आज के दौर में लिव-इन रिलेशनशिप को आधुनिक और प्रगतिशील जीवनशैली के रूप में प्रस्तुत किया गया है। समाज के पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, और साहित्यकार इसे नए जमाने का प्रेम समझाते हैं। परंतु, इन रिश्तों में छिपे खतरों को नजरअंदाज करना एक गंभीर भूल साबित हो सकता है।
समाज में बदलते विचारों और मान्यताओं के बीच, लिव-इन रिलेशनशिप को आधुनिक जीवन शैली का प्रतीक माना जा रहा है। बड़े-बड़े अभिनेता, अभिनेत्री, साहित्यकार, और बुद्धिजीवी इसे प्रमोट करते हैं, जिससे युवाओं में इसे अपनाने की होड़ मच गई है। परंतु, इस आकर्षक दिखने वाले रिश्ते के पीछे छिपे खतरों को नजरअंदाज करना हमारे समाज के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह राखी सावंत कि आपबीती कहानी उसी भ्रम और उसकी भयावह सच्चाई को उजागर करती है। जो लिव-इन रिलेशनशिप की कड़वी सच्चाई और इसके भयावह परिणामों को सामने लाता है।
समाज का बदलता नजरिया:
समाज में बदलाव की लहर तेज है। लोग अब परंपरागत मान्यताओं को छोड़कर नए विचारों को अपनाने लगे हैं। जाति, धर्म और विवाह जैसी संस्थाओं को अब पुरानी और अप्रासंगिक मानकर खारिज किया जा रहा है। विशेषकर युवा वर्ग, जो आधुनिकता की दौड़ में सबसे आगे है, इन विचारों को तेजी से अपना रहा है। मीडिया और समाज के प्रबुद्ध वर्ग द्वारा प्रचारित यह धारणा कि लिव-इन रिलेशनशिप एक प्रगतिशील जीवनशैली है, ने युवतियों और युवाओं को इस ओर आकर्षित किया है।
एक प्रेम कहानी का आरंभ:

इस कहानी की नायिका एक जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री राखी सावंत है, जो अपने प्रेमी के प्रेम प्रस्ताव को स्वीकार कर दो विवाह के बाद तीसरे आदिल खान दुर्रानी से प्रेम में मिलने मुम्बई से बंगलौर चली गई और आदिल खान के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगी आदिल खान एक बिजनेसमैन पैसे वाला मुस्लिम युवा है जिसने 18 लाख की उस मुलाकात और प्रेम से प्रभावित हो कार गिफ्ट किया। फिर लिव-इन रिलेशनशिप का रिस्ता निकाह में बदल गया और राखी सावंत ने अपना नाम बदल फातिमा रख ली। रिस्ते में धीरे-धीरे खटास आ गया और मामला आदिल खान के तरफ से कोर्ट जा पहुंचा। आदिल ने राखी सावंत के जिस्म से भरपूर खेलने और प्रेग्नेंट करने के बाद दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया और आदिल खान दुर्रानी अपनी मुस्लिम समुदाय में दूसरी निकाह कर ली। राखी सावंत तमाम बिमारियों से ग्रसित हो आज दर दर भटक रही है। राखी आदिल को मालदार देख लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का निर्णय लेते हुए अपने पूर्व पति रितेश राज सिंह को छोड़ चुकी थी जो इस समय राखी बनी फातिमा के बिमारी समय में राखी के भाई-बहन (फिल्म निर्देशक राकेश सावंत व पूर्व अभिनेत्री उषा सावंत) के साथ मिलकर राखी का साथ दे रहा है। समाज के प्रभाव में आकर राखी ने यह कदम उठाया, उसे यह लगा कि वह अपने जीवन का सही निर्णय ले रही है। शुरुआत में सब कुछ ठीक लगा, प्रेमी के साथ समय बिताना, बिना किसी सामाजिक बंधनों के, उसे आजादी का अनुभव हो रहा था। लेकिन आज राखी कि इज्जत की धज्जियाँ भी मिडिया में उड़ रही है और नर्क भरी जिंदगी भी बन गयी है।
पारिवारिक विरोध और समाज का प्रभाव:
हिंदू परिवार के मुम्बई में जन्मी एक पुलिस कांस्टेबल आंनद सावंत कि पत्नी जया भेड़ा की गर्भ से बेटी नीरू भेंड़ा दूसरा नाम राखी सावंत और तीसरा नाम फातिमा की मां जया भेड़ा हिन्दू धर्म की इस रिश्ते के खिलाफ थी, क्योंकि लड़का मुस्लिम धर्म का था। परंतु लड़की को माँ की बातें पुरानी और दकियानूसी लगती थीं। उसने अपनी माँ की परवाह किए बिना अपने प्रेमी आदिल खान दुर्रानी के साथ रहने का निर्णय लिया। राखी समाज के पढ़े-लिखे लोगों के विचारों से प्रभावित थी, जिन्होंने जाति और धर्म को बकवास करार दिया था। पिता को राखी सावंत का फिल्म में अपना केरियर बनाना उचित नहीं लगा जो बहुत पहले ही मना किया था लेकिन राखी सावंत मां-बाप सबको ठुकरा कर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखी। देखिए और सुनिए नीरू भेड़ा से अभिनेत्री राखी सावंत फिर लिभ-इन रिलेशनशिप से आदिल खान दुर्रानी से निकाह कर, उमरा पूरा करने गयी फातिमा कि जुबानी इस सेल्फी बीडीओ में।
रिश्ते का कड़वा सच:
कुछ समय बाद, मुस्लिम युवक आदिल से प्रेम खत्म होने लगा और उसकी जगह हिंसा ने जन्म ले ली। फातिमा के लिए अब बूरा समय, यह एक बुरा सपना जैसा है। जो प्रेम कभी उसके लिए सब कुछ था, अब वह प्रतिदिन के मारपीट और अत्याचार कोर्ट कचहरी मुकदमे में बदल गया। आदिल ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बेल्ट से मारना, नमक और मिर्च पाउडर छिड़कना, यहां तक कि फेवीक्विक से उसके होंठ चिपका देना – यह सब उसके लिए आम हो गया।
परिवार की सच्चाई:
जब राखी को अपने मुस्लिम प्रेमी आदिल खान दुर्रानी के असली रूप का पता चला, तब राखी को अपने माता-पिता की सच्चाई का एहसास हुआ। जिसे उसने अत्याचारी समझा था, वही माँ बहन भाई और दूसरा पती अब उसकी सबसे बड़ी सहारा बनी। पुलिस के सामने झूठ बोलकर अपनों को बदनाम करने वाली लड़की राखी सावंत ने जब मुस्लिम प्रेमी की तमाम यातनाएं सहनी पड़ रही है, तब वही उसके अपने जख्मों पर मरहम लगा रहे हैं।
असली नायक:

