कहानी – कौआ

Amit Srivastav

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कहानी - कौआ

हिन्दी में गद्य लेखन की एक विद्या है कहानी। पृथ्वी पर जन्म होने के साथ ही उसकी कहानी कि शुरुआत हो जाती है। जन्म के साथ ही कहानी का उदय होता है, मरणोपरांत भी किसी-किसी कि कहानी यादगार तो किसी कि कहानी का अंत हो जाता है। मनुष्य या पशु-पक्षियों द्वारा जीवन में जो कर्म सुकर्म किया जाता है। उसे किसी के द्वारा कहा जाना उसकी कहानी ही है। कहानी कहना, सुनना और लिखना एक परम्परा है। कुछ कहानी मन को रमाती है तो कुछ मनोरंजक होती है। हर कहानी का अपना एक अलग उद्देश्य होता है। कुछ कहानी जीवन में संघर्ष के बारे में बताती है, तो वहीं कुछ हमे धर्म मार्ग पर ले जाती है। इस कहानी के साथ ही कुछ अखबारों और गूगल पर प्रकाशित अपनी विचारणीय, मार्गदर्शक कहानी का लिंक इसमे दे रहा हूं, जिसपर क्लिक कर आप आसानी से पढ़ सकते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में एक विद्या का विकास हुआ, जिसको कहानी नाम से जाना गया।

कहानी - कौआ

वैसे तो उन्नीसवीं शताब्दी से पहले, चौदहवीं से सोलहवीं शताब्दी का मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखा ग्रंथ पद्मावत जिसमें पूर्वार्ध की कथा काल्पनिक और उत्तरार्द्ध की कथा ऐतिहासिक है। पूरी 57 खण्ड के रचित ग्रथ में सिंहल द्वीप के राजा गंधर्वसेन की पुत्री राजा रतन सिंह कि सबसे छोटी रानी पद्मावती का वर्णन है, “click me इस कहानी में मुख्य पात्र गंधर्वसेन की पुत्री पद्मावती को बनाया गया है। जो प्रेम व बलिदान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।” इसके पहले और बाद की भी बहुत सारी कहानी एतिहासिक है जो आम जन तक सार्वजनिक नहीं है। “click me 11 शताब्दी में एक चमार परिवार में जन्म पाकर कुदरत द्वारा प्रदान सुन्दरता के कारण 11 ठाकुरों द्वारा सामुहिक बलात्कार का शिकार हो, बदले की आग में जलती चमार परिवार की बेटी लोना, तांत्रिक बन अपने तंत्र विद्या से 11 ठाकुरों का खानदान कहा जाने वाला गांव के दबंग परिवार को मौत के घाट उतार दी। आज तंत्र-मंत्र कि दुनिया में लोना चमारी तांत्रिकों की देवी या योगन के रूप में पुजी जाती है।”

मुस्लिम शासकों में सबसे क्रुर शासक अलाउद्दीन खिलजी कि लाड़ली बेटी “click me फिरोजा का हिन्दू बीर सपूत वीरमदेव के प्रति प्रेम और बलिदान की कहानी कुछ कम नहीं है।” ऐसी बहुत सी कहानी है जो रोचक, ज्ञानवर्धक और विचारणीय है। “click me गुलाम से सीख” click me खिचड़ी का अविष्कार” click me उपदेश का प्रभाव”click me कार्तिक मास में विष्णु कथा का महत्वclick me गुरु का महत्व”click me प्रेम का सदुपयोग एक विचारणीय कहानी” ज्यादा कहानी पढ़ने के लिए हमारे साइड पर कहानी- Story सेक्शन में जाकर अपनी पसंदीदा कहानी पढ़ सकते हैं। कहानी कहना और सुनना मानव जाति का स्वभाव है। लोक परलोक की कहानी सभ्य और असभ्य दोनों समाज में कहने सुनने की परम्परा स्थापित है।प्राचीन काल में सदियों तक वीर राजाओं का शौर्य, पराक्रम, साहस, समुद्र यात्रा, वैराग्य, ज्ञान, प्रेम व बलिदान आदि की कहानी, जिसकी कथानक कोई घटना प्रधान होती थी। बहुत ही रोचक लगती जब बूढ़े दादा दादी कहा करते थे।

