गर्भावस्था pregnancy केवल शारीरिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक अद्भुत प्राकृतिक और आध्यात्मिक अनुभव है। यह समय शिशु के विकास का आधार बनता है, जिसमें केवल माँ के पोषण और स्वास्थ्य की भूमिका गर्भावस्था के नौ महीने की यात्रा pregnancy nine months journey में नहीं होती, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ग्रहों का भी योगदान होता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, हमारे सौर मंडल के नौ ग्रह अपनी किरणों के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के शरीर और मन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गर्भ में शिशु का नौ महीने और नौ दिन तक रहना मात्र संयोग नहीं है। इसके पीछे एक गहन वैज्ञानिक और ज्योतिषीय आधार है। हर महीने गर्भ में बच्चे पर एक विशेष ग्रह का प्रभाव होता है, और इस लेख में हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव विस्तार से चर्चा करेंगे कि इन ग्रहों का क्या महत्व है, उनके प्रभाव कैसे होते हैं, और गर्भवती महिलाओं को किस प्रकार के उपाय करने चाहिए। साथ ही वैसे गुप्त रहस्यों को बतायेंगे जो हर गर्भवती महिलाओं को जानने योग्य है।
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यह जानकारी युवा पीढ़ी के लिए अधिक उपयोगी साबित हो इस उद्देश्य से गहन मंथन जांच पड़ताल के बाद pregnancy के इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त कर रहे हैं तो अंत तक पढ़िए शेयर किजिये ताकि यह लेखनी हर किसी को काम आने वाली है।
pregnancy गर्भ और ग्रहों का परस्पर संबंध
भारतीय ज्योतिष में यह माना गया है कि नवग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु, जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं। यही ग्रह गर्भ में पल रहे शिशु को अपने विशेष गुण प्रदान करते हैं।
- शुक्र सुंदरता और आकर्षण का कारक है।
- मंगल ऊर्जा और साहस प्रदान करता है।
- गुरु बुद्धिमत्ता और नैतिकता का प्रतीक है।
- सूर्य आत्मबल और नेतृत्व क्षमता का कारक है।
- चंद्रमा मानसिक शांति और संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
- शनि सहनशीलता और स्थिरता का प्रतीक है।
- बुध तर्कशक्ति और संवाद क्षमता को नियंत्रित करता है।
हर ग्रह का प्रभाव एक निश्चित समय के लिए रहता है, और इस दौरान गर्भवती महिला को ग्रहों के अनुसार आहार, व्यवहार, और वस्त्रों का चयन करना चाहिए।
pregnancy गर्भावस्था के नौ महीने नौ दिन और नौ ग्रहों का प्रभाव

गर्भावस्था का पहला महीना
शुक्र ग्रह का प्रभाव
पहले महीने में शुक्र ग्रह का प्रभाव रहता है। शुक्र ग्रह शरीर के बाहरी विकास, सुंदरता, और आकर्षण के लिए उत्तरदायी होता है। यदि शुक्र मजबूत हो, तो बच्चा सुंदर, आकर्षक और स्वस्थ होगा।
शुक्र ग्रह के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
गर्भवती महिला को स्वादिष्ट और चटपटी चीजें खानी चाहिए।शुक्र ग्रह के दान से बचें, क्योंकि इससे ग्रह कमजोर हो सकता है।
बिना किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह के शुक्र से संबंधित कोई उपाय न करें।
गर्भावस्था का दूसरा महीना
मंगल ग्रह का प्रभाव
दूसरे महीने में मंगल ग्रह का प्रभाव होता है। मंगल ऊर्जा, साहस, और शारीरिक बल का कारक है।