इस कहानी में असली नायक वह मुस्लिम लड़का आदिल और हिंदू लड़की राखी सावंत नहीं है, बल्कि समाज के वे तथाकथित बुद्धिजीवी, फिल्म उद्योग और मीडिया हैं, जिन्होंने बिना सोचे-समझे लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा दिया। उनका उद्देश्य समाज को प्रगतिशील बनाना था, परंतु उन्होंने युवा व युवतियों को भ्रमित कर दिया। अब अभिनेत्री राखी के लिए न समाज में इज्जत है न शोहरत। बालीवुड एक ऐसा जगह है जहां ज्यादातर मुस्लिम युवक और हिंदू युवतियां जाती हैं और हिंदू युवतियां अश्लीलता के उस आलम में इतनी गीर जाती हैं कि न उन्हें अपने परिवार के मान मर्यादा का ख्याल रहता है न अपने धर्म को बचा पाने की कोशिश। परिवार और हिंदू धर्म का मान सम्मान सब बर्बाद करना, लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा देने वाली फिल्म उद्योग की आम बात हो गई है।
समाज का दायित्व:
समाज का हर व्यक्ति यह समझे कि किसी भी नई विचारधारा को अपनाने से पहले उसकी गहराई में जाना जरूरी है। लिव-इन रिलेशनशिप पर विचार करना और उसके परिणामों को समझना बेहद आवश्यक है। ऐसी घटनाओं को बार-बार उजागर करना चाहिए, ताकि समाज की अंतिम लड़की भी इस तरह के जाल में फँसने से बच सके।
जागरूकता की आवश्यकता:
इस प्रकार की घटनाओं की खबरें जब भी आप पाठकों के सामने आएं, साझा करें और चर्चा करें। यही एकमात्र उपाय है समाज में जागरूकता फैलाने का और ऐसी त्रासदियों को रोकने का। समाज का हर व्यक्ति इन घटनाओं से सबक ले और अपने निर्णयों को सोच-समझ कर ले। यही सच्ची आधुनिकता है।
समाज को आईना:
यह घटना एक आईना है, जो हमें दिखाती है कि आधुनिकता के नाम पर अपनाई जाने वाली हर नई चीज़ सही नहीं होती है। यह जरूरी है कि हम ऐसी घटनाओं पर चर्चा करें, इन्हें समाज के सामने लाएं, ताकि अगली पीढ़ी इन गलतियों से सबक ले सके।
लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति समाज का नजरिया बदल रहा है, परंतु इसके परिणामों को समझना और उनके प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है। युवाओं को चाहिए कि वे समाज के दबाव में आकर कोई भी कदम उठाने से पहले उसकी गहराई में जाएं और समझदारी से निर्णय लें। इस कहानी ने यह साबित कर दिया है कि सच्चे प्रेम और आधुनिकता के नाम पर किए गए निर्णयों के बीच एक बारीक रेखा होती है, जिसे पार करना बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
शिक्षा –
लिव-इन रिलेशनशिप की यह छोटी-सी हकीकत कहानी यह सिखाता है कि समाज में बदलाव जरूरी है, परंतु बिना समझे-बूझे किसी भी नई विचारधारा को अपनाना सही नहीं है। समाज को चाहिए कि वह इस प्रकार की घटनाओं से सबक ले और अपने युवाओं को सही दिशा दिखाए। यही सही मायनों में प्रगति और आधुनिकता होगी।

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