मन बैरागी होत है तन बैरागी नाहीं, चली कलम आज है कामदेव के नाम।
अन्तर्वासना एक ऐसी आग है जिसमें धुआं नही उठती। न दिखने वाली यह आग पत्थर को भी पिघला कर मोम बना देती है, टुटे हुए दिल को भी अनमोल बना देती है। सेक्स एजुकेशन –
अन्तर्वासना
सेक्स शरीर व मन को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। वासना रुपी रेप नही, जी हां सेक्स को वासना नही प्रेम बनाइये। वासना रुपी रेप को प्रेम कहने की भूल भी न करें। अगर अपनी जरूरत हवस को शांत करने के लिए अपने पार्टनर का उपयोग किया जा रहा है तो वह प्रेम युक्त सेक्स हो ही नही सकता। वह तो अन्तर्वासना हवस रुपी रेप ही है। प्रेम युक्त सेक्स में अपनी इच्छाओं से अधिक अपने पार्टनर की इच्छा का पता करना होता है वो भी एहसास या मनोविज्ञान के द्वारा। हावभाव शारीरिक गतिविधियों को देखकर, मनोवैज्ञानिक एहसास करना पड़ता है। जब मनोवैज्ञानिक अनुभव के साथ प्रेम पूर्वक सेक्स किया जाता है तब न तो पार्टनर असंतुष्ट होते हैं, न मन अप्रसन्न रहता है, न ही इच्छाएं शेष रह जाती। एक साथ एक दूसरे की इच्छापूर्ति के साथ स्खलन भी होता है, कहने का तात्पर्य है वो सेक्स चरम सुख प्रदान करता है, जो शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। प्रेम रुपी सेक्स गंभीर बीमारियों का इलाज़ है तो वही सेक्स के भ्रम में रेप गंभीर बीमारियों को जन्म दे देता है।

आज ज्यादातर महिलाएं बच्चेदानी की समस्याओं से जूझ रही हैं, इस समस्या का एक कारण, ज्यादातर सेक्स के भ्रम में किया गया रेप ही है। बच्चेदानी में गांठ की समस्या को ठीक करने का कारगर उपाय जानकारी के लिए यहां बोल्ड लाइन पर क्लिक किजिये। महिला पार्टनर अपने पुरुष पार्टनर कि इच्छाओं के आगे नतमस्तक रहती हैं। सेक्स के लिए वो तैयार है कि नही इसका अंदाजा लगाये बगैर पुरुष सेक्स करना शुरू कर देता है। पुरुष अपने वासना रुपी वेग को रोक पाने में असमर्थ रहता है, जबकि महिला पुरुषों की तुलना में आठ गुना अधिक सेक्सुअल होती हैं। पार्टनर महिला अभी तैयार भी नही तब तक पुरुष सेक्स के भ्रम में रेप कर पस्त हो जाता है। यहां अधजल गगरी छलकत जाए वाली वो कहावत 95 प्रतिशत पुरुष चरितार्थ करता है – आधी गगरी जल छलकता हुआ जाता है, जबकि भरी गगरी का जल छलकता जाता किसी ने नहीं देखा होगा। जिसके पास धन कम होता है उसके पास दिखावा ज्यादा होती है और जिनके पास धन की अधिकता होती है उन्हें कुछ दिखावा नहीं रहता। यहां सेक्स के मामले में बता दूँ। पुरुषों में दिखावा ज्यादा होता है। क्योंकि सेक्स रुपी धन की कमी पुरुषों में होती है। महिला तो पुरुषों से आठ गुना अधिक सेक्स रुपी धन में आगे होती हैं। सेक्स रुपी धन की अधिकता महिलाओं में होती है इसलिए उसके अंदर दिखावा नहीं पुरुष साथी की इच्छा का सम्मान कर वो सारे अत्याचार सह लेती है। जिसमें पुरुष अपनी खुशी समझ सेक्स के नाम पर रेप कर किनारे हो जाता है। असंतुष्ट महिला कुछ कह भी नही पातीं और धीरे-धीरे वो कई गंभीर बीमारियों के चपेट में आने लगती हैं। और पुरुष कमजोरी का शिकार हो जाता है।
आज आप पाठकों को सेक्स एजुकेशन अन्तर्वासना के अन्तर्गत बता रहे हैं – सेक्स का कुछ सही तरीका जिसे आजमा कर जीवन में वास्तविक प्रेम पूर्वक सेक्स का आनंद भी ले सकते हैं और ज्यादातर बीमारियों से अपने पार्टनर को बचा भी सकते हैं।