मंगल ग्रह के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
मीठा खाएं और लाल रंग के वस्त्र पहनें। गर्भवती महिला को अधिक आराम और क्रोध से बचना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें।
गर्भावस्था का तीसरा महीना
गुरु ग्रह का प्रभाव
तीसरे महीने में गुरु ग्रह का प्रभाव प्रमुख होता है। गुरु ज्ञान, विवेक, और बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है।
गुरु ग्रह के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
दूध, घी, और पीले रंग के भोजन का सेवन करें। पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
गुरु ग्रह के प्रभाव से बच्चे का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
गर्भावस्था का चौथा महीना
सूर्य ग्रह का प्रभाव
चौथे महीने में सूर्य ग्रह का प्रभाव रहता है। सूर्य आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, और आत्मबल को बढ़ाने वाला ग्रह है।
सूर्य ग्रह के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
नारंगी रस और अन्य प्राकृतिक रसों का सेवन करें। महरून या गहरे लाल रंग के वस्त्र पहनें।
इस महीने गर्भवती महिला को खुली धूप में समय बिताना चाहिए।
गर्भावस्था का पांचवां महीना
चंद्रमा का प्रभाव
पांचवें महीने में चंद्रमा का प्रभाव रहता है। चंद्रमा मानसिक शांति, संवेदनशीलता, और भावनाओं का नियंत्रण करता है।
चंद्रमा के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
दूध, दही, चावल, और सफेद रंग के खाद्य पदार्थ खाएं। सफेद वस्त्र धारण करें।
गर्भवती स्त्री को इस महीने मानसिक रूप से स्थिर और शांत रखा जाना चाहिए।
गर्भावस्था का छठा महीना
शनि ग्रह का प्रभाव
छठे महीने में शनि ग्रह का प्रभाव होता है। शनि धैर्य, स्थिरता, और सहनशीलता का प्रतीक है।
शनि ग्रह के प्रभाव में क्या करें, क्या न करें
कसैली और कैल्शियम से भरपूर चीजें खाएं। आसमानी रंग के वस्त्र पहनें।
इस महीने अधिक आराम और सकारात्मक माहौल बनाए रखना आवश्यक है।
गर्भावस्था का सातवां महीना
बुध ग्रह का प्रभाव
सातवें महीने में बुध ग्रह का प्रभाव रहता है। बुध तर्कशक्ति, संवाद क्षमता, और बुद्धिमत्ता का कारक है।
बुध ग्रह के प्रभाव में क्या करें क्या न करें
अधिक से अधिक जूस और ताजे फलो का सेवन करें। वस्त्र में हरे रंग का वस्त्र धारण करें।
गर्भवती महिला को इस महीने मानसिक रूप से सक्रिय रखा जाना चाहिए।
गर्भावस्था का आठवां और नौवां महीना
चंद्र और सूर्य का प्रभाव
आठवें महीने में चंद्रमा का प्रभाव रहता है। नौवें महीने में सूर्य ग्रह का प्रभाव होता है।
चंद्र और सूर्य ग्रह के प्रभाव में क्या करें क्या न करें
गर्भवती महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रसन्न रखा जाना चाहिए। यदि कोई ग्रह नीच राशि में हो, तो यज्ञ हवन-पूजन करवाना चाहिए।
ग्रहों की किरणों से गर्भ का तपना: एक अद्भुत प्रक्रिया
गर्भ में शिशु का विकास ग्रहों की किरणों और ऊर्जा से होता है। यह प्रक्रिया उसी प्रकार है जैसे एक मुर्गी अपने अंडे को ऊष्मा देकर उसे जीवन देती है। दुर्योधन के शरीर को गांधारी ने अपनी आंखों की किरणों से वज्र के समान बना दिया था यह सूर्य ग्रह का प्रभाव ही था।
ग्रहों की उचित स्थिति और उपाय शिशु के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है।
