भारतीय तांत्रिक और आध्यात्मिक परंपरा में “Yaksha Sadhana” यक्ष साधना को अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी साधना माना जाता है। यह साधना यक्षों को प्रसन्न कर उनसे धन, खजाने, सिद्धि और रहस्यमयी शक्तियों की प्राप्ति के लिए की जाती है। यक्षों को प्रकृति, संपत्ति और रहस्य के रक्षक के रूप में जाना जाता है।सही विधि से साधना करने वाले साधक को अप्रत्याशित रूप से अचानक धन, व्यापार में वृद्धि, गुप्त खजानों की जानकारी, और तांत्रिक शक्तियों की प्राप्ति हो सकती है। हालाँकि, यह साधना अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली मानी जाती है, इसलिए इसे करने से पहले उचित जानकारी और गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है। यहां जानकारी के पश्चात साधना के लिए योग्य गुरु का चयन जरुर करें।
Table of Contents

यक्ष साधना का महत्व
यक्ष कौन होते हैं?
यक्ष कुबेर के सेवक माने जाते हैं जैसे देवताओं के राजा देवराज इंद्र हैं, वैसे ही यक्षों के राजा यक्षराज कुबेर हैं। ये धन, खजानों, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षक होते हैं। हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में यक्षों का उल्लेख मिलता है। इन्हें दो श्रेणियों में बाँटा गया है। सौम्य यक्ष (धन देने वाले) ये दयालु और सहायक होते हैं, जो साधक को धन और समृद्धि प्रदान कर सकते हैं। भयावह यक्ष (रौद्र) ये शक्तिशाली और भयंकर होते हैं, और केवल विशेष तांत्रिक साधकों के नियंत्रण में आते हैं।
यक्ष साधना से लाभ-
अचानक धन और खजाने की प्राप्ति होती है। व्यापार और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। गुप्त विद्याओं और तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। दिव्य रक्षात्मक शक्तियों का आशीर्वाद मिलता है। सभी भौतिक सुख कि प्राप्ति होती है। पारिवारिक समृद्धि और शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। भविष्य के रहस्यों को जानने की क्षमता मिल जाती है। जिस तरह यक्षिणियों से पुरुष को यौनसुख भी प्राप्त होता है, यक्षों से स्त्रीयों को यौनसुख प्राप्त नही होता, बल्कि यक्ष और गंधर्व सुंदर स्त्री के शरीर का बिना सिद्धि या निमंत्रण हास करते हैं।
भौतिक सुख का अर्थ, प्रभाव और सीमाएँ
भौतिक सुख का अर्थ उन सभी सांसारिक, भौतिक, और इंद्रियजनित सुख-सुविधाओं से है, जो मनुष्य को जीवन में आराम, आनंद और सुविधा प्रदान करते हैं। ये सुख धन, भौतिक वस्तुएं, सामाजिक प्रतिष्ठा, और शारीरिक आनंद जो यौनसुख से जुड़े होते हैं। स्त्रीयां यक्ष साधना से सामर्थ्यवान पुरुष को प्राप्त कर सकती हैं, जो यौनसुख कला से परिपूर्ण हो। पुरुष इसके लिए यक्षिणी साधना करें। आगे लेख में बताने वाला हूं, पुरुषों के लिए शारीरिक सुख की उपयुक्त यक्षिणी कौन-कौन सी हैं।
भौतिक सुख का सकारात्मक प्रभाव
✔️ जीवन में सुविधाएँ, आराम, और आत्मनिर्भरता मिलती है।
✔️ व्यक्ति की सोशल स्टेटस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
✔️ धन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा उपलब्ध होती हैं।
भौतिक सुख का नकारात्मक प्रभाव
❌ भौतिक सुखों के पीछे ज्यादा भागने से आध्यात्मिक और मानसिक शांति भंग हो सकती है।
❌ धन और संपत्ति के प्रति अधिक मोह- लालच और चिंता को जन्म दे सकता है।
❌ मानसिक तनाव, प्रतिस्पर्धा, और असंतोष की भावना बढ़ सकती है।