कहानी - कौआ

ग्रथों में स्थापित प्राचीन कहानी रचना- लेखक, मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत, दण्डी की रचना दस कुमार चरित्र, सुबन्धु की रचना वासवदत्ता, बाणभट्ट की रचना कादम्बरी, सोमदेव की रचना मालती माधव, धनपाल की तिलक मंजरी आदि काव्य-संग्रह से साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके बाद छोटे आकार-प्रकार वाली पंचतंत्र, सिंहासन, बत्तीस, बेताल पच्चीसी, हितोपदेश, भोज प्रबंधन, जैसा साहित्य व कलात्मक कहानी का युग आया। इन कहानियों से मनुष्य को मनोरंजन सहित नीति उपदेश भी मिलता है। कहानियां अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय की विजय दिखाती है। मनुष्य जीवन में कहानियां बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करती है। अगर हम अपने पूर्वजों की उत्पत्ति और उनके पद चिन्हों से कुछ हासिल कर सकते हैं तो जीवन मंगलमय होना स्वाभाविक है। आज भागदौड़ के जीवन में बहुत ही कम लोगों को समय मिलता है, जो अपने click me पूर्वजों की उत्पत्ति कौन किसके वंशज और उनके द्वारा किए गए श्रृष्टि में योगदान का अनुकरण करते उनके पद चिन्हों का स्मरण कर स्वक्क्ष और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें। अपनी तुलना दूसरों से न करें।

कहानी - कौआ

एक कौवा अपने में मगन बहुत खुश इस जंगल से उस जंगल रहा करता था। वह अपनी जिंदगी में संतुष्ट इसलिए था कि उसकी ज्यादा इच्छाएं नही थी। एक दिन सरोवर पर हंस को देख सोचने लगा। इतना सफेद मै काला ये मुझसे अधिक सुंदर है। ये तो मुझसे अधिक खुश रहता होगा। ऐसा प्राणी वो पहली बार देखा था। कौवा हंस के पास जाकर पूछा, तुम इतना सफेद सुंदर हो, तो मुझसे अधिक खुश रहते होगे ? तब हंस ने कहा, मै पहले खुश था। जब तोते को देखा मन दुखी हो गया। मै सफेद, वो दो रंग में मुझसे अधिक सुंदर तो वो तोता है। हंस की बात सुनकर कौआ तोता के पास गया। पूछा भाई तोता तुम दो रंग पाकर बहुत खुश रहते होगे? तोता कहा मै जब तक मोर को नही देखा था, तब तक खुश था। मुझे तो दो रंग मिला मोर सतरंगी रंग पाकर बहुत सुंदर है। कौआ चला ढूंढते-ढूंढते अब मोर के पास। मोर एक चिड़िया घर में मिला। वहां लोगों की भिड़ लगी हुई थी। कौआ भीड़ देखकर सोचने लगा, ये सबसे अधिक सुंदर है। तभी लोगों की भीड़ इसके साथ फोटो खिंचवाने की लगी हुई है। कौआ मौका पाकर, मोर के करीब जाकर कहा, तुम तो दुनिया की सबसे खुबसूरत पंछी हो तभी तुम्हारे साथ लोग अपना फोटो खिच रहे हैं। मोर कौआ को देख दुखी मन कहा मैं सुन्दर हूं तो भी मैं खुश नही क्योंकि? मुझे इस चिड़िया घर में कैद कर रखा गया है, दुनिया देख भी नहीं पाता। तुम तो मुझसे अधिक भाग्यशाली हो जो पूरी दुनिया अपनी मर्जी भ्रमण कर देख रहे हो। इस दुनिया में सबसे अधिक खुश तो तुम्हें रहना चाहिए क्योंकि तुम आजाद हो। मोर की इस बात पर कौआ सोचने लगा, कि उसकी जीवन का अहमियत कोई और बता रहा है। अपनी खुशियों और गुणों कि तुलना किसी और से न करें। हर किसी का रहन-सहन स्वभाव अलग-अलग होता है। आपकी जिन्दगी में बहुत कुछ ऐसा है, जो सिर्फ आपके पास है। उसकी अहमियत समझकर सदैव खुश रहिए स्वस्थ रहिए मस्त रहिए। किसी भी प्रकार की चिंता बहुत जल्द चीता के तरफ़ ले जाती है।

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