राहुल देर से आए लेकिन दुरुस्त, राहुल पप्पू नहीं: राजनीतिक विश्लेषण

Amit Srivastav

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जब 2014 का चुनाव कांग्रेस के हाथ से निकलता हुआ नजर आ रहा था तब राहुल गांधी कोई कारनामा नहीं कर पाए थे। कारण यह था कि भारतीय राजनीति में उस समय राहुल गांधी इतने अनुभवी नजर नहीं आ रहे थे लेकिन इन 10 वर्षों में राहुल गांधी में प्रभावशाली बदलाव आया है। ‌ कांग्रेस के एक मजबूत लीडर के रूप में उभर कर लगातार नरेंद्र मोदी और भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। सन 2024 के इस चुनाव में राहुल गांधी एक नए अंदाज में सामने आ रहे हैं। जनता उन्हें पसंद कर रही है। इस पर एक विशेष संपादकीय लेख निर्भीक निष्पक्ष लेखक अभिषेक कांत पांडेय की कलम से।

राहुल देर से आए लेकिन दुरुस्त, राहुल पप्पू नहीं: राजनीतिक विश्लेषण

राहुल गांधी लोगों से जुड़ रहे हैं

राहुल गांधी की कम्युनिकेशन स्किल बेहतरीन तरीके से डेवलप हुई है। उन्होंने पिछले 10 साल के अंदर खुद को बेहतर से बेहतरीन बना लिया है। अब वह नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। उनकी राजनीतिक समझ भी पहले से अधिक बेहतर हुई है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो की बात करते हुए पूरे आप विश्वास से राहुल गांधी नजर आते हैं। मुख्य धारा की मीडिया ने राहुल गांधी को बहुत अधिक तवज्जो नहीं दिया बल्कि उनका मजाक पप्पू के रूप में बनाते रहे और सोशल मीडिया मे वे पप्पू की छवि में बदनाम होते रहे लेकिन अब राहुल गांधी सत्ता पक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। ‌ यह बात चुनाव के भाषण के दौरान राहुल गांधी के कॉन्फिडेंस से पता चलता है। ‌नरेंद्र मोदी भी पप्पू शहजादे आदि शब्द से राहुल गांधी को संबोधित करते हुए उन पर निशाना साधते हैं, इससे पता चलता है कि राहुल गांधी विपक्ष के प्रमुख चेहरा हैं।

राहुल गांधी राजनीति के पप्पू नहीं बल्कि समझदार खिलाड़ी

भाजपा का ‘अबकी बार 400 पार कि नारा’ को ध्वस्त करते हुए राहुल गांधी अब मजबूत लीडर के रूप में विपक्ष की तरफ से खड़े हैं जिन्हें पप्पू समझना सबसे बड़ी भूल भाजपा के लिए साबित हो रही है अब वह राजनीति के होशियार खिलाड़ी हो गए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राहुल गांधी को पप्पू कहकर मीडिया में राहुल गांधी की अहमियत को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया गया लेकिन कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान उन्होंने जिस तरीके से आम जनता से जुड़ कर जनता की भावनाओं को समझा है और उनसे बातें की हैं, इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी पहले से अधिक मेच्योर और प्रभावशाली नेता बन गए हैं। अब वह नरेंद्र मोदी को चुनौती देने लगे हैं।

राहुल देर से आए लेकिन दुरुस्त, राहुल पप्पू नहीं: राजनीतिक विश्लेषण

राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी

चुनाव के शुरुआत में लग रहा था कि नरेंद्र मोदी फिर आसानी से सत्ता हासिल कर लेंगे लेकिन इस समय चुनाव एक रोचक दौर में गुजर रहा है। जहां पर इंडिया गठबंधन का प्रभाव जनता को दिखाई देने लगा है। इसके पीछे राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल की प्रभावशाली भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं भाजपा के नरेंद्र मोदी का कॉन्फिडेंस गिरता हुआ भी नजर आ रहा है। इसके अलावा जहां भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा तीसरे का स्थान कम ही नजर आता है।
‌लेकिन गौर करने वाली बात है कि इंडिया गठबंधन के नेताओं में राहुल गांधी जबरदस्त परफॉर्म्स कर रहे हैं। यहां तक की अखिलेश यादव भी उनसे पीछे हैं। अगर अरविंद केजरीवाल की बात कर ली जाए तो दिल्ली और पंजाब के अलावा हरियाणा में उनकी साख बहुत तेजी से बढ़ रही है।
अंतरिम जमानत पर रिहा अरविंद केजरीवाल भी इंडिया गठबंधन की तरफ से बीजेपी के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं। ‌

सोशल मीडिया और यूट्यूब पर छाए हुए हैं राहुल गांधी

जैसे-जैसे कांटे की टक्कर चुनाव में दिखाई दे रहा है, वैसे-वैसे मुख्य धारा की टीवी चैनल और प्रिंट मीडिया का स्वर भी सत्ता पक्ष से हटकर विपक्ष की ओर जाने लगा है। यह जनता के लिए बहुत अच्छा संकेत है क्योंकि मीडिया को स्वतंत्र रहना बहुत जरूरी है। ‌
राहुल गांधी आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आते हैं और अपने तेज तर्रार जवाब से मीडिया का सामना करते हैं। इस वजह से सोशल मीडिया और यूट्यूब पर बहुत तेजी से छाए हुए हैं। ‌इंडिया गठबंधन के दूसरे नेता को पीछे छोड़ दिया है। ‌वहीं राहुल गांधी ने सीधे नरेंद्र मोदी से टक्कर लेने के लिए खुली डिबेट्स की चुनौती तक दे डाली है। हालांकि लेख लिखे जाने तक राहुल गांधी की डिबेट्स की चुनौती को नरेंद्र मोदी ने स्वीकार नहीं किया है। ‌

सफलता की ओर बढ़ते कदम

नये अंदाज में राहुल गांधी वास्तव में कांग्रेस को बचाने की अपनी मुहिम में 100% सक्सेस होते हुए नजर आ रहे हैं। ‌ ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान सीधे जनता से उनके संवाद कांग्रेस को मजबूत बना रहा है।‌

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मुफ्त में बदनाम हो गये अडानी- अंबानी

अडानी-अंबानी पर राहुल गांधी सीधे आरोप लगाते है तो इस पर भारतीय जनता पार्टी का जवाब आधा अधूरा ही नजर आता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि टैंपो भर-भर के पैसा कांग्रेस के पास अडानी-अंबानी के यहां से गया है।
ऐसे में नरेंद्र मोदी की यह बात बड़ी ही बचकानी और आधी-अधूरी जनता के बीच साबित हो रही है। हालांकि इसके पीछे एक राजनीतिक सोच है, दरअसल राहुल गांधी बार-बार अपने भाषणों और वक्तव्य में अडानी-अंबानी जैसे पूंजीपतीयों को लाभ पहुंचाने का आरोप नरेंद्र मोदी पर लगाते रहे हैं। लेकिन इसके पलट राहुल गांधी सीधे-सीधे चुनौती देते हुए कहते हैं कि अगर ऐसा है तो अदानी-अंबानी और कांग्रेस पर कार्रवाई करना चाहिए। इस तरह की बातें कहकर राहुल गांधी अपनी राजनीति परिपक्वता का उदाहरण देते हैं।

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सोशल मीडिया में छाए हुए हैं राहुल गांधी

फेसबुक, यूट्यूब पर राहुल गांधी काफी सक्रिय हैं। युवा उनको पसंद करने लगे हैं। ऐसे में बेरोजगारी-महंगाई जैसे मुद्दे आम जनता को परेशान कर रही हैं। राहुल गांधी इन मुद्दों को उठाकर भाजपा पर भारी पड़ रहे हैं अपने कम्युनिकेशन स्किल के जरिए भाजपा पर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं, जिसका जवाब भाजपा बड़ी मुश्किल से ही दे पा रही है।
पिछले 2 महीने से कांग्रेस का जनाधार बहुत तेजी से बढ़ गया है। इसका कारण राहुल गांधी की राजनीति की अच्छी पकड़ है। ‌पूरे चुनाव में भाजपा को मुद्दे से भटकने नहीं देने कि उनकी रणनीति भी कामयाब हो रही है।
ऐसे में देखा जाए तो राहुल गांधी आने वाले समय में एक सशक्त नेता के रूप में उभरकर सामने आने वाले हैं इसके साथ इंडिया गठबंधन में उनका दबदबा भी बना रहेगा।
राहुल गांधी हर बार अपने मेनिफेस्टो के किए गए वादे को हर भाषण में दोहराते नजर आ रहे हैं, ऐसे में जनता उनके मेनिफेस्टो से प्रभावित होती है तो चुनाव का रुख बदल सकता है।

राहुल देर से आए लेकिन दुरुस्त, राहुल पप्पू नहीं: राजनीतिक विश्लेषण

10 साल की राजनीति में सत्ता से दूर रही कांग्रेस अब पहले जैसी कांग्रेस नहीं है। राहुल गांधी अब नए अंदाज में सामने आ रहे हैं। वे न्याय की बात कर रहे हैं। आर्थिक समानता की उनकी बात भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत बनती चली जा रही है। इसलिए कहा जा रहा है कि राहुल गांधी देर से आए हैं, लेकिन दुरुस्त आए हैं।

लेखक: ए० के० पांडेय, मीडिया विशेषज्ञ हैं।‌‌ मीडिया न्यूज़ चैनल, वेबसाइट, पत्र – पत्रिकाओं के लिए लगातार राजनीतिक सामाजिक और नई मीडिया पर लेखन कार्य करते हैं। ‌इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद 10 साल से अधिक समय तक कई मीडिया संस्थानों में कार्य किया। आप वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

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