गर्भावस्था में ज्योतिषीय उपाय
हर महीने ग्रहों के अनुसार खानपान और वस्त्रों का चयन करें।कमजोर ग्रहों को संतुलित करने के लिए मंत्र, यज्ञ, और पूजा का सहारा लें। घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें। गर्भवती स्त्री को प्रसन्न और तनावमुक्त रखें।
गर्भावस्था कैलकुलेटर
pregnancy calculator
गर्भावस्था के दौरान यह जानना आवश्यक है कि आप कितने दिन, सप्ताह, या महीने से गर्भवती हैं। गर्भावस्था आमतौर पर 280 दिन या 40 सप्ताह 9 महीने और 7 दिन की होती है। यह अवधि महिला के मासिक धर्म चक्र, LMP- Last Menstrual Period के आधार पर गिनी जाती है। नीचे गर्भावस्था की गणना के सरल तरीके बताए गए हैं।
गर्भावस्था के दिन, सप्ताह, और महीनों की गणना का तरीका
LMP (पिछली माहवारी की तारीख) का उपयोग करें। गर्भावस्था की गणना आपकी आखिरी मासिक धर्म की पहली तारीख (LMP) से शुरू होती है। जैसा कि यदि आपकी आखिरी माहवारी 1 जनवरी को हुई थी, तो गर्भावस्था की गणना इसी तारीख से शुरू होगी।
संभोग या गर्भधारण की तारीख से गणना यदि पता हो
यदि आपको अपनी गर्भधारण की तारीख पता है जैसे कि आपने ओव्यूलेशन ट्रैक किया हो, तो इस तारीख से 38 सप्ताह यानी कि 266 दिन जोड़ें।
pregnancy calculator गर्भावस्था के 9 महीने को तीन त्रैमासिक trimesters में विभाजित किया जाता है। पहला त्रैमासिक 1 से 13 सप्ताह 3 महीने तक। दूसरा त्रैमासिक 14 से 26 सप्ताह 4 से 6 महीने तक। तीसरा त्रैमासिक 27 से 40 सप्ताह 7 से 9 महीने तक।
डिलीवरी डेट (EDD) की गणना
LMP की तारीख में 7 दिन जोड़ें और 3 महीने घटाएं। यदि LMP 1 जनवरी है तो 1 जनवरी + 7 दिन = 8 जनवरी। 8 जनवरी – 3 महीने = 8 अक्टूबर आपकी संभावित डिलीवरी डेट यह होगी।
गर्भावस्था के महीने और हफ्तों का विवरण, गर्भावस्था की गणना में मददगार उपकरण का उपयोग करें जैसे कि गर्भावस्था कैलकुलेटर ऐप्स- आप ऑनलाइन Pregnancy Calculator या मोबाइल ऐप्स का उपयोग कर सकती हैं।केवल LMP डालें, और ये ऐप्स आपके सप्ताह, महीने, और EDD का सटीक अनुमान बताएंगे।
डॉक्टर की सलाह- हर महिला का गर्भधारण समय अलग होता है, इसलिए नियमित अल्ट्रासाउंड और डॉक्टर की सलाह से सही जानकारी पाएं।
गूगल पर पूछे जा रहे पाठकों के सवाल और संक्षिप्त रूप से गहन मंथन जांच पड़ताल के बाद लेखक का जवाब यहां नीचे जानिये।
- गर्भावस्था का पहला महीना में पेट दर्द
- गर्भावस्था में sax करने से बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है
- गर्भावस्था लक्षण 1 सप्ताह
- गर्भावस्था में कितने महीने तक संबंध बनाना चाहिए
- गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चा लड़का के लक्षण
- गर्भावस्था लक्षण
- 4 महीने गर्भावस्था बच्चा लड़का लक्षण
- दूसरी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण
- गर्भावस्था में बच्चे के लड़के का सही लक्षण
- गर्भावस्था के 4 वें महीने में उल्टी
- गर्भावस्था परीक्षण
- अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण
- गर्भावस्था तीसरी तिमाही के दौरान अक्सर पेशाब
- 7 महीने गर्भावस्था बच्चा लड़का लक्षण
- गर्भावस्था के 9 महीने में झूठी दर्द
- 3 महीने गर्भावस्था लड़का लक्षण
- गर्भावस्था 2 महीने के दौरान सावधानियों