भौतिक सुख मनुष्य के जीवन को आरामदायक और समृद्ध बनाते हैं, लेकिन इनका संतुलित उपयोग ही असली सुख देता है। भौतिक सुखों के साथ-साथ मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष भी जरूरी है, ताकि व्यक्ति संपूर्ण रूप से आनंदमय जीवन जी सके। Click on the link ब्लाग पोस्ट पढ़ने के लिए ब्लू लाइन पर क्लिक करें।
यक्ष साधना का सही समय (मुहूर्त) का चयन
यक्ष साधना को करने के लिए सही मुहूर्त अत्यंत आवश्यक होता है। यह साधना निम्नलिखित विशेष रात्रियों में अधिक प्रभावशाली मानी जाती है – दीपावली की रात, गुप्त नवरात्रि, पूर्णिमा या अमावस्या की रात, होली की रात, रात्रि 12 बजे से 3 बजे के बीच, ब्रह्म मुहूर्त नहीं, बल्कि मध्यरात्रि का समय उपयुक्त होता है।
यक्ष साधना के लिए उपयुक्त स्थान का चयन
यह साधना एकांत और पवित्र स्थानों में करनी चाहिए, जैसे कि – जंगल, श्मशान, गुफा, विशेष पूजा कक्ष, सबसे उपयुक्त स्थान नीलांचल पर्वत पर स्थित प्रथम शक्तिपीठ कामाख्या देवी मंदिर के किसी भाग पर रात्रि काल में । अगर संभव हो तो जून माह के अंबुबाची पर्व पर जो सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक मां का रजस्वला पीरियड्स का समय होता है। साधना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए।
यक्ष साधना के लिए आवश्यक सामग्री
यक्ष यंत्र या कुबेर यंत्र, पीले वस्त्र और पीले रंग की माला (हल्दी माला या चंदन माला), केसर, चंदन, और घी का दीपक, विशेष यक्ष मंत्र की माला (108 बार जप के लिए), सफेद मिठाई, नारियल, पीले फल (नैवेद्य के रूप में)
Yaksha Sadhana की विधि (Step-by-Step Process)
(1) साधना से पहले की तैयारी
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने सामने कुबेर यंत्र या यक्ष यंत्र स्थापित करें। पीले रंग के आसन पर बैठें और घी का दीपक जलाएँ। साधना के दौरान किसी से बात न करें और पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।
(2) यक्ष मंत्र का जप
यक्ष साधना में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे यक्षों को प्रसन्न किया जा सकता है। मंत्र जाप करते समय पूरी श्रद्धा और ध्यान से जप करें।
मुख्य यक्ष मंत्र: ॐ ह्रीं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
प्रमुख यक्षों के नाम और उनके मंत्र
1. कुबेर Kuber – यक्षों के राजा कुबेर, जो धन के देवता माने जाते हैं, का उल्लेख विभिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न विवरणों के साथ मिलता है। कुबेर के पिता- विश्रवा (विश्रवामुनि) माता- इलाविदा (देवांगना/इलविला) विश्रवा ऋषि स्वयं प्रसिद्ध ऋषि पुलस्त्य के पुत्र थे और ब्रह्मा के वंशज माने जाते हैं। विश्रवा के दो विवाह हुए थे – इलाविदा (इलविला) से, जिनसे कुबेर उत्पन्न हुए। दूसरा कैकेसी से, जिनसे रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और सूर्पणखा का जन्म हुआ।
इस प्रकार यक्षराज कुबेर रावण के सौतेले भाई हैं। कुबेर शुरू में लंका के शासक थे, लेकिन बाद में रावण ने उन्हें पराजित कर लंका पर कब्जा कर लिया, और कुबेर को कैलाश पर्वत के समीप अलकापुरी में बसना पड़ा। अलकापुरी यक्ष और यक्षिणियों का निवास स्थान है। आज इस अलकापुरी को परियों का देश कहा जाता है, जो उत्तराखंड के मनोहर पहाड़ी मे बसा हुआ है। दार्शनिक दिन में यहां भ्रमण करने आते हैं, संध्या काल से पहले यहां से सब वापस हो जाते हैं, क्योंकि रात्री काल में यहां किसी को रूकने की इजाजत नहