जिम या योग शाला में जाना आज के दौर में सिर्फ फिटनेस बनाए रखने का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि यह लाइफस्टाइल और सोशल स्टेटस का हिस्सा बन चुका है। बड़े शहरों में यह चलन और भी तेज़ है, लेकिन इसके पीछे छिपे सच, नैतिकता और व्यवहार के पहलुओं पर बहुत कम बात की जाती है। यह लेख भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से एक अनुभव के जरिए इस जिम कल्चर पर रोशनी डालने का प्रयास करता है, ताकि आप फिटनेस के नाम पर मौजूद हर तरह के प्रलोभन और चालबाजियों से सतर्क रह सकें।
फिटनेस in Hindi:
फिटनेस का असली मतलब
शरीर से परे, मानसिक और नैतिक स्वास्थ्य। फिटनेस का मतलब सिर्फ मस्कुलर बॉडी या पतला दिखना नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और नैतिक स्वास्थ्य के संतुलन का बनाये रखना है।
फिटनेस के फायदे
शारीरिक- नियमित व्यायाम शरीर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखता है। शारीरिक परिश्रम न करने वाले और पौष्टिक आहार में मेवा, तेल, मसालेदार, चटपटा खाद्य पदार्थ नियमित रूप से ग्रहण करने वाले लोगों के शरीर पर चर्बी का ज्यादा बढ़ोतरी शरीर को बेढब कर देता है। मोटापा युक्त शरीर को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए आराम फरमाने वाले लोग जीम का सहारा लेना शुरू करते हैं। अपने आहार में सामान्य अंन फल का उपयोग करते हुए शारीरिक परिश्रम करने वाले लोग अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाये रखते है, उन्हें जीम जाने की आवश्यकता ही नही आती।
मानसिक- आत्मविश्वास बढ़ता है और तनाव कम होता है। तन-मन जब आत्मविश्वास से भरा रहता है, मन तनाव मुक्त रहता है, कोई मानसिक चिंता मन पर हावी नहीं रहती, तो शरीर का फिटनेस बना रहता है। चिंता युक्त मन तमाम तरह की बीमारियों को जन्म भी देती है और शारीरिक मानसिक कष्ट प्रदान करने में सहायक सिद्ध होती है। इसलिए आत्म विश्वास को बनाए रखें तनाव मुक्त स्वस्थ व निरोग जीवन का सबसे अच्छा फार्मूला यही है।
नैतिक- फिटनेस का सफर अनुशासन, ईमानदारी और प्रतिबद्धता सिखाता है। शारीरिक संयम के साथ अनुशासन में रहते हुए जिम कल्चर का उपयोग किया जाए तो न किसी जिम सेंटर की बदनामी होगी न ही जिम पर कोई सवाल उठेगा। जिम में ट्रेनर और जिम में जाने वाले महिला-पुरुष को ईमानदारी के साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। वैसे जब विपरीत लिंगों से शारीरिक और मानसिक सम्पर्क होता है तो वासना मन को परिवर्तित कर कर ही देती है। जिम संचालकों को स्त्री के साथ स्त्री और पुरुष के साथ पुरुष ट्रेनर की व्यवस्था रखनी चाहिए।
बदलाव का प्रभाव- फिटनेस के प्रति आकर्षण तो बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ नैतिकता और मूल्यों में गिरावट देखी जा रही है। आज जिम सिर्फ वर्कआउट का नहीं, बल्कि अन्य कई विवादास्पद गतिविधियों का केंद्र बन चुके हैं। आधुनिकता की दौर में इतना बदलाव नही होना चाहिए कि वासना का खेल खुलेआम नज़र आने लगे।
बॉडी फिटनेस एक्सरसाइज
body fitness exercise

छोटे शहर बनाम बड़े शहर- फिटनेस की परिभाषा में फर्क
छोटे शहरों की सादगी – छोटे शहरों में जिम की, जिम फीस ₹300 प्रति महीना तक हो सकती है। यहां के जिम का मकसद साफ होता है- लोगों को फिटनेस के लिए प्रेरित करना।
बड़े शहरों की चुनौतियां – दिल्ली, मुंबई, कोलकात्ता,बंगलोर जैसे बड़े शहरों में जिम में एडमिशन के लिए ₹20,000 एडवांस और पर्सनल ट्रेनर के लिए ₹10,000 जैसी भारी-भरकम फीस चुकानी पड़ती है।