- तेज होगा बच्चा अगर गर्भावस्था के दौरान इन बातों पर गौर करेगी मां।
pregnancy गर्भावस्था का पहला महीना और पेट दर्द
गर्भावस्था के पहले महीने में हल्का मिठा या ज्यादा पेट दर्द सामान्य रूप से होता है। यह आमतौर पर शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों और गर्भाशय के बढ़ने के कारण होता है।यदि दर्द बहुत तेज़ हो या खून का रिसाव हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आराम करें और हल्का-फुल्का व्यायाम करें।पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें।
गर्भावस्था में सेक्स करने से बच्चे पर प्रभाव
गर्भावस्था में सेक्स करना सामान्यत: सुरक्षित होता है, जब तक कि डॉक्टर ने इसे मना न किया हो। पहले और दूसरे त्रैमासिक में संबंध बनाना सुरक्षित होता है। गर्भाशय के मुंह की कमजोरी, प्लेसेंटा प्रीविया, या अन्य समस्याओं में डॉक्टर की सलाह लें।
गर्भावस्था के पहले सप्ताह के लक्षण
थकान और कमजोरी, मतली और उल्टी, हल्की ऐंठन या पेट दर्द, स्तनों में भारीपन, मूड में बदलाव।
गर्भावस्था में कितने महीने तक संबंध बनाना चाहिए:
डिलेवरी के पहले 7-8 महीने तक संबंध बनाए जा सकते हैं, यदि गर्भवती महिला और शिशु दोनों स्वस्थ हों। संबंध बनाते समय आरामदायक पोजीशन का चयन करना चाहिए। अंतिम नौवें महीनों में डॉक्टर की सलाह लें।
गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चा लड़का होने के लक्षण
यह वैज्ञानिक सत्य नहीं है। कुछ मान्यताओं के अनुसार बता दें। पेट का आकार थोड़ा नुकीला होता है। गर्भवती महिला की त्वचा सूखी हो सकती है। अधिक मीठा खाने की इच्छा होती है। यह सभी लक्षण कहावत पर आधारित हैं। बच्चे का लिंग केवल अल्ट्रासाउंड से जाना जा सकता है। जो कानूनी जुल्म है।
गर्भावस्था के लक्षण
मासिक धर्म रुकना, मतली और उल्टी होना, बार-बार पेशाब आना, स्तनों में भारीपन, चक्कर आना और थकावट गर्भधारण के लक्षण होते हैं।
4 महीने गर्भावस्था में बच्चा लड़का होने के लक्षण
कहावत पर आधारित जानकारी कुछ इस प्रकार है जैसा कि पेट का निचला भाग अधिक उभरा हुआ होता है। महिला अधिक ठंडा महसूस करती है। तेज भूख लगती है। यह जांच-पड़ताल वैज्ञानिक आधार नहीं है।
दूसरी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण
पहली गर्भावस्था की तुलना में पेट जल्दी दिखता है। थकावट अधिक होती है। शिशु की हरकतें जल्दी महसूस होने लगती है।
गर्भावस्था में बच्चे के लड़के का सही लक्षण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी वैज्ञानिक पद्धति के बिना बच्चे का लिंग जानना असंभव है। किसी भी तरह के लक्षण केवल मिथक पर आधारित हैं।
गर्भावस्था के 4 वें महीने में उल्टी
यह सामान्य है, क्योंकि हार्मोनल बदलाव अभी भी चल रहे होते हैं। इस स्थिति में अदरक की चाय पिएं। हल्का और सुपाच्य भोजन करें। डॉक्टर की सलाह पर एंटी-नॉजिया दवा लें।
गर्भावस्था परीक्षण pregnancy test
होम प्रेग्नेंसी किट- मूत्र के नमूने से शुरुआती गर्भावस्था का पता चलता है।
ब्लड टेस्ट- एचसीजी (HCG) हार्मोन का स्तर मापा जाता है।
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण
हल्का पेट दर्द होता है, थकान महसूस होता है, हल्की रक्तस्राव या स्पॉटिंग होता है, स्तनों में संवेदनशीलता महसूस होती है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बार-बार पेशाब आना
