उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और देवरिया जनपद में स्ट्रॉबेरी की खेती एक नया ट्रेंड बनती जा रही है। यहां के किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर व्यावसायिक और लाभकारी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। जनपद देवरिया के विकासखंड बनकटा के गांव टड़वा में स्ट्रॉबेरी की खेती लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को हो रहा बड़ा मुनाफा
लालजी कुशवाहा, जो पहले से ही स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर रहे हैं, उन्होंने इस बार टड़वा गांव में एक एकड़ जमीन लीज पर लेकर स्ट्रॉबेरी उगाई है। उनका यह प्रयास क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन रहा है।
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जानिए कैसे हुई स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत?

लालजी कुशवाहा ने 29 सितंबर को पुणे से विंटर डाउन प्रजाति की स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाए। इनकी रोपाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में की गई। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकी सलाह लेकर रेज्ड बेड पद्धति अपनाई और पॉलिथीन मल्चिंग एवं ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया। इन उपायों से उनकी फसल को कई फायदे हुए, जैसे –
✅ नमी का संरक्षण हुआ, जिससे पानी की बचत हुई।
✅ खरपतवार और कीटों का प्रभाव कम हुआ।
✅ फसल का उत्पादन बेहतर हुआ।
जानिए कितना हुआ खर्च और कितनी होगी आमदनी?
लालजी कुशवाहा ने अपनी स्ट्रॉबेरी की खेती पर अब तक कुल 8 लाख रुपये खर्च किए हैं। इसमें –
✔️ 5 लाख रुपये खेती पर (बीज, खाद, ड्रिप सिस्टम आदि)
✔️ 3 लाख रुपये घेराबंदी, पैकिंग और रहने की व्यवस्था पर
👉 उनकी कुल अनुमानित आमदनी 12 लाख रुपये है।
👉 अगर सिर्फ खेती की लागत देखी जाए, तो 5 लाख रुपये की लागत पर 12 लाख रुपये का मुनाफा होगा।
👉 उनका सेटअप अब आने वाली फसल के लिए भी उपयोगी रहेगा, जिससे भविष्य में लाभ और अधिक बढ़ सकता है।
जानिए सरकार से क्या मदद मिलेगी?
जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह यादव ने बताया कि जनपद-देवरिया कुशीनगर को ओद्योनिक मिशन योजना में शामिल कर लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत –
🔹 फल, सब्जी, फूल, मशरूम और औषधीय पौधों की खेती पर किसानों को सरकारी सब्सिडी मिलेगी।
🔹 स्ट्रॉबेरी की खेती पर 40% तक सब्सिडी उपलब्ध होगी।
🔹 एक हेक्टेयर खेती पर 2 लाख रुपये की लागत का आकलन किया गया है।
यह योजनाएं किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
विशेषज्ञों की राय: क्यों फायदेमंद है स्ट्रॉबेरी की खेती?
कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ डॉ. रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए एक बड़ा अवसर बन सकती है।
💡 लाभदायक फसल: यह अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में कम समय में अधिक मुनाफा देती है।
💡 तकनीकी खेती: अगर किसान रेज्ड बेड, मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों का उपयोग करें, तो कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
💡 बाजार में मांग: भारत में स्ट्रॉबेरी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे इसकी बिक्री में फायदा हो सकता है।
डॉ. श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि लालजी कुशवाहा ने सही तकनीकों को अपनाकर खेती की, जिससे उनकी फसल बेहद अच्छी स्थिति में है।
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जानिए क्या अन्य किसान भी कर सकते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती?
अगर कोई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करना चाहता है, तो उसे कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी।
✔️ सही जलवायु और मिट्टी का चुनाव – स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है।
✔️ तकनीकी जानकारी – कृषि विज्ञान केंद्र या उद्यान विभाग से मार्गदर्शन लेकर खेती करनी चाहिए।
✔️ बाजार और विपणन रणनीति – स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने से पहले बाजार की संभावनाओं और बिक्री के तरीकों को समझना जरूरी है।
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क्या स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को फायदा होगा?
स्ट्रॉबेरी की खेती उत्तर प्रदेश में एक नई क्रांति ला सकती है।
✅ कम समय में अधिक मुनाफा
✅ आधुनिक तकनीकों का उपयोग
✅ सरकारी योजनाओं से आर्थिक सहायता
यदि किसान तकनीकी खेती और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करें, तो वे कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।उद्यान विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र लगातार किसानों को नए अवसरों और तकनीकों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
👉 इसलिए, स्ट्रॉबेरी की खेती उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जो कृषि में नवाचार और अधिक लाभ की तलाश में हैं।