जो लोग स्वस्थ और निरोग खुद और अपने पार्टनर को रखना चाहते हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि इसका मूल केंद्र मन है। यह कहावत आपने सूना होगा मन चंगा तो कठौती में गंगा। मन के पवित्र और प्रसन्न होने पर कठौती जैसे क्षुद्र पात्र में गंगा जैसी दूर्लभ तत्व भर जाता है। यह कल्पना नही बल्कि पूर्णतया सत्य है। अपनी स्थिति के अनुसार जो भी भोजन आपको प्राप्त हो उसे पवित्रता और प्रसन्नता से ग्रहण करें। यहां आप कहने का तात्पर्य समझ रहे होगें। एक एक ग्रास के चर्वण के साथ अमृत भाव का अनुभव करते जाईए वो भोजन शरीर में अमृत ही प्रदान करेगा। मन को ऐसी स्थिति में रखिए कि मन प्रसन्न रहे और निराशा एवं क्षोभ के अंधकूप में न गिरने पावे। निर्भय और निर्द्वन्द रहिए ताकि रोग शोक आपको देखते ही उल्टे पांव लौट जाएं। कहावत सच है भूत वहीं जाता है जहां उसे बुलाया जाता है। इसी तरह रोग वहां जाता जहां उसका आदर होता है। जो रोग की आवभगत नही करता, यहां तक कि रोग आने का विचार भी मन में नही आने देता उसके अंदर तिरस्कृत अतिथि की तरह रोग वहां जाने की इच्छा नहीं करता। दुर्गुणों और कुविचारो के लिए अपने मन की कपाट मत खोलिए। क्योंकि रोग और शोक इसी का नाम है। सुविचार ही स्वास्थ्य है, प्रसन्नता ही शक्ति है। और स्त्री तो पराशक्ति है- उसके आगे हर पुरुष को नतमस्तक रहना चाहिए। उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करते हुए उसके साथ सम्बन्ध बनाने चाहिए। अपनी इच्छाओं से अधिक जब स्त्री की इच्छा पर ध्यान देते हुए सम्बन्ध स्थापित किया जाता है, तो चरम सुख की प्राप्ति दोनों को ही होती है। पुरुषों को अपनी उत्तेजना पर मन का अंकुश जरुरी होता है। स्त्रियों में इतनी आसानी से उत्तेजना तो आती भी नहीं जितना आसानी से पुरुषों में आ जाती है। 95 प्रतिशत महिलाओं में उत्तेजना आने के पहले ही पुरुष अपनी गलत रवैए से पस्त हो जाते हैं और वही महिलाओं को रोग ग्रस्त भी करते हैं।

पुरुष प्राइवेट पार्ट के अग्र भाग में थोड़ी सी कोमलता होती है वो भी मुस्लिम समुदाय को छोड़कर। लेकिन हर समुदाय कि महिलाओं का प्राइवेट पार्ट – फूल की तरह कोमल होता है। फूल को रगड़कर, नोचकर, उसके शरीर पर निशान बनाकर या बाहर भीतर घिसकर किया गया वासना पूर्ति प्रेम युक्त सेक्स नही रेप है। स्त्री के शरीर का सम्पूर्ण भाग कोमल होता है। प्राइवेट पार्ट की नसें बहुत बारीक संवेदनशील होती है। वो अगर सही तरह से तैयार हो गयी तो चरम सुख देती है और कई सारी बिमारियों को करीब भी नही आने देती। किन्तु दुर्भाग्य है स्त्री पार्टनर को बिना तैयार किए ही पुरुष अपनी अन्तर्वासना बुझाने के लिए ब्याकुल हो आग धधकने से पहले ही पानी डाल किनारे हो जाता है। स्त्री के उस आग को धधकाना इतना आसान नहीं, जितना 95 प्रतिशत पुरुष अपनी नासमझी से एकतरफा अपनी सेक्स के भ्रम में हवस की आग को बुझा लेता है। आग को प्रज्वलित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्त्री के अंगों पर अपने होठ और मुलायम हाथों का प्रयोग करना होता है। स्तन को कभी भी अपनी हाथों से निचोड़े न, स्तन पर सिर्फ अपने होठों और मूख का उपयोग करें। निचोड़ने से स्तन ढीला-ढाला हो जाता है, तत्काल तो जोश में होश खोई स्त्री को ज्यादा दर्द नही महसूस होता किन्तु जब शरीर शिथिल होता है तो घुटन भरी दर्द स्तन में महसूस होने लगती है। निचोड़ने से स्तन में गांठ होने की भी सम्भावना भी बढ़ जाती है। साथ ही ढीली होकर बदसूरत हो जाती है। लटकता स्तन स्त्री की सुन्दरता को खराब कर देती है। स्त्री इसका विरोध न करें तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी स्तन की सुन्दरता को ही खत्म कर दें। हाथों से मसलने के जगह होठों और मुख का उपयोग स्तन पर करने से स्त्री की अंगों में उत्तेजना आसानी से आने लगती है। जब उत्तेजित होने लगे नीचे प्राइवेट पार्ट रस से भींग जाये तब प्यार से चूमने सहलाने की प्रक्रिया शुरू करें। अपने मन को नियंत्रित रखें। जब आग पुरी तरह प्रज्वलित हो जाती है। तब खुद ही स्त्री की ब्याकुलता दिखने लगती है। आपके प्राइवेट पार्ट को अपने अंदर लेने के लिए जब बहुत ज्यादा ब्याकुल हो जाए तब अपने मन को थोड़ा नियंत्रित कर धीरे-धीरे चरम सुख का अनुभव होने दें, उत्तेजित बिल्कुल भी न हों। फिर सेक्स ज्यादा देर तक सुखदायी तृप्ति कर करने में दोनों ही पार्टनर सक्षम होंगे। एक साथ, एक दूसरे के एहसास से फ्लाव होगा वो आनंददायी होगा। दोनों के लिए फायदेमंद भी होगा।

