थायरायड एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है जो शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करती है। थायरायड ग्रंथि में किसी भी तरह की गड़बड़ी से विभिन्न प्रकार के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। महिलाओं में थायरायड विकार अधिक सामान्य हैं और इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-
महिलाओं में थायरायड के सामान्य लक्षण:

थकान और कमजोरी:
थायरायड विकार में अक्सर अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होती है।
वजन में बदलाव:
बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन बढ़ना या घटना।
बालों का झड़ना: बालों का अत्यधिक झड़ना और बालों का पतला होना।
त्वचा का सूखापन:
त्वचा का शुष्क और खुरदुरा होना।
मूड स्विंग्स: मूड में अचानक बदलाव और अवसाद।
मासिक धर्म में अनियमितता:
मासिक धर्म के चक्र में गड़बड़ी।
महिलाओं में थायरायड के लक्षण प्रेग्नेंसी के दौरान:
प्रेग्नेंसी के दौरान थायरायड विकार का होना माँ और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इस समय के दौरान थायरायड के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:-
अत्यधिक थकान:
गर्भावस्था में थकान सामान्य है, लेकिन थायरायड विकार में यह अधिक हो सकती है।
वजन का अत्यधिक बढ़ना या घटना:
प्रेग्नेंसी के दौरान वजन में असामान्य बदलाव।
अत्यधिक भूख लगना या भूख न लगना:
खाने की आदतों में असामान्य बदलाव।
पैरों में सूजन:
विशेषकर एडियों में सूजन।
मूड स्विंग्स और अवसाद:
मानसिक स्वास्थ्य में परिवर्तन।
महिलाओं में थायरायड कैंसर के लक्षण:

थायरायड कैंसर के लक्षण अन्य थायरायड विकारों से भिन्न हो सकते हैं और इनमें शामिल हो सकते हैं:-
गर्दन में गांठ:
गर्दन के सामने की ओर गांठ का बनना।
स्वर का बदलना:
आवाज में भारीपन या बदलाव।
निगलने में कठिनाई: खाने या पानी पीने में कठिनाई।
गर्दन या गले में दर्द:
लगातार दर्द रहना।
सांस लेने में कठिनाई:
सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
थायरायड विकार के कारण:
थायरायड विकारों के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जैसे:
आनुवांशिक कारण:
परिवार में थायरायड विकार का इतिहास होना।
आयोडीन की कमी:
आयोडीन की कमी से हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
ऑटोइम्यून विकार:
हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और ग्रेव्स डिजीज।
संक्रमण: वायरस या बैक्टीरिया से थायरायड ग्रंथि में संक्रमण।
थायरायड विकार का उपचार:
थायरायड विकार का उपचार इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। उपचार में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं।
दवाएं: थायरायड हार्मोन को संतुलित करने के लिए दवाओं का सेवन।
आयोडीन सप्लीमेंट्स: आयोडीन की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स।
सर्जरी: थायरायड ग्रंथि को आंशिक या पूर्ण रूप से निकालने के लिए सर्जरी।
रेडियोधर्मी आयोडीन: थायरायड ग्रंथि के अत्यधिक सक्रिय हिस्से को नष्ट करने के लिए।
लाइफस्टाइल और डाइट: उचित आहार और नियमित व्यायाम।
थायरायड विकार में सही आहार और जीवनशैली का पालन महत्वपूर्ण है। कुछ खाद्य पदार्थ और आदतें थायरायड की समस्या को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनके सेवन से परहेज करना आवश्यक है। यहाँ कुछ परहेज करने योग्य चीजें दी गई हैं।
सोया उत्पाद:
सोया और सोया आधारित उत्पाद थायरायड हार्मोन की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इन्हें कम मात्रा में या पूरी तरह से त्यागना उचित है।
गोइट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ:
गोइट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ थायरायड ग्रंथि की कार्यक्षमता को बाधित कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं: – ब्रोकोली, फूलगोभी, पत्तागोभी, केले, मूली
इन खाद्य पदार्थों को पकाकर खाने से गोइट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे इन्हें कभी-कभी खाया जा सकता है।
ग्लूटेन:
कुछ लोग जिनको थायरायड की समस्या होती है, उन्हें ग्लूटेन से संवेदनशीलता हो सकती है। यदि आपको ग्लूटेन संवेदनशीलता है, तो गेहूं, जौ और राई से बने खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
प्रोसेस्ड फूड:
प्रोसेस्ड फूड में उच्च मात्रा में सोडियम, शक्कर और अस्वास्थ्यकर वसा होते हैं, जो थायरायड के लिए हानिकारक हो सकते हैं। जंक फूड, पैकेज्ड स्नैक्स, और फास्ट फूड से बचें।
अत्यधिक फाइबर:
अत्यधिक फाइबर युक्त आहार थायरायड हार्मोन की अवशोषण को प्रभावित कर सकता है। संतुलित मात्रा में फाइबर का सेवन करें।
कैफीन और शराब:
कैफीन और शराब का अधिक सेवन थायरायड ग्रंथि की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है। इन्हें सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
आयोडीन की कमी या अधिकता:
आयोडीन की सही मात्रा का सेवन महत्वपूर्ण है। आयोडीन की कमी से हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है, जबकि अत्यधिक आयोडीन से हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है। आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें, लेकिन इसकी अधिकता से बचें।
धूम्रपान:
धूम्रपान थायरायड ग्रंथि की कार्यक्षमता को बाधित कर सकता है और थायरायड विकारों को बढ़ा सकता है। धूम्रपान से पूरी तरह से बचें।
थायरायड के लिए योगा प्रभावी हो सकता है क्योंकि यह ग्रंथि को उत्तेजित करने और शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। कुछ विशेष योगासन थायरायड ग्रंथि की कार्यक्षमता में सुधार कर सकते हैं। यहाँ कुछ योगासन दिए गए हैं जो थायरायड विकार में लाभकारी हो सकते हैं:–

