देवरिया सदर क्षेत्र का पिपरपाती–बैकुन्ठपुर नहर मार्ग आज अपनी जर्जर स्थिति के कारण लोगों के लिए किसी अभिशाप से कम साबित नहीं हो रहा है। यह सड़क, जो सोनूघाट से बरहज तक जुड़ाव का महत्वपूर्ण मार्ग है, हल्की-सी बरसात में भी पूरी तरह से गड्ढों और दलदल में तब्दील हो जाती है। प्रदेश सरकार जहां एक ओर “गड्ढामुक्त सड़क” का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर देवरहवा बाबा की नगरी कहे जाने वाले देवरिया जनपद की यह प्रमुख सड़क सरकार के दावों की पोल खोलती नज़र आती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीनों से इस सड़क की मरम्मत तक नहीं हुई है। जिस वजह से सड़क पर छोटे-बड़े गड्ढे बन गए हैं और हल्की बारिश में यह गड्ढे जलभराव के कारण पूरी तरह से छिप जाते हैं। राहगीर और वाहन चालक यह समझ ही नहीं पाते कि कहां गड्ढा है और कहां सुरक्षित मार्ग, जिसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं होना अब आम बात बन गई है।

सोनूघाट से बरहज मार्ग पर चलते हुए हर यात्री को अपनी जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ता है। स्थिति यह है कि जब भी बारिश होती है तो गड्ढों में भरा पानी सड़क को तालाब जैसा बना देता है। नतीजतन, बाइक सवार फिसलकर गिर जाते हैं और चार पहिया वाहन चालकों को गाड़ी का संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो गहरे गड्ढों में गिरकर लोगों को गंभीर चोटें भी आई हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से बनी हुई है। सरकार की ओर से इस मार्ग की ओर ध्यान न दिए जाने से लोगों में आक्रोश पनपने लगा है।
प्रदेश सरकार की ओर से आए दिन अखबारों और समाचार चैनलों में यह खबर प्रसारित की जाती है कि उत्तर प्रदेश की सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री स्वयं हर मंच पर इस दावे को दोहराते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर स्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं। देवरिया का यह मार्ग इस दावे को झुठलाता हुआ दिखाई देता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार वास्तव में गड्ढामुक्त सड़कें चाहती है तो पिपरपाती से बैकुन्ठपुर जाने वाले इस मार्ग की तत्काल मरम्मत करानी चाहिए।
यह मार्ग सिर्फ ग्रामीणों के लिए ही नहीं बल्कि व्यापारियों और किसानों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसान इसी सड़क से होकर अपनी उपज को बाजारों तक पहुंचाते हैं, लेकिन टूटी-फूटी सड़क के कारण समय पर माल नहीं पहुंच पाता और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। व्यापारी भी बताते हैं कि आए दिन सड़क खराब रहने के कारण परिवहन की दिक्कत बढ़ गई है, जिससे उनका धंधा प्रभावित हो रहा है। यह मार्ग ग्रामीण अंचल को मुख्य बाज़ार और कस्बों से जोड़ने का काम करता है, ऐसे में इसकी बदहाली पूरे क्षेत्र की प्रगति में बाधक साबित हो रही है।
स्थानीय निवासियों ने कई बार इस मुद्दे को पंचायत स्तर से लेकर जिला प्रशासन तक उठाया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। नतीजा यह है कि समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों ने अब सीधे सांसद और विधायक से गुहार लगाई है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और तत्काल सड़क की मरम्मत करवाएं। लोगों का कहना है कि सरकार यदि वास्तव में जनता की तकलीफों को लेकर संवेदनशील है तो यह काम प्राथमिकता में होना चाहिए।

सड़क की खराब स्थिति का सबसे ज्यादा खामियाजा स्कूली बच्चों और मरीजों को उठाना पड़ता है। जब बच्चे स्कूल जाने के लिए इस मार्ग से गुजरते हैं तो कई बार बारिश में गिरकर घायल हो जाते हैं। वहीं, बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने में एंबुलेंस चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाता, जिसकी वजह से उसकी हालत और गंभीर हो जाती है। इस सड़क की बदहाली से आम जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है।
सोनूघाट से बरहज मार्ग पर रहने वाले कई ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही में एक वृद्ध व्यक्ति बारिश में गड्ढे में गिरकर बुरी तरह घायल हो गए। इसी तरह, कई बाइक सवार आए दिन चोटिल हो रहे हैं। ऐसे हादसे यह स्पष्ट करते हैं कि सड़क की खराब स्थिति केवल असुविधा ही नहीं बल्कि लोगों की जान के लिए भी खतरा बन चुकी है। यही वजह है कि ग्रामीण अब इसे गंभीर मुद्दे के रूप में उठा रहे हैं और शासन-प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस सड़क को दुरुस्त किया जाए।
जनपद देवरिया धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण जिला है। यहां देश-विदेश से लोग देवरहवा बाबा के दर्शन करने आते हैं। लेकिन जब वे ऐसी टूटी-फूटी सड़कों से गुजरते हैं तो जिले की छवि धूमिल होती है। विकास और सुगम यातायात के दावों के बीच जर्जर सड़कें सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती हैं। क्या यह उचित नहीं होगा कि जिस नगरी को लोग आस्था और भक्ति के केंद्र के रूप में देखते हैं, वहां की सड़कें भी श्रद्धालुओं और स्थानीय जनता के लिए सुरक्षित और सुगम हों?
लोगों का यह भी कहना है कि चुनाव के समय नेताओं द्वारा सड़क निर्माण और मरम्मत का वादा तो किया जाता है, लेकिन चुनाव बीतते ही यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है। आज हालात यह हैं कि बरसात के दिनों में सड़क पर चलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं की गई तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
अतः यह आवश्यक है कि सांसद और विधायक इस सड़क की दुर्दशा का संज्ञान लें और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए बाध्य करें। पिपरपाती से बैकुन्ठपुर नहर मार्ग की मरम्मत न सिर्फ एक विकास कार्य होगा बल्कि यह जनता को राहत देने का भी काम करेगा। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह अपने गड्ढामुक्त सड़क के दावे को धरातल पर सच साबित करे और देवरिया की इस जीवनरेखा को दुरुस्त कराए।
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