बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली, हरसिद्धि उज्जैन

Amit Srivastav

बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली, हरसिद्धि उज्जैन

सती के 51 शक्तिपीठों में महाकाली उज्जैन का महत्व विषेश रूप से है। यहां महाकाली शक्तिपीठ के रक्षक भैरव महाकाल 12 ज्योतिर्लिंगों में विषेश महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग सहित इस क्षेत्र में माता महाकाली शक्तिपीठ धार्मिक दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह वह स्थान है जहां सती का ऊपरी होंठ गिरा था और शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त हुआ। इस स्थान की मान्यता प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और अपने अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए यह महाकालेश्वर, महाकाली, हरसिद्धी माता का उज्जैनी क्षेत्र प्रसिद्ध है।

महाकाली शक्तिपीठ और महाकाल का संबंध:

51 शक्तिपीठों में बारहवीं महाकाली शक्तिपीठ मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट स्थित है। इस स्थान का विषेश महत्व इसलिए है कि यहां दो शक्तिपीठ महाकाली व हरसिद्धि देवी सहित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना की जाती है और यही महाकालेश्वर महाकाली और हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ के भैरव रुप में महाकाल के कहे जाते हैं। मान्यता यह भी है कि देवी महाकाली के शक्तिपीठ की रक्षा के साथ साथ नियमित प्रथम पूजा काल भैरव महाकाल करते हैं। भक्त जन महाकाली की पूजा-अर्चना के साथ महाकाल की अराधना करते हैं। इसलिए इस शक्तिपीठ पर महाकाली शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का अद्भुत संगम है।
सती के ऊपरी होंठ से महाकाली जिसे गढ़ कालिका भी कहा जाता है व केहूनी भाग से हरसिद्धि शक्तिपीठ के पास स्थापित उज्जैन में महाकालेश्वर स्यम् 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग रूप में काल भैरव महाकाल हैं और उज्जैन का यह शिव सती का अंश संगम मंदिर, हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। आपको बता दें यहां दैवीय उर्जा से एहसास होता है कि भगवान शिव महाकाल के रूप में यहां साक्षात रूप से प्रकट होते हैं। भगवान शिव देवी सती के ऊपरी होंठ से स्थापित शक्तिपीठ महाकाली और केहूनी भाग से स्थापित हरसिद्धि देवी की रक्षा करते हैं। सती अंश दो शक्तिपीठ और शिव रूप महाकाल की यह अद्भुत जोड़ी तांत्रिकों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यहां तंत्र मंत्र विद्या के साधक सदा उपस्थित रहते हैं और अपनी तंत्र-मंत्र साधना करते हैं। यहीं माता की कृपा से महा मुर्ख कालीदास महा ज्ञान प्राप्त किए थे।

बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली, हरसिद्धि उज्जैन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग:

धर्म ग्रंथों एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग मे से एक है। इस ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है और यह ज्योतिर्लिंग सहित दो शक्तिपीठ मालवा क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल में से एक है। इस भैरव रूपी महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर का उल्लेख रामायण, महाभारत सहित विभिन्न ग्रंथों व पुराणों में मिलता है। यह ज्योतिर्लिंग व शक्तिपीठ मंदिर अपनी अत्यधिक आध्यात्मिक ऊर्जा सहित भगवान शिव के भैरव रूप महाकाल की उपासना के लिए विशेष प्रसिद्ध है। यहां हर रोज हजारों श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। श्रावण मास में और नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।

महाकाली और तांत्रिक साधना:

यहां उज्जैन स्थित महाकाली शक्तिपीठ मंदिर तंत्र-मंत्र साधना के लिए विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। तंत्र विद्या की साधना के लिए यह उज्जैन कि महाकाली शक्तिपीठ अत्यधिक प्रसिद्ध है, यहां साधक अपनी साधना द्वारा शक्ति प्राप्त करने का माध्यम बनाते हैं। यहाँ महाकाली, हरसिद्धि देवी और महाकाल सदैव जागृत अवस्था में रहते हैं, जिससे यहां दैवीय ऊर्जा का संचार होता रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरसिद्धि देवी दिन में गुजरात के हरसद गांव मंदिर तो रात्रि काल में रूद्र सागर तालाब के पश्चिमी तट पर उज्जैन अपने शक्तिपीठ मे विश्राम करती हैं।

बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली, हरसिद्धि उज्जैन

महाकाली शक्तिपीठ का ऐतिहासिक महत्व:

प्राचीन काल से, उज्जैन एक महत्वपूर्ण धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यह नगर मौर्य, गुप्त जैसे तमाम महान शासकों का प्रिय केंद्र रहा है। माता की भक्ति से विक्रमादित्य सैकड़ों वर्षों तक उज्जैनी में राज किया था। उज्जैन की इस बारहवीं महाकाली शक्तिपीठ को विभिन्न राजाओं और भक्त जनों द्वारा महत्वपूर्ण संरक्षण दिया गया है, जिससे यह शक्तिपीठ सनातन धर्म हिंदू समुदाय का एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित है।

हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ का ऐतिहासिक महत्व:

