भारतीय पौराणिक कथाओं में आदि योगी भगवान शिव, मायापति भगवान विष्णु कि मोहिनी रूप से आकर्षित शिव का प्रेम संबंध के फलस्वरूप भगवान अयप्पा का जन्म और अयप्पा के द्वारा महिषासुर की बहन महिषी का वध से जुड़ी कथा न केवल अद्भुत है, बल्कि आध्यात्मिक, धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कथा धर्म, माया और दिव्य शक्तियों के समन्वय की कहानी है, जिसमें भगवान अयप्पा के जन्म और उनकी महानता को विशेष रूप से दर्शाया गया है। मोहिनी भगवान विष्णु का वह अद्वितीय स्त्री रूप है, जिसे उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान अमृत की रक्षा करने और असुरों को छलने के लिए धारण किया था। यह रूप इतना आकर्षक और चित्ताकर्षक था कि देवता और असुर, सभी उनकी ओर खिंच गए थे। इस शिव व मोहिनी प्रेम सम्बंध का संदर्भ समुद्र मंथन से लेकर पौराणिक कहानी कि शुरूआत करते हैं। जब महा आदि योगी शिव मोहिनी पर मोहित हो प्रेम संबंध में जाने से अपने आप को नही रोक सके तो भला आम योगी या स्त्री-पुरुष अपने आप को कैसे रोक सकता। इस रोचक घटना पर आधारित मनोरंजक एवं विचारणीय पौराणिक कहानी को अंत तक पढ़िए भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी से। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो समुद्र से बहुत कुछ प्राप्त हुआ था यह तो आप सबको पता ही है। उसी समुद्र मंथन से अमृत का कलश भी निकला। अमृत पर अधिकार जमाने के लिए असुरों ने चालाकी शुरू कर दी। तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। भगवान विष्णु का मोहिनी रूप में इतना आकर्षण था कि असुरों सहित देवता भी मोहित हो गये। मोहिनी ने अपनी बुद्धिमत्ता और माया से अमृत को सुरक्षित रखते हुए देवताओं में वितरित कर दिया। माया पति विष्णुजी का मोहिनी रूप इतना सुंदर था कि देखने के लिए आदि योगी भगवान शिव भी लालायित हो गए।
भगवान शिव का मोहिनी से मिलन
मोहिनी के इस सुंदर रूप के बारे में सुनकर आदि योगी भगवान शिव मोहिनी को देखने की इच्छा प्रकट की। भगवान शिव की व्याकुलता को देखकर भगवान विष्णु ने उनका आग्रह स्वीकार कर मोहिनी रूप में भगवान शिव के सामने प्रकट हुए। जब शिव ने मोहिनी को देखा, तो वे भी उसकी दिव्य सुंदरता से मोहित हो गए। आदि योगी शिव मोहिनी के प्रति मन में उभरते प्रेम को रोक न सके और मोहिनी के समक्ष अपने प्रेम का प्रस्ताव रख दिया। इस घटना का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि माया, जो भगवान विष्णु का ही रूप है, स्वयं शिव जैसे तपस्वी और महायोगी को भी प्रभावित कर दी तो भला मनुष्य माया के प्रभाव से अपने आप को कैसे बचा सकता है।
मोहिनी किसकी देवी है?
मोहिनी को किसी विशिष्ट देवी के रूप में नहीं पूजा जाता है, लेकिन उनका संबंध माया, मोह, और आकर्षण से है।
माया की अधिष्ठात्री- मोहिनी सृष्टि की माया शक्ति की प्रतिनिधि हैं, जो ईश्वर की लीला का हिस्सा है।
आदि योगी शिव और मोहिनी के दिव्य मिलन से भगवान अयप्पा का जन्म

आदि योगी भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु के स्त्री रूप) के इस मिलन संबंध से एक दिव्य पुत्र का जन्म हुआ, जिसे भगवान अयप्पा कहा जाता है।
शिव मोहिनी सम्बन्ध से भगवान अयप्पा का जन्म: उद्देश्य और पौराणिक कथा
महिषी को ब्रह्मा जी का वरदान
महिषासुर की बहन महिषी ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कि थी की उसका वध केवल भगवान शिव और विष्णु के शारीरिक संबंध से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही हो सके । इस वरदान के कारण महिषी अजेय हो गई थी और पूरे लोक में आतंक फैलाने लगी थी।
महिषी के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए आदि योगी भगवान शिव और भगवान विष्णु सृष्टि चक्र के असंतुलन को संतुलित करने के लिए यह दिव्य योजना बनाई और समुद्र मंथन के समय असुरों को अमृत पान करने और अमर होने से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया वो रूप इतना मोहक था कि असुरों सहित देवता भी मोहिनी से मोहित हो गये यहां तक कि आदि योगी भगवान शिव ने मोहिनी रूप के साथ सम्बन्ध बनाने की इच्छा व्यक्त की जिसे मोहिनी ने स्वीकार किया और मिलन के फलस्वरूप भगवान अयप्पा का जन्म धर्म और न्याय की स्थापना के लिए हुआ।