सर्वांगासन (Shoulder Stand):
सर्वांगासन थायरायड ग्रंथि के लिए अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह ग्रंथि पर दबाव डालता है और इसके कामकाज को उत्तेजित करता है।
विधि: 1. पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को एक साथ सीधा ऊपर उठाएं। 2. अपने हाथों को पीठ पर रखकर शरीर को ऊपर उठाएं ताकि केवल कंधे और सिर जमीन पर हों।
3. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
हलासन (Plough Pose):
हलासन भी थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने में मदद करता है और सर्वांगासन के बाद इसे करना अत्यंत प्रभावी होता है। विधि: 1. सर्वांगासन से प्रारंभ करें। 2. पैरों को सिर के पीछे की ओर ले जाएं ताकि पैर के अंगूठे जमीन को छूएं। 3. हाथों को जमीन पर सीधा रखें या पीठ पर सहारा दें। 4. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
मत्स्यासन (Fish Pose):
मत्स्यासन थायरायड ग्रंथि के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि यह गले के क्षेत्र को फैलाता है और रक्त प्रवाह को बढ़ाता है।
विधि: 1. पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा रखें। 2. हाथों को जांघों के नीचे रखें और कोहनियों को जमीन पर टिकाएं। 3. सिर को पीछे की ओर झुकाएं और छाती को ऊपर उठाएं। 4. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
भुजंगासन (Cobra Pose):
भुजंगासन भी थायरायड ग्रंथि के लिए लाभकारी है क्योंकि यह गले के क्षेत्र को फैलाता है।
विधि: 1. पेट के बल लेट जाएं और हाथों को कंधों के नीचे रखें। 2. धीरे-धीरे छाती को ऊपर उठाएं, जबकि पेट और पैर जमीन पर टिके रहें। 3. सिर को पीछे की ओर झुकाएं। 4. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
उष्ट्रासन (Camel Pose):
उष्ट्रासन थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने और गले के क्षेत्र को फैलाने में मदद करता है।
विधि: 1. घुटनों के बल खड़े हों और हाथों को कूल्हों पर रखें। 2. धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और हाथों से एड़ियों को पकड़ें। 3. सिर को पीछे की ओर झुकाएं और छाती को ऊपर उठाएं। 4. इस स्थिति में 1-2 मिनट तक रहें और धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आएं।
आर्टिकल निष्कर्ष:
महिलाओं में थायरायड विकार का जल्दी निदान और सही उपचार महत्वपूर्ण है। समय पर उपचार से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई देता है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और उचित जांच करवाएं। सही जानकारी और सावधानी बरतकर थायरायड विकार का प्रभावी उपचार संभव है।
थायरायड विकार में उचित आहार और जीवनशैली का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन परहेजों का पालन करने से थायरायड की समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। किसी भी नए आहार या जीवनशैली परिवर्तन को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। सही देखभाल और सतर्कता से थायरायड विकारों को नियंत्रित किया जा सकता है।
योगासन नियमित रूप से करने से थायरायड ग्रंथि की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। योगाभ्यास को चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए, खासकर यदि आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है। सही अभ्यास और नियमितता से थायरायड विकार के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।