शर्तों का पालन करने वाले पट्टाधारक किसानों की भूमि को राज्य सरकार के नाम न करने के लिए डीएम को दिया पत्रक

Amit Srivastav

देवरिया। भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के राजपुर गांव निवासी समाजसेवी जटाशंकर सिंह ने बुधवार को जिलाधिकारी दिव्या मित्तल को पत्र सौंपकर क्षेत्र के चकिया कोठी के ऐसे पट्टाधारक किसानों की भूमि को राज्य सरकार के नाम न करने की अपील की है, जिन्होंने अपनी भूमि को क्रय- विक्रय से सुरक्षित रखते हुए पट्टा शर्तों का पालन किया है।वहीं जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में मुख्य राजस्व अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए हैं। डीएम व सीआरओ को सौंपे गए पत्र में जटाशंकर सिंह ने कहा है कि भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के चकिया कोठी में वर्ष 1973 में मंडलायुक्त गोरखपुर द्वारा सैकड़ों भूमिहीन किसानों व पूर्व सैनिकों के नाम कृषि भूमि का पट्टा आवंटित किया गया था। तभी से पट्टाधारक किसान अपनी भूमि पर कृषि कार्य निरन्तर करते चले आ रहे हैं। पिछले वर्ष 2023 में एक अधिवक्ता ने तत्कालीन जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर यह अवगत कराया था कि चकिया कोठी, रतसिया कोठी व प्रतापपुर कोठी की सीलिंग की भूमि को अवैध तरीके से खरीद-विक्री की जा रही है। उसी शिकायती पत्र के परिपेक्ष्य में सीआरओ देवरिया द्वारा सीलिंग की भूमि की खरीद-विक्री पर रोक लगा दी गई। लेकिन मनमाने तरीके से तत्कालीन तहसीलदार भाटपार रानी द्वारा 27 जुलाई 2023 को चकिया कोठी के सभी पट्टाधारक किसानों की खतौनियों पर दूसरे का आदेश से सम्बंधित इंद्राज दर्ज कर दिया गया। जबकि महमूद आलम पुत्र भोज, सफीउल्लाह पुत्र हनीफ, इसरारुलहक पुत्र शकूर सहित तमाम पट्टाधारक किसानों ने अपने पट्टे की भूमि क्रय- विक्रय से बचाकर सुरक्षित रखते हुए पट्टा शर्तों का पूर्णतः पालन किया है। लेकिन तहसील भाटपार रानी द्वारा इन किसानों की खतौनियों पर भी दूसरे का आदेश सम्बन्धित इंद्राज दर्ज कर दिया गया है। उक्त दर्ज इंद्राज हटाए जाने को लेकर किसानों द्वारा भाटपार रानी तहसील परिसर में उत्तर प्रदेश किसान सभा के नेता कामरेड साधुशरण के नेतृत्व में दर्जनों बार धरना भी दिया जा चुका है। इसके अलावा इस समस्या को लेकर चकिया कोठी के किसानों ने इस साल सम्पन्न लोकसभा चुनाव की बहिष्कार की घोषणा भी कर दिया था। मौके पर पहुंचे एसडीएम व तहसीलदार भाटपार रानी ने लोकसभा चुनाव के बाद किसानों की खतौनियों पर दर्ज दूसरे के आदेश से सम्बंधित इंद्राज हटाए जाने का आश्वासन देते हुए किसानों को समझा-बुझाकर वोट बहिष्कार को खत्म करा दिया था। वहीं डीएम के निर्देश पर मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा अपनी पट्टे की भूमि को सुरक्षित रखने वाले किसानों की खतौनियों से दर्ज दूसरे का आदेश से सम्बंधित इंद्राज हटाए जाने का आदेश एसडीएम भाटपार रानी को दी गई थी। तहसील प्रशासन द्वारा इंद्राज हटाए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। लेकिन दिनांक 30 अगस्त 2024 को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के द्वारा यह जानकारी मिली है कि मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा चकिया कोठी व रतसिया कोठी के सीलिंग की सभी भूमि को राज्य सरकार के नाम करने का आदेश पारित कर दिया गया है। यदि अपनी भूमि को खरीद-बिक्री से परे रखने वाले चकिया कोठी के तमाम पट्टाधारक किसानों के पट्टे की भूमि पर भी यह आदेश लागू होता है तो यह अत्यंत अन्यायपूर्ण होगा।

शर्तों का पालन करने वाले पट्टाधारक किसानों की भूमि को राज्य सरकार के नाम न करने के लिए डीएम को दिया पत्रक

शिकायतकर्ता श्री सिंह ने बताया कि डीएम व सीआरओ ने पट्टा शर्तों का पालन करने वाले किसानों की भूमि को किसी भी प्रकार की नुकसान न होने देने का आश्वासन देते हुए एसडीएम भाटपार रानी को आवश्यक निर्देश दिए हैं।

देवरिया से मकसूद अहमद कि रिपोर्ट।

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