कानपुर जिम ट्रेनर
उत्तर प्रदेश कानपुर जिम सेंटर का मामला- कुछ दिनों पहले कानपुर के एक जिम सेंटर से एक महिला कि हत्या होने के बाद बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। जिम सेंटर का पुरूष ट्रेनर – जिम ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को नशीली दवाओं का सेवन कराता था। उस जिम सेंटर में बड़े घराने की लडकियां-औरतें यहां तक कि अधिकारीयों की पत्नियाँ लडकियां भी आया करती। उस जिम सेंटर में अच्छी खासी महिलाएं ट्रेनर के गिरफ्त में आ चुकी थी, जिसके साथ ट्रेनर शारीरिक छेड़छाड़ करता और संबंध बनाता था। ऐसे में ही एक युवती ट्रेनर से शादी करने की जिद्द पर अड़ गयी लेकिन ट्रेनर शादी करना नही चाहता था, उस लड़की के साथ ट्रेनर सेंटर से लापता हो गया, युवती के परिवार से गुमशुदगी की मुकदमा दर्ज हुई, जांच-पड़ताल में युवती की लास पांच फीट गहरे गधे में दफनाया हुआ मिला। ट्रेनर को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज दी। जिम ट्रेनर कईयों महिलाओं के साथ चैट काल मैसेज भी करता था। महिलाएं नशे की आदी बन ट्रेनर के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से कतराती भी नही थीं, न ही कोई कहीं शिकायत करती थीं। कानपुर जिम सेन्टर से यह खुलासा स्पष्ट करता है कि विपरीत लिंगों के ट्रेनर शारीरिक संबंध बनाने से परहेज नहीं करते। सूत्रों के अनुसार जिम सेंटर संचालक विपरीत लिंगों को ट्रेनर के रूप में रखकर शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करा एवज़ में पैसा लेने का काम करते हैं। इस स्थिति से जिम योगा सेंटर में रिस्ते तार-तार हो रहे हैं।
ग्लैमर और प्रलोभन– बड़े शहरों में जिम फिटनेस के बजाय शो ऑफ का प्लेटफॉर्म बन गए हैं।
ट्रेनर और ग्राहक का रिश्ता: कहां हो रही है गलती?
व्यावसायिक सीमाएं- एक फिटनेस ट्रेनर का मुख्य उद्देश्य ग्राहक को सही व्यायाम तकनीक सिखाना और उनके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करना है।
सीमाओं का टूटना- हालांकि, कई बार यह रिश्ता पेशेवरता से आगे बढ़कर व्यक्तिगत या शारीरिक स्तर तक पहुंच जाता है।
ग्लैमर का इस्तेमाल- आकर्षक महिला या पुरुष ट्रेनर का चयन, ग्राहक को रिझाने और अपनी तरफ खींचने का प्रयास हो सकता है।
अनैतिक प्रस्ताव– कुछ अनुभव बताते हैं कि पैसे लेकर “साइड सर्विस” की पेशकश की जाती है।
अनुभव: जब नैतिकता का परीक्षण होता है
अनैतिक प्रलोभन- एक ग्राहक का अनुभव बताता है कि कैसे एक महिला ट्रेनर ने पहले व्यायाम के दौरान निकटता बढ़ाई और फिर शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा।
भावनात्मक दुविधा– ग्राहक के लिए यह तय करना मुश्किल था कि वह इस प्रलोभन का हिस्सा बने या अपने नैतिक मूल्यों पर कायम रहे।
आर्थिक पक्ष- ₹5000 के बदले संबंध बनाने का प्रस्ताव केवल एक ग्राहक तक सीमित नहीं था, बल्कि यह व्यापक रूप से चलने वाली गतिविधि का हिस्सा था।
जिम मालिक और ट्रेनर का गठजोड़
जिम की आड़ में अनैतिक कमाई– कुछ जिम मालिक और ट्रेनर अनैतिक कार्यों के जरिए पैसे कमाने के लिए संगठित होते हैं।
फिटनेस का मुखौटा- जिम को फिटनेस का केंद्र दिखाया जाता है, लेकिन असली कमाई स्पेशल सर्विसेज़ फिजिकल रिलेशन से होती है। लड़कियों के लिए लड़के और लड़कों के लिए लड़कियां ट्रेनर उपलब्ध करा आकर्षित किया जाता है। ग्राहक के बीच लिंग आधारित चयन जिम सेंटर मालिकों की एक रणनीति है।
नैतिकता बनाम प्रलोभन: कैसे करें सही निर्णय?
