mystery of woman स्त्री का स्वभाव, गूढ़ रहस्य, उसकी शक्ति और उसकी गहराई मानव जीवन के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है। स्त्री के अद्भुत गूढ़ रहस्यों को एक दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने का प्रयास इस लेख में चित्रगुप्त वंश-अमित श्रीवास्तव द्वारा किया गया है। अंत में लाओत्से सहित ओशो रजनीश के विचारों का उल्लेख भी है, इस परिपूर्ण लेख में स्त्री के स्वभाव, उसकी सूक्ष्म शक्ति और उसके प्रेम की गहराई को विस्तार से बताया गया है। यह लेख स्त्री को एक ऐसी शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है, जो अपनी सौम्यता और सरलता से पुरुष के जीवन को संपूर्ण रूप से बदल सकती है।
स्त्री का गूढ़ रहस्य: मौन, प्रेम और शक्ति का दर्शन
स्त्री, सृष्टि की सबसे रहस्यमय और अद्भुत शक्ति है। उसका स्वभाव, उसकी गहराई और प्रेम पुरुष के जीवन को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखते हैं। यह लेख स्त्री के स्वभाव, उसकी सूक्ष्म शक्ति और उसके मौन प्रेम की शक्ति को दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।
mystery of woman मुख्य बिंदु-
स्त्री का स्त्रैण स्वभाव: उसकी कोमलता और सौम्यता उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
सूक्ष्म शक्ति का प्रतीक: स्त्री का प्रेम और समर्पण पुरुष को अदृश्य रूप से प्रभावित करता है।
दासी बनना: कमजोरी नहीं, शक्ति: प्रेम में दासी बनने का भाव पुरुष को गहराई से जोड़ता है।
मौन प्रेम की गहराई: स्त्री का प्रेम बिना शब्दों के पुरुष को उसकी आत्मा से जोड़ता है।
दार्शनिक दृष्टिकोण: लाओत्से और ओशो ने स्त्री को मौनता, प्रतीक्षा और समर्पण की शक्ति का प्रतीक बताया है।
सम्मान का महत्व: स्त्री का सम्मान पुरुष के जीवन में संतुलन, सुख और समृद्धि लाता है।
यह लेख पुरुष और स्त्री के संबंध को केवल भौतिक नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का मार्ग प्रशस्त करता है। स्त्री प्रेम और सृजन की शक्ति है, जो जीवन को नया अर्थ और दिशा देती है।
Table of Contents
स्त्री का स्त्रैण स्वभाव: उसकी अद्वितीय पहचान
स्त्री का स्त्रैण स्वभाव स्त्री की सबसे बड़ी शक्ति होती है। स्त्री का सौंदर्य और आकर्षण उसके स्वाभाविक स्त्रैण स्वभाव में निहित है। जब कोई स्त्री आक्रामक या पुरुष जैसा व्यवहार करती है, तो वह अपने स्वभाव की विशेषता को खो देती है।स्त्री का स्त्रैण होना उसका प्राकृतिक गुण है, जो उसे पुरुष के जीवन में विशेष स्थान दिलाता है।
स्त्री सदा प्रतीक्षा करती है, संकेत देती है, लेकिन अनायास ही आक्रमणकारी नही होती। जब भी स्त्री आक्रमणकारियों पर आक्रमण करती है या आक्रामक व्यवहार दिखाती है उस समय वह देवी दुर्गा के काली रुप में होती है। ज्यादातर समय स्त्री सौम्य रुप में ही रहती है। स्त्री का मौन प्रतीक्षा ही स्त्री का सबसे बड़ा गुण है। वह पुरुष को अपनी ओर खींचती है, लेकिन इतने स्वाभाविक ढंग से कि पुरुष को इसका एहसास भी नहीं होता।

अदृश्य बंधन: स्त्री की सूक्ष्म शक्ति
स्त्री की शक्ति उसके प्रेम और समर्पण में छिपी होती है। वह पुरुष को सीधे आदेश नहीं देती, परंतु उसकी इच्छाएं और भावनाएं पुरुष को प्रभावित करती हैं। स्त्री का प्रेम इतना सूक्ष्म होता है कि वह पुरुष को एक अदृश्य जाल में बांध लेती है। यह बंधन प्रेम और आत्मीयता का बंधन होता है, जो किसी भी जबरदस्ती से मुक्त होता है। स्त्री का यह सूक्ष्म बंधन पुरुष के मन और हृदय को उसकी ओर खींचता है। पुरुष को यह एहसास नहीं होता कि वह धीरे-धीरे स्त्री के प्रेम और उसकी भावनाओं के अनुसार ढलता जा रहा है।