तीसरी तिमाही में बढ़ते गर्भाशय का मूत्राशय पर दबाव पड़ता है, जिससे बार-बार पेशाब आता है। अधिक पानी पिएं लेकिन रात को थोड़ा कम करें। मूत्राशय को पूरी तरह खाली करें।
7 महीने की गर्भावस्था में बच्चा लड़का होने के लक्षण
कहावत पर आधारित आधारित वैज्ञानिक सत्यता नही है। पेट ऊपरी हिस्से में उभरा होता है। माँ अधिक ऊर्जावान महसूस करती है।
गर्भावस्था के 9 महीने में झूठे दर्द
ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन- झूठे दर्द, जिसे ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन कहा जाता है, गर्भाशय की तैयारी का संकेत होते हैं। ऐसे पहचान कर सकते हैं कि ये दर्द अनियमित होते हैं और थोड़ी देर में खत्म हो जाते हैं। इस स्थिति में आराम करें और हल्का गर्म पानी पिएं। यदि दर्द नियमित और तेज़ हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
3 महीने की गर्भावस्था में बच्चा लड़का होने के लक्षण
कहावत पर आधारित वैज्ञानिक सत्यता नही है। माँ का चेहरा अधिक चमकदार होता है। नब्ज तेज़ चलने का अनुभव होता है। यह लक्षण केवल अटकलें हैं और इन पर हमारे अनुमान से भरोसा करना सही नहीं है।
गर्भावस्था के 2 महीने में सावधानियां
भारी वजन उठाने से बचें। पोषण युक्त भोजन लें। तनाव और धूम्रपान से दूर रहें। नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं।
गर्भ में तेज बच्चा होने के लिए मां को क्या करना चाहिए
पोषण युक्त आहार में- प्रोटीन, विटामिन, और फोलिक एसिड युक्त भोजन करना चाहिए। तनावमुक्त रहना चाहिए – योग और ध्यान करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से हल्के व्यायाम करना चाहिए। पर्याप्त नींद लें 24 घंटे में कम से कम 8 घंटे। Click on the link गूगल ब्लाग पर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।
pregnancy symptoms लेखनी का संक्षिप्त विवरण
गर्भावस्था एक अद्भुत और जटिल प्रक्रिया है, जिसमें विज्ञान और ज्योतिष दोनों के महत्वपूर्ण पहलू जुड़े हुए हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, गर्भावस्था के नौ महीने और नौ दिन शिशु के विकास के विभिन्न चरणों को दर्शाते हैं, जो हार्मोनल परिवर्तन, पोषण, और देखभाल पर निर्भर करते हैं। वहीं, भारतीय ज्योतिष के अनुसार, नवग्रहों का प्रभाव गर्भस्थ शिशु के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है।
इस दौरान गर्भवती महिला को उचित आहार, सकारात्मक वातावरण, और डॉक्टर की सलाह के साथ-साथ ग्रहों के अनुसार उपायों का पालन करना चाहिए। हालांकि, शिशु का लिंग या अन्य भविष्यवाणियां केवल वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा ही सटीक रूप से ज्ञात की जा सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने से स्वस्थ शिशु का जन्म संभव होता है। प्राचीन मान्यताओं और आधुनिक विज्ञान का यह समागम हमें यह सिखाता है कि गर्भवती महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रसन्न और तनावमुक्त रखना सबसे महत्वपूर्ण है। प्रत्येक महिला का गर्भकालीन अनुभव अलग होता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह और सही जानकारी के साथ आगे बढ़ना ही सबसे सही मार्ग है।
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