प्रलोभन से बचाव- किसी भी तरह के अनैतिक प्रस्ताव को ठुकराना न केवल सही है, बल्कि यह आपके आत्मसम्मान को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें-
फिटनेस पर ध्यान दें– जिम में जाने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य और फिटनेस को बेहतर बनाना होना चाहिए।
सीमाएं तय करें- ट्रेनर और ग्राहक के रिश्ते में स्पष्टता और पेशेवरता होनी चाहिए।
समाज और युवाओं पर प्रभाव
जिम इंडस्ट्री की छवि- ऐसी घटनाएं जिम और फिटनेस इंडस्ट्री की छवि को खराब करती हैं।
युवाओं पर गलत प्रभाव: ग्लैमर और नैतिकता का टकराव:
युवा वर्ग को यह समझना होगा कि फिटनेस के नाम पर हो रहे प्रलोभन सही नहीं हैं।
सही राह पर चलना- समाज को इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
समाधान: सही राह कैसे चुनें?
जागरूकता फैलाएं- अपना अनुभव लेखकों से या सोशल साइट्स पर साझा करें। अगर आपके साथ कुछ गलत होता है, तो उसे दबाने के बजाय दूसरों को बताएं।
सत्य को उजागर करें- अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए आखों देखी गलत रवैए को अधिकारियों तक पहुंचाएं। आज आपके द्वारा किया गया संकोच कल तमाम स्त्री-पुरुष को अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है।
सही जिम का चयन करें – ज्वाईन करने से पहलेरिसर्च करें योग सेंटर या जिम में अनैतिक गतिविधियां तो नही है। जिम सेंटर में एडमिशन लेने से पहले उसकी प्रतिष्ठा और वहां के माहौल की भली-भाँति जांच करें।
पेशेवर ट्रेनर चुनें- केवल प्रमाणित और नैतिक ट्रेनरों का चयन करें। ध्यान रखें ट्रेनर सम लिंगी हो क्योंकि पर लिंगीय ट्रेनर से जिम में प्रशिक्षण एक दूसरे के कामोत्तेजना का बढ़ा सकता है। जब पर लिंगीय शारीरिक स्पर्श होता है, तो प्राकृतिक रूप से युवा या वृद्धा अवस्था में शरीर की कामोत्तेजना बढ़ने की संभावना रहती है।

स्वास्थ्य का असली मतलब
फिटनेस का अर्थ केवल शरीर नहीं, बल्कि मानसिक और नैतिक स्वास्थ्य भी है। यह जरूरी है कि हम अपने समाज में नैतिकता और पेशेवरता को बढ़ावा दें और अनैतिक प्रलोभनों को सख्ती से नकारें। अगर आपके साथ ऐसा कोई अनुभव हुआ है, तो उसे साझा करें। यह दूसरों को सतर्क करने और सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
फिटनेस और नैतिकता का संतुलन एक संदेश
जिम केवल फिटनेस की जगह होनी चाहिए, न कि अनैतिक गतिविधियों का अड्डा। ग्राहक और ट्रेनर दोनों को अपने-अपने दायरे और सीमाओं का सम्मान करना चाहिए। अगर आप के सामने भी जिम योग सेंटर को लेकर कोई सवाल है तो हमें हवाटएप्स 7379622843 पर निशुल्क सलाह के लिए मैसेज करें। जागरूकता से सम्बन्धित यह लेखनी पसंद आई है तो अपनो को शेयर करें विचार कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।