह का संबंध नहीं होता है। स्पष्ट कर दें कि जोशी भड्डरी, भडरी जाति के लोग अपनी ही जाति के 36 गोत्रों में ही विवाह करते हैं।
जोशी भड्डरी, भडरी स्वतंत्र उप जाती है- बिल्कुल उसी तरीके से जैसे महापात्र, महाब्राह्मण, गिरी, गोसाई, भट्ट, भाट आदि ब्राह्मण जातियां जोशी भड्डरी, डाकोत जाति ज्योतिष का पैतृक कार्य करती है। शनिवार को शनिदेव का दान लेती है। मूल शांति कराती है और शनि के नाम से भिक्षावृति करती है। जोशी भड्डरी, डाकोत सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई भूमिहीन जाति है।
जोशी भड्डरी, डाकोत जाति के लोग अपने नाम के आगे मूल रूप से जोशी सर नेम लिखते हैं। इनके साथ सामाजिक भेदभाव होता रहा है। इसलिए अब ज्यादातर जोशी, शर्मा, पांडेय लिखते हैं। अर्थात इस जाति के पढ़े-लिखे लोग अब तरह तरह के ब्राह्मण बोधक उपनाम लिखने लगे हैं।
जाति भेदभाव के कारण अपमान की स्थिति में अपनी जाति छिपाते हैं। आपको बता दें कि जोशी भड्डरी, डाकोत जाति भारत के हर राज्य, हर शहर और लगभग हर गाॅंव में पाई जाती है।
जोशी भड्डरी, भडरी के होते हैं विशेष मोहल्ले Joshi bhadri:
प्रत्येक शहर में इनके खास मोहल्ले होते हैं। इन मोहल्लों का नाम टोला, टीला जोशियांन, जोशियाना होता है। अगर पूर्वी उत्तर प्रदेश जिले की बात की जाए तो यहां पर जोशी भड्डरी नाम से ही नहीं जाना जाता है तो वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में इन्हें डाकोत, पडिया कहा जाता है।
वहीं आपको बता दें कि जोशी भड्डरी, डाकोत जाति की लखनऊ, इटावा, मैनपुरी, आगरा, एटा, फर्रुखाबाद, जालौन, ओरैया, रायबरेली, सीतापुर, बरेली, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर, प्रयागराज, कानपुर, मुरादाबाद, पीलीभीति, बाराबंकी, फतेहपुर जगह पर अधिक जनसंख्या है। इसके अलावा पूरे उत्तर प्रदेश में इस जाति के लोग रहते हैं। यहीं नहीं पूरे भारतवर्ष में इस जाति के लोग निवास करते हैं। आर्थिक व सामाजिक रूप से यह जाति इतनी पिछड़ी है कि उत्तर प्रदेश से ही नही बल्कि पूरे भारतवर्ष में भी एक भी विधायक, सांसद तक का दर्जा प्राप्त मंत्री भी नही है।
बता दे कि जोशी सरनेम के प्रदेश स्तर व राष्ट्रीय स्तर के राज नेता हैं। लेकिन एक भी जोशी भड्डरी, डाकोत जाति से नही हैं। इसके साथ यह भी बता दें कि जोशी भड्डरी, डाकोत जाति से यूपी में ही नही पूरे देश में एक भी आई0 ए0 एस0 तथा पी0सी0एस0 अधिकारी नहीं है।
क्या कहती है मानव विज्ञान सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय की रिपोर्ट

मानव विज्ञान सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ईदाते कमीशन 2017 की रिपोर्ट पर जोशी भड्डरी, भडरी जाति का उत्तर प्रदेश में सर्वे की रिपोर्ट पर नजर डाले तो ईदाते कमीशन द्वारा इन्हें पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची तथा उत्तर प्रदेश की पिछड़े वर्ग की राज्य सूची में शामिल करने की सिफारिश की है।
वहीं आपको बता दें इसलिए यह जाति अपनी आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध कर रही है कि उन्हें भी ओबीसी की श्रेणी में डाला जाए, ताकि उनकी जाति को समुचित अधिकार प्राप्त हो सके। अशिक्षा और गरीबी से जूझ रहे जाति के लोगों का रहनुमा कोई नहीं है। इस जाति के लोग लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि सबसे पिछड़ी, शोषित और गरीब जोशी भड्डरी, भडरी, डाकोत जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित करने की कृपा करें।
कब-कब हुआ धरना प्रदर्शन? पर सरकार ने नहीं सुनी
आपको बता दे कि आजादी मिलने के बाद से लगातार अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही है। वही आपको बता दे कि जोशी महासभा उत्तर प्रदेश द्वारा ज्ञानेंद्र जोशी राय बरेली की अध्यक्षता में आयोजित 7 नवंबर 2022 को ईको गार्डन लखनऊ में पिछड़ा वर्ग में शामिल होने की विचाराधीन मांग के संबंध में धरना प्रदर्शन किया गया था। ओबीसी में शामिल होने की अपनी मांग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन भी दिया गया। मेन पेज पर जाने के लिए क्लिक किजिये ब्लू लाइन पर https://amitsrivastav.in/
आपको बता दें कि लगातार जोशी भड्डरी,भडरी (Joshi bhadri) के समाज बंधु अपनी जाति के लिए संवैधानिक मांग करते हुए ओबीसी आरक्षण में शामिल होने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं।
Koi bhi Aarakshan Desh Ke Bhavishya ke sath khilvad hi hai Aarakshan band Hona chahie Kisi Ko Bhi Koi Aarakshan Na Diya Jaaye Yahi Uttam hoga honhaaron ko Labh mile Aarakshan Dena hi hai to garibon ko Aarakshan Diya Jaaye Kisi bhi Jaat varg ka Kyon Na Ho