दासी बनना: स्त्री का रहस्य और उसकी शक्ति
लेख में इस विचार को गहराई से समझाने का प्रयास किया जा रहा है कि स्त्री का दासी बनना कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी ताकत है। जब कोई स्त्री प्रेम में होती है, तो वह स्वेच्छा से दासी बन जाती है। यह दासी बनना पुरुष को उसके प्रति और अधिक समर्पित कर देता है। दासी बनने का यह भाव स्त्री को पुरुष के जीवन में सर्वोच्च स्थान दिलाता है। यहां दासी बनना मात्र बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक है। जब स्त्री पुरुष के प्रेम में होती है, तो वह अपने स्वाभाविक गुणों के कारण पुरुष को बिना किसी जबरदस्ती के अपने प्रेम में बांध लेती है।
मौन प्रेम: स्त्री की गहराई का प्रतीक
स्त्री का प्रेम चिल्लाने या आदेश देने का प्रेम नहीं है। उसका प्रेम मौन, प्रतीक्षा और संकेतों से भरा होता है। वह सीधे कभी नहीं कहती कि उसे क्या चाहिए, लेकिन पुरुष स्वाभाविक रूप से वही करने लगता है जो वह चाहती है। उसका मौन प्रेम पुरुष के जीवन को उसकी इच्छाओं और भावनाओं के अनुरूप ढाल देता है। स्त्री का प्रेम इतना सहज होता है कि पुरुष को यह महसूस ही नहीं होता कि वह धीरे-धीरे स्त्री के प्रेम में पूरी तरह समर्पित हो गया है।
पुरुष का प्रेम में अशक्त होना
स्त्री की इस अद्वितीय कला के सामने पुरुष, चाहे कितना भी बलशाली क्यों न हो, अशक्त हो जाता है। पुरुष, जो स्वयं को सबसे शक्तिशाली समझता है, स्त्री के प्रेम में पड़कर अपने सामर्थ्य को खो देता है। वह अनजाने में ही स्त्री के प्रेम और उसकी इच्छाओं के अनुसार चलने लगता है। स्त्री की छाया पुरुष के जीवन में इस तरह प्रभाव डालती है कि वह उसी के इशारों पर चलने लगता है। स्त्री का यह सूक्ष्म प्रभाव पुरुष को न केवल प्रेम में बांधता है, बल्कि उसके जीवन को एक नई दिशा भी देता है।
स्त्री: प्रेम का स्रोत और प्रकृति का प्रतीक
स्त्री प्रेम का केंद्र है। वह सृजन की शक्ति है, जो जीवन को जन्म देती है। स्त्री की ऊर्जा पृथ्वी की ऊर्जा के समान है – जिसे गहरी, स्थिर और धैर्यवान भी कह सकते हैं। स्त्री का स्वभाव प्रेम, करुणा और समर्पण से भरा होता है। स्त्री का रहस्य उसकी गहराई में छिपा है। वह पुरुष से भिन्न है, क्योंकि वह अधिक संवेदनशील, कोमल और सहज रूप से जुड़ी हुई होती है।
स्त्री की शक्ति: कोमलता में छिपा सामर्थ्य
स्त्री की शक्ति उसकी कोमलता और नारीत्व में छिपी है। वह आक्रमक नहीं होती, बल्कि स्वीकार करने वाली होती है। स्त्री का स्वभाव प्रतीक्षा करने का है। वह जल्दबाजी में कुछ भी नहीं करती, बल्कि समय और परिस्थितियों का गहराई से अनुभव करती है। उसकी शक्ति पुरुष के अहंकार को पिघलाने और उसे प्रेम की ओर मोड़ने में है। स्त्री अपनी कोमलता और धैर्य से पुरुष को उसके वास्तविक स्वरूप से जोड़ती है।
स्त्री का प्रेम: एक दिव्य अनुभव
दिव्य अनुभव के अनुसार बता दें कि स्त्री का प्रेम मौन और गहराई से भरा होता है। वह अपने प्रेम को दिखाती नहीं, फिर भी उसकी जीत रहती है। जब एक स्त्री प्रेम करती है, तो वह स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर देती है। यह प्रेम पुरुष को भीतर से बदलने की क्षमता रखता है। हम मानते हैं कि स्त्री का प्रेम पुरुष को उसकी आत्मा से जोड़ने का माध्यम है। वह पुरुष के जीवन को एक नई दिशा और अर्थ देती है।