ध्यान रखें झटके से जोश में होश खोकर कभी भी सेक्स न करें। संवेदनशील पार्ट में खरोच आ सकता है, फिर धीरे धीरे कुछ परेशानियां होने लगती है और कोई न कोई बिमारी का जन्म हो जाता है। झटके से किया जाने वाला सेक्स वास्तव में सेक्स नही बल प्रदर्शन कहा जाता है। बल प्रदर्शन सेक्स की श्रेणी में नहीं आता बल्कि रेप कहा जा सकता है। धैर्य के साथ अच्छे तरीके से सम्पूर्ण अंगों को प्रफुल्लित कर किया जाने वाला सेक्स अंदर ठहराव का मौका भी देता है। ज्यादा समय तक तृप्ति कर होता है और दोनों के लिए अच्छा परिणाम भी देता है। पुरुष को पुरुषत्व मिलता है और महिला को तमाम बिमारियों से बचाव। अगर वास्तविक सेक्स का चरम आनंद लेना है, तो कम से कम 45 मिनट बहुत ही प्यार से अपनी स्त्री पार्टनर के साथ ओरल सेक्स गुदा मैथुन वैसे अपने को नियंत्रित रखकर किजिये की फ्लाव न हो, स्त्री पार्टनर को तैयार करने में कम से कम 45 मिनट का समय लगता है, घंटो भी लग सकता है। फिर देखिए वो सेक्स की आग वैसे प्रज्वलित होगी जैसा आपने अपनी हवस शान्त करने में कभी देखा भी नहीं है। वास्तव में जब तक स्त्री पूरी तरह जागृत नही होती, अपनी इच्छा से पुरुष पार्टनर के अंगों को अपने अंदर लेने के लिए बहुत ब्याकुल नही होती। वो तो बस अपनी पुरुष साथी कि इच्छा का सम्मान करते पुरुष अंग को अपने भीतर ले लेती है। जो उन्हें वो सुख भी नही दे पाता जिसकी चाह होती है। केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले पुरुष बलात्कारी हैं। अपने ही साथी के साथ बल पूर्वक हरण मतलब सेक्स करना बलात्कार ही है।
बिमारियों का उत्थान या पतन

आज सर्वे के मुताबिक 70 फीसदी महिला आँर्गेज्म़ से अनजान हैं, इसका कारण सेक्स की अज्ञानता है। इस कथन को अपने अहंकार पर चोट न समझें, बल्कि अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें। महिला पराशक्ति है उसके आगे पुरुष कुछ भी नहीं, किन्तु महिला के अंदर अहंकार का त्याग है। महिला जल भरी गगरी है जो कभी छलकती नही। सात समुंदर के तरह गहरी है जिसका थाह नही। पुरुष तो अधजल गगरी है जो छलकते जाता है और उस समुंदर के आगे एक छोटे तालाब का जल जिसका थाह महिला क्षणभर में लगा लेती है। मजबूर होकर अपना फ्लाव कर लेती है जबकि उसकी इच्छा पूर्ति नही हो पाती। अपने को हारकर पुरुष को जिताने की महानता भले ही स्त्री पार्टनर करे तृप्त नही होतीं।
सेक्स का सही तरीका
अपनी स्त्री पार्टनर का समाज के सामने भले ही पैर न छूएं किन्तु जब सेक्स की इच्छा हो तब जरुर छूएं, ऐसा करने से स्त्री पार्टनर आपकी इच्छा को भांपकर अपने को तैयार होने में आपकी मदद करेगी। उसके प्रति श्रद्धा भाव रखें। इस बात का ध्यान रखें उसके पार्ट को दर्द न दें चरम सुख का आनंद दें। उसकी अग्नि प्रज्वलित होने से पहले भले ही कितना भी दम पुरुष दिखा लेता है, पर स्त्री सेक्स से अछूती ही रह जाती है। स्त्री के शरीर का वो पार्ट बहुत धीरे-धीरे तैयार होता है और बहुत देर से वो द्वार खुलता है। यह पुरुषों को समझने के लिए मन में स्थिरता रखनी पडती है कि अनुमति मिले। बिना मैडिटेशन यह सम्भव नही। अगर गहराई चाहिए चरम सुख तो ध्यान जरुरी है। ठहराव, स्थिरता, होश, धीरज, प्रेम, श्रद्धा ये सारे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन में आता है। स्त्री को अपनी हवस शान्ति के आड़ में दर्द न दें, बिमारियों से ग्रसित न करें। सेक्स एजुकेशन को समझें फिर चरम सुखदायी जीवन जीने का आनंद आयेगा। बिमारी पैदा खुद ही किया जाता है और समझ है तो बिमारियों का निदान खुद अपने हाथ में है।

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