पंडलम राजवंश में पालन-पोषण- भगवान अयप्पा को जन्म के बाद पंडलम के राजा राजशेखरन ने गोद लिया। राजा और रानी ने उन्हें अपना पुत्र मानकर उनका पालन-पोषण किया। राजा और उनकी रानी के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अयप्पा को बड़े स्नेह और प्यार से पाला। अयप्पा को मानवता की सेवा, धर्म का पालन और शत्रुओं से रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। राजा ने उनका नाम “मणिकंदन” रखा क्योंकि उनके गले में एक दिव्य मणि (रत्न) था। राजा राजशेखरन ने अयप्पा को युद्ध, वेद, शास्त्र और धर्म की शिक्षा दी। मणिकंदन ने कम उम्र में ही असाधारण बुद्धिमत्ता और शक्ति का परिचय दिया। जब भगवान अयप्पा ने अपनी शक्तियों को पूर्ण रूप से प्रकट किया, तो उन्होंने महिषी का वध किया और देवताओं को उनके भय से मुक्त किया।
भगवान अयप्पा किसके पुत्र हैं
भगवान अयप्पा को “हरिहरपुत्र” कहा जाता है, क्योंकि वे भगवान शिव (हर) और भगवान विष्णु (हरि) के संयुक्त रूप हैं। ये धर्म, न्याय, और अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं। उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा और अधर्म का नाश करना था।
सबरीमाला मंदिर: भगवान अयप्पा का धाम
दक्षिण भारत में स्थित सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा का मुख्य तीर्थस्थल है। यह मंदिर केरल के जंगलों के बीच पहाड़ों पर स्थित है। यहाँ हर वर्ष लाखों भक्त 41 दिन का व्रत रखते हुए दर्शन के लिए आते हैं। सबरीमाला की यात्रा कठोर तप, शुद्ध आचरण, और आत्मसंयम का प्रतीक मानी जाती है।
भगवान अयप्पा का आध्यात्मिक संदेश
धर्म और सत्य का मार्ग- भगवान अयप्पा का जीवन यह सिखाता है कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने से सभी कठिनाइयों को पार किया जा सकता है।
समर्पण और तपस्या- उनके उपासक 41 दिन के व्रत में सादा जीवन, आत्मसंयम और भक्ति का पालन करते हैं। यह भक्ति और तपस्या के महत्व को दर्शाता है।
समानता और भाईचारा- सबरीमाला में जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव से परे होकर सभी भक्त भगवान अयप्पा की पूजा करते हैं।
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शिव और मोहिनी से अयप्पा की उत्पत्ति और समाज के लिए रहस्मय शिक्षा
शिव और मोहिनी का प्रेम कथा केवल कामवासना की नहीं, बल्कि सृष्टि में संतुलन और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक है।
शिव और मोहिनी के प्रेम से जन्मे भगवान अयप्पा का उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना करना था। यह प्रेम सम्बंध पर आधारित कथा दिखाता है कि हर दिव्य घटना के पीछे एक गहन उद्देश्य छिपा होता है।
यह कथा बताती है कि माया (मोहिनी) से बच पाना कठिन है, भले ही कोई योगी या तपस्वी हो। लेकिन इसका सही उपयोग धर्म और न्याय के लिए किया जा सकता है।
शिव और मोहिनी की कथा हमें सिखाती है कि ईश्वर की हर लीला सृष्टि के संतुलन और जीवों के कल्याण के लिए होती है।
यह प्रेम कथा दिव्य प्रेम का प्रतीक है, जिसमें आत्मा (शिव) और माया (मोहिनी) का समन्वय सृष्टि के उच्चतम उद्देश्य की पूर्ति करता है।
भगवान शिव, मोहिनी और भगवान अयप्पा की कथा न केवल पौराणिक, बल्कि दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में धर्म, न्याय और तपस्या के साथ किसी भी चुनौती को स्वीकार किया जा सकता है। भगवान अयप्पा की पूजा और उनकी कथा हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
भगवान शिव और मोहिनी की प्रेम कथा धर्म, प्रेम और माया के गहन रहस्यों को प्रकट करती है। यह कथा यह सिखाती है कि हर दिव्य घटना का एक उद्देश्य होता है, चाहे वह माया और योग का मिलन ही क्यों न हो। शिव और मोहिनी की यह प्रेम कथा भगवान अयप्पा के जन्म की पृष्ठभूमि और सृष्टि के संतुलन की अनूठी व्याख्या है।
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