स्त्री का रहस्य: सहजता और सूक्ष्मता
हमारा मानना है स्त्री का सबसे बड़ा रहस्य उसकी सहजता और सूक्ष्मता में छिपा है। वह सीधे आदेश या संघर्ष का सहारा नहीं लेती। वह अपने सूक्ष्म इशारों और संकेतों से पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करती है। उसकी शक्ति अदृश्य होती है, जो बिना कहे और बिना दिखाए पुरुष को उसकी ओर खींचती है। स्त्री का यह रहस्य पुरुष को उसकी चेतना के उच्च स्तर तक ले जाने का साधन बनता है।
स्त्री और पुरुष का संबंध: पूर्णता की ओर यात्रा
हम स्त्री और पुरुष को दो विपरीत ध्रुवों की तरह देखते हैं, जो मिलकर पूर्णता की ओर बढ़ते हैं। पुरुष तर्क और शक्ति का प्रतीक है, जबकि स्त्री प्रेम और करुणा का। जब दोनों एक साथ आते हैं, तो जीवन में संतुलन और सुंदरता पैदा होती है।स्त्री पुरुष को उसकी आंतरिक यात्रा पर ले जाने में मदद करती है, जबकि पुरुष स्त्री को बाहरी दुनिया से परिचित कराता है।हमारे अनुभव के अनुसार, स्त्री और पुरुष का मिलन केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आत्मिक होना चाहिए। क्योंकि आत्मिक मिलन दोनों को उच्चतम चेतना की ओर ले जाता है।
स्त्री का सम्मान: पुरुष का कर्तव्य
इस लेख के माध्यम से हम यह गुप्त गूढ़ रहस्य भी बता दें कि स्त्री का सम्मान करना पुरुष का सबसे बड़ा कर्तव्य है। बाहरी देवियों की पूजा-अर्चना करने से पहले अपनी स्त्री की करनी चाहिए। जिस प्रकार गौ माता के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, ठीक उसी प्रकार स्त्री के नाभि भाग से योनि भाग तक प्रमुख देवी-देवता वास करते हैं। इस पर आधारित एक लेख पहले ही प्रकाशित कर चुका हूँ जिसका शिर्षक है – शिव-पार्वती संवाद स्त्री शक्ति ब्रह्मांडीय ऊर्जा का श्रोत योनि के 64 प्रकार जानिए देवी-देवता का वास क्रमशः और भी लेखनी उपलब्ध है आप गूगल सर्च से पढ़ सकते हैं यहां शिर्षक के साथ एक लिंक दिए हैं।
जो पुरुष अपनी पत्नी को खुश रखता है उस पुरुष के जीवन में सुख-समृद्धि व ढ़ेरों खुशियां आने लगती है। स्त्री को केवल एक वस्तु या माध्यम के रूप में देखना गलत है। उसका सम्मान उसकी गहराई, प्रेम और सृजन शक्ति के लिए किया जाना चाहिए। जब पुरुष स्त्री का सम्मान करता है, तो वह स्वयं को भी उच्चता की ओर ले जाता है। स्त्री को समझने के लिए पुरुष को अपने अहंकार को त्यागना होगा और प्रेम के मार्ग पर चलना होगा। कभी-कभी प्रेम के अंतिम चरण में स्त्री का चरण स्पर्श वो सुख का अनुभव देता है जो दोनों ही मन को एक कर चरम सुख की ओर ले जाता है।
स्त्री का मौन और पुरुष का अहंकार
स्त्री का मौन पुरुष के अहंकार को चुनौती देता है। पुरुष हमेशा खुद को ताकतवर मानता है, लेकिन स्त्री का मौन और धैर्य उसकी इस ताकत को पिघला कर रख देता है। स्त्री पुरुष को अहंकार से मुक्त कर सकती है और उसे प्रेम, करुणा और आनंद के रास्ते पर ले जा सकती है। स्त्री के साथ का यह अनुभव पुरुष को उसकी आंतरिक शांति तक पहुंचाता है।
स्त्री का अंतर्ज्ञान: उसका सबसे बड़ा गुण
स्त्री के अंतर्ज्ञान को सबसे बड़ी शक्ति मानते हुए यह गूढ़ रहस्य को बता रहे हैं। स्त्री तर्क से अधिक अंतर्ज्ञान के माध्यम से जीवन को समझती है। स्त्री की अंतर्दृष्टि उसे जीवन की गहराई और सुंदरता का अनुभव कराती है। यह अंतर्ज्ञान उसे प्रेम और संबंधों में अधिक सफल बनाता है। अंतर्ज्ञान की शक्ति स्त्री को प्राकृतिक रूप से प्राप्त होती है।
mystery of woman दार्शनिक दृष्टिकोण
