अयोध्या श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में टपक रहा है बारिश का पानी टूटी सड़कें गीरी दिवारें जानिए निस्पक्ष कलम से भगवान राम की नगरी से भगवान चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव की कलम से।
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने सोमवार को कहा कि जनता के लिए खोले जाने के बाद पहली बारिश के बाद गर्भगृह की छत से पानी रिस रहा है। वहीं राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने मंदिर निर्माण समिति की ओर से करोड़ों रामभक्तों को आश्वस्त करना चाहती है कि मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं है और न ही कोई लापरवाही बरती गई है।
गर्भगृह की छत टपकने की शिकायत:

भव्यता का प्रतिमान गढ़ने वाले नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला पर बरसात का पानी टपकने की शिकायत व्यापक गहमागहमी पैदा करने वाली रही। मीडिया से साझा की गई यह चिंता किसी और की नहीं, बल्कि रामलला के मुख्य आचार्य सत्येंद्रदास की थी। ऐसे में जहां यह चिंता राम भक्तों को व्यथित करने वाली थी, वहीं इस शिकायत पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्रस्तुत स्पष्टीकरण भक्तों की यह व्यथा दूर करने वाला है।
निर्माण समिति की प्रतिक्रिया:
गर्भगृह की छत टपकने की समस्या पर सबसे पहले तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने अपनी राय रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पानी टपकने की बातें निराधार हैं।
मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं:
उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण समिति करोड़ों रामभक्तों को आश्वस्त करना चाहती है कि मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं है और न ही कोई लापरवाही बरती गई है। हां, यह संभव है कि मंदिर के द्वितीय तल पर गूढ़ मंडप का निर्माण अभी चल रहा है और उसका शिखर पूरी तरह से निर्मित न होने तक पानी की कुछ छींटे भूतल तक आ गई होंगी, लेकिन पानी टपकने की बात गलत है। गर्भगृह में जलनिकासी की व्यवस्था न होने पर भी मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष की सफाई सामने आई।
उन्होंने कहा, भक्तों को भगवान तक जल लेकर जाने की अनुमति ही नहीं है। गर्भगृह में जब भगवान का अभिषेक, स्नान और आचमन होता है, तो पुजारी उसे कपड़े से साफ करते रहते हैं और वहां विग्रह के पास ढाल भी बनाया गया है, ताकि जल को वहीं पर पोछ दिया जाए। सोमवार को ही मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य डा. अनिल मिश्र ने भी इस बारे में राय रखी।
वाटर प्रूफिंग का 20 प्रतिशत काम बाकी:
उन्होंने बताया कि प्रथम तल की फर्श का कुछ काम बाकी है। वाटर प्रूफिंग का भी 20 प्रतिशत काम बाकी है। बिजली की वायरिंग के भी लिए जगह-जगह छिद्र किए जाने पड़ रहे हैं। यद्यपि यह समस्या तात्कालिक है और जल्दी ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।
ज़रा सी बरसात नहीं झेल सका रामपथ, जलभराव सहित धंसी सड़कें – देखिए झूठे दावे, रेलवे स्टेशन के सामने की गिरी चहारदीवारी ने खोली गुणवत्ता की पोल:

अयोध्या में हुई मामूली बारिश के बाद रामपथ की स्थिति ने नगर निगम और प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। सड़कें धंस गईं और कई स्थानों पर चहारदीवारी गिर गई। रेलवे स्टेशन के सामने भी दीवार गिरने से यात्री परेशान हो गए। इस घटना से भगवान राम की नगरी में नगर विकास की गुणवत्ता और उसकी योजनाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अयोध्या रेलवे स्टेशन के सामने की स्थिति:
रामपथ के निर्माण के समय यह दावा किया गया था कि सड़कें टिकाऊ और मौसम की मार सहने लायक होंगी, लेकिन जरा सी बारिश ने ही इन दावों को झूठा साबित कर दिया। रेलवे स्टेशन के सामने की दीवार के गिरने से यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
सड़कें और गलियां बनी जलजमाव का शिकार:
सिर्फ रेलवे स्टेशन ही नहीं, बल्कि शहर की कई अन्य प्रमुख सड़कों और गलियों में भी भारी जलजमाव हो गया। कहीं-कहीं सड़कें धंस गईं, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। नागरिकों को आवागमन में बहुत परेशानी हो रही है। आनन-फानन में गढ़ा भरे जा रहे हैं।
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल:
यह घटना प्रशासन की कार्यशैली और उसकी निर्माण योजनाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। नगर निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया, लेकिन जनता में आक्रोश साफ नजर आ रहा है।
भविष्य की योजनाएं और सुधार:
नगर निगम ने जल्द से जल्द समस्या का समाधान करने और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए योजनाएं बनाने का आश्वासन दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और निगरानी पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि इस प्रकार की समस्याएं दोबारा न हो।
इस प्रकार की घटनाएं शहर की बुनियादी संरचनाओं की कमजोरियों को उजागर करती हैं और प्रशासन को सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर जोर देती हैं। जब तक आधा तोर आधा मोर के पैटर्न पर योजनाओं का संचालन होगा स्थिति ऐसी ही उत्पन्न होती रहेगी। जब भगवान श्री रामचन्द्रजी कि पावन नगरी कि दशा यह है तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है अन्य जगहों पर निर्माण कार्य कैसा होता होगा।
निष्कर्ष:
रामपथ का निर्माण और इसकी गुणवत्ता पर उठे सवाल प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती है। जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए प्रशासन को तत्परता से काम करना होगा और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता का ध्यान रखना होगा। आधा तोर आधा मोर के पैटर्न पर कार्य करने कराने से अच्छा होगा कि कोई इस तरह की नुकसानदायक कार्य ही न कराया जाए। पुरा हजम कर जाने से नुकसान तो नही होता।