प्रयागराज। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय संगम कहे जाने वाले महाकुंभ 2025 में prime minister नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 5 फरवरी को त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। संगम तट पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी भगवा वस्त्रों में नजर आए, गले में रुद्राक्ष की माला पहने हुए उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। आप पढ़ रहे हैं संगम क्षेत्र से आखों देखी amitsrivastav.in टीम से A. K. Pandey की रिपोर्ट। इसके बाद उन्होंने मां गंगा, यमुना और सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, फल एवं लाल चुनरी अर्पित की।
prime minister का महाकुंभ स्नान: आस्था, आध्यात्म और भारत की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
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संगम में डुबकी लगाने के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ समय तक ध्यान लगाया और रुद्राक्ष की माला फेरते हुए मंत्रों का जाप किया। उनके चेहरे पर गहरी आस्था और शांति के भाव स्पष्ट रूप से झलक रहे थे। त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद उन्होंने देशवासियों की सुख-समृद्धि और शांति की कामना की। प्रधानमंत्री मोदी के इस आध्यात्मिक स्नान को देखने के लिए संगम तट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे, जो उनकी एक झलक पाने को आतुर नजर आए। जब प्रधानमंत्री ने संगम में डुबकी लगाई, तो वहां मौजूद लोगों ने ‘हर हर गंगे’ और ‘मोदी-मोदी’ के गगनभेदी नारे लगाए।
महाकुंभ के इस पावन आयोजन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। हालांकि, प्रधानमंत्री के स्नान के दौरान आम श्रद्धालुओं को संगम स्नान करने से रोका नहीं गया, जिससे भक्तगण प्रसन्न नजर आए। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा पूरी तरह से अनुशासित और सुचारु रूप से संचालित हुआ, जिससे महाकुंभ में स्नान करने आए लोगों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।
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prime minister मोदी ने किया सीएम योगी के साथ नौका विहार
प्रधानमंत्री मोदी का प्रयागराज दौरा करीब दो घंटे का रहा। इस दौरान उन्होंने किसी से विशेष मुलाकात नहीं की और अपना कार्यक्रम बेहद संक्षिप्त रखा। उन्होंने प्रयागराज एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर के जरिए डीपीएस स्कूल ग्राउंड तक यात्रा की और फिर वहां से अरैल घाट पहुंचे। अरैल घाट से वह नाव द्वारा संगम नोज पहुंचे, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ मौजूद रहे।
संगम स्नान से पहले प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम में नौका विहार भी किया। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच गहरी बातचीत देखने को मिली। दोनों नेताओं की आपसी ट्यूनिंग साफ झलक रही थी, जो इस बात का संकेत देती है कि वे प्रदेश के विकास और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
महाकुंभ 2025: भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महोत्सव
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के अवसर पर हुआ था और यह 26 फरवरी, महाशिवरात्रि तक चलेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बताया है, जो न केवल भारत बल्कि दुनियाभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय सनातन परंपरा, आध्यात्मिकता और धार्मिक आस्था को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना है।
प्रधानमंत्री मोदी से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विभिन्न क्षेत्रों की कई अन्य प्रमुख हस्तियां संगम में आस्था की डुबकी लगा चुकी हैं। मंगलवार को भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने भी महाकुंभ का दौरा किया और संगम स्नान किया। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री prime minister मोदी की परियोजनाएं: महाकुंभ से पहले प्रयागराज को मिला बड़ा सौगात
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के आयोजन से एक माह पूर्व, 13 दिसंबर 2024 को प्रयागराज का दौरा किया था और 5,500 करोड़ रुपये की 167 विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया था। इनमें रेलवे स्टेशनों का उन्नयन, फ्लाईओवर का निर्माण, सड़कों का चौड़ीकरण, घाटों का सौंदर्यीकरण और रिवर फ्रंट डेवलपमेंट जैसी प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर, भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर और श्रृंगवेरपुर धाम कॉरिडोर का भी उद्घाटन किया था। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाना है, बल्कि प्रयागराज को आध्यात्मिक पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना भी है।

5 फरवरी: आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि थी, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। यह तिथि तप, ध्यान और साधना के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन जो लोग तप, ध्यान और पवित्र स्नान करते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
इसके अतिरिक्त, इस दिन को भीष्माष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह ने बाणों की शय्या पर सूर्य के उत्तरायण होने और शुक्ल पक्ष की प्रतीक्षा की थी। माघ मास की अष्टमी तिथि पर उन्होंने श्रीकृष्ण की उपस्थिति में अपने प्राण त्यागे, जिसके बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
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prime minister प्रधानमंत्री मोदी ने दिया संदेश: भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का लिया संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी की इस आध्यात्मिक यात्रा ने न केवल उनकी धार्मिक आस्था को दर्शाया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के प्रति उनके समर्पण को भी उजागर किया। उन्होंने इस अवसर पर यह संदेश दिया कि भारत अपनी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
महाकुंभ 2025 का आयोजन भारत की सनातन परंपरा को जीवंत बनाए रखने और पूरे विश्व को भारतीय आध्यात्मिकता से जोड़ने का एक प्रयास है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे ने महाकुंभ के महत्व को और अधिक उजागर किया और विश्वभर के श्रद्धालुओं को भारत की पवित्र संस्कृति का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान किया।
महाकुंभ 2025 अब तक अभूतपूर्व संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित कर चुका है। अब तक 39 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रयागराज की सड़कों से लेकर संगम तट तक हर जगह श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महाकुंभ यात्रा ने इस ऐतिहासिक आयोजन को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई है। उनकी यह यात्रा भारतीय संस्कृति और आस्था की शक्ति का परिचायक है। यह महाकुंभ भारत की आध्यात्मिकता, भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा। A. K. Pandey
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