इस लेख में अभी तक आपने पढ़ा लेखक भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव कि कलम से स्त्री का गूढ़ रहस्य अद्भुत शक्ति की प्रतीक स्त्री का स्वभाव, प्रेम और गहराई जो उसे सृष्टि की सबसे अद्भुत शक्ति बनाते हैं। उसकी मौनता, प्रतीक्षा और समर्पण में छिपी सूक्ष्म शक्ति पुरुष को भीतर से बदलने और जीवन को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती है।
स्त्री केवल एक शारीरिक या सामाजिक अस्तित्व नहीं है, वह सृजन, प्रेम और करुणा की ऊर्जा है, जो जीवन को संतुलन और पूर्णता प्रदान करती है। पुरुष का कर्तव्य है कि वह स्त्री का सम्मान करे और उसके रहस्यमय स्वभाव को समझे। स्त्री का सम्मान न केवल उसे, बल्कि पुरुष को भी आत्मिक और जीवन के उच्चतम स्तर तक ले जाता है। स्त्री और पुरुष का मिलन, सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक होना चाहिए, ताकि जीवन में संतुलन और आनंद का संचार हो सके।
लाओत्से का विचार
लाओत्से ने कहा है कि स्त्री की सबसे बड़ी ताकत उसकी मौनता और प्रतीक्षा में छिपी होती है। उसकी शक्ति उसके सौम्य और कोमल स्वभाव में है, जो बिना आक्रमण किए पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करता है। वह कभी लड़ाई नहीं करती, परंतु अपनी सूक्ष्मता से पुरुष को हर मोर्चे पर जीत लेती है। स्त्री की यह शक्ति उसे पुरुष के जीवन में एक निर्णायक स्थान दिलाती है।
ओशो का विचार
ओशो रजनीश, अपने विचारों को दार्शनिक दृष्टिकोण के माध्यम से स्त्री के रहस्य को गहराई से समझाने का प्रयास किए हैं। उनके अनुसार, स्त्री केवल एक शारीरिक या सामाजिक अस्तित्व नहीं है, बल्कि वह प्रकृति, सौंदर्य और प्रेम का मूर्त रूप है। ओशो स्त्री के स्वभाव, उसकी गहराई और उसकी शक्ति को एक दार्शनिक दृष्टि से देखते हैं।
संक्षिप्त उद्देश्य : स्त्री की गूढ़ता और उसकी शक्ति
भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव मां कामाख्या देवी के आशिर्वाद से रचित गहन लेखनी में स्त्री को एक ऐसी शक्ति के रूप में चित्रित किया हूं, जो पूरी तरह से सत्य और अकाट्य है स्त्री अपनी सरलता और गहराई से प्रेम और जीवन का एक नया आयाम रचती है। स्त्री का स्वभाव, उसकी गहराई और उसका प्रेम ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है, जो उसे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है।
उसकी शक्ति उसकी दासी बनने की कला में है, जो पुरुष को उसकी भावनाओं और इच्छाओं के अनुसार ढाल देती है। स्त्री का प्रेम मौन और सहज होता है, लेकिन उसका प्रभाव पुरुष के जीवन को पूरी तरह बदल देता है। स्त्री का रहस्य उसकी गहराई, कोमलता, और प्रेम में छिपा है। वह प्रेम और सृजन की शक्ति है, जो जीवन को नया अर्थ देती है। उसकी कोमलता में अपार शक्ति है, जो पुरुष को उसकी चेतना के उच्चतम स्तर तक ले जा सकती है। स्त्री का सम्मान और उसकी शक्ति को पहचानना पुरुष के जीवन को भी सार्थक बनाता है।
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लाओत्से के अनुसार स्त्री का गूढ़ रहस्य उसकी मौनता, प्रतीक्षा और समर्पण में छिपा है। वह आक्रामक नहीं होती, बल्कि अपने सूक्ष्म संकेतों से पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ओशो का यह दृष्टिकोण समाज के पुरुष वर्ग को यह समझने में मदद करता है कि स्त्री केवल एक सामाजिक भूमिका तक सीमित नहीं है, बल्कि वह एक गूढ़ रहस्य है, जो जीवन को संतुलन, प्रेम और पूर्णता प्रदान करता है।