यहां माता हरसिद्धि देवी सभी मनोकामनाओं को सहजभाव से पूजा-अर्चना करने पर भी अपने भक्तों पर प्रशन्न रहती हैं और मन इच्छित फल देने वाली हैं। महाकवि कालीदास एक महा मुर्ख व्यक्ति थे उनके मुर्खता का वृतांत कईयों इतिहासकारों ने वर्णन किया है। जंगल में लकड़ी लाने गये थे जिस डाल पर बैठे थे उसी डाल को काट रहे थे, इससे भी बड़ी मुर्खता तो तब जब पत्नी अपने पिता के घर बहुत मुश्किल से विदा हो चली गई अपनी पत्नी बियोग में वर्षा रितू में उफनती नही को मृतक के सहारे पार कर मृत सर्प को रस्सी समझ उसके सहारे पेड़ से अपने ससुराल की आंगन में उतर पत्नी से अर्ध रात्रि में मिले जिससे पत्नी ने भला-बुरा कहा और वहीं से भक्ति मार्ग पर अग्रसर हो माता की शरण में चले गए जिसके फलस्वरूप महा ज्ञान की प्राप्ति हुई और आज महाकवि कालिदास एक सुप्रसिद्ध विद्वान के रूप में जाने जाते हैं।

धार्मिक उत्सव एवम अनुष्ठान:

बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली मंदिर यहां उज्जैन में कई धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं, खासकर नवरात्रि के दिनों में यहां देवी महाकाली की विभिन्न तरह से पूजा अर्चना की जाती है और भक्त जन यहां बड़ी संख्या में नियमित रूप से एकत्रित होते हैं। इस महाकाली और महाकाल मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठानों का आयोजन होता रहता है। यहां देवी सती अंश महाकाली की उग्र रूप और हरसिद्धि देवी की सौम्य रुप की पूजा-अर्चना की जाती है।

बारहवीं शक्तिपीठ महाकाली, हरसिद्धि उज्जैन

धार्मिक और पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने पिता पृथ्वी सम्राट दक्ष प्रजापति के यज्ञ में बिना निमंत्रण भगवान शिव से हठपूर्वक आज्ञा लेकर चली गईं, तब वहां अपने स्वामी भगवान शिव के लिए कोई आसन न देख पिता दक्ष प्रजापति से इसका कारण पूछा तो दक्ष प्रजापति ने अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करने लगा, जिससे सती अपने स्वामी के अपमान को सह नहीं सकीं और क्रोधित हो योगाग्नि प्रज्वलित कर, अपने प्राण त्याग दीं। दक्ष प्रजापति कि अभद्रता और अनर्थ की सूचना शिव गणों ने भगवान शिव को पहुंचाया। इस वियोग भरी स्थिति से शिव सती के प्रेम में व्याकुल हो क्रोधित हो उठे जिससे भद्रकाली का आगमन हुआ। उग्र भद्रकाली और क्रोधित शिव की जटा से उत्पन्न भद्रकाल ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को नष्ट कर, सभी को पराजित करते, दक्ष प्रजापति के सर को धड़ से अलग कर दिया। देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर दे जीवन दान दिया और सती के शरीर को लेकर सृष्टि में विचलन करने लगे, जिससे सृष्टि में प्रलय की स्थिति बन गई। यह विकट स्थिति देख भगवान विष्णु ने आदिशक्ति से रक्षा के लिए आग्रह किया, तब आदिशक्ति जगत जननी ने विष्णु जी को अपने चक्र सुदर्शन से सती के शरीर को शिव से अलग करने के लिए आदेश दीं। विष्णु भगवान के चक्र सुदर्शन से सती का शरीर 51 भागों में विभाजित हो पृथ्वी पर गिरे। सती के अंग आभुषण जहां जहां गिरा वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गया। शिव इन शक्तिपीठों पर भैरव के रूप में स्थापित हो सती के अंग आभुषण से निर्मित शक्तिपीठों की रक्षा करते हैं। यही शक्तिपीठ जगत में सभी का कल्याण मात्र हैं। यहां उज्जैन में सती के हाथ की केहूनी और होठ का ऊपरी भाग गिरने से दो शक्तिपीठ एक महाकाली दूसरी हरसिद्धि देवी के रूप में जगत कल्याण के स्थापित हैं।

महाकाली मंदिर की संरचना और वास्तुकला का परिचय:

यह मंदिर पारंपरिक हिंदू मंदिरों के रूप में निर्मित है और इस मंदिर में देवी महाकाली की प्रतिमा को बड़े सम्मान से स्थापित किया गया है, जिसकी श्रधा आस्था के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर गर्भ गृह में महाकाली देवी की मूर्ति प्रतिष्ठित किया गया है यहां भक्तजन देवी के उग्र रूप महाकाली के सामने नतमस्तक हो अपनी मनोकामना रखते हैं। महाकाली शक्तिपीठ मंदिर की वास्तुकला अत्यन्त प्राचीन और भव्य है।
दूसरी शक्तिपीठ हरसिद्धि देवी मंदिर भी मनमोहक रूप में निर्मित है, यहां देवी के सौम्य रुप का दर्शन भक्त जन करते हैं। देवी हरसिद्धि माता बहुत दयालु है श्रधा पूर्वक आये अपने भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में दो शक्तिशाली शक्तिपीठ महाकाली व हरसिद्धि देवी का धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से हिंदू धर्म में अनुयायियों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यहां उज्जैन के धार्मिक क्षेत्र में शक्ति महाकाली और भैरव महाकाल मंदिर तांत्रिक साधना, देवी पूजा और भगवान शिव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यही हरसिद्धि माता का सौम्य रूप भक्तों का मन मोहक है जो हर मनोकामना पूरी करती हैं। यहां दैवीय क्षेत्र की आध्यात्मिक ऊर्जा प्राचीनता और धार्मिकता न केवल भारत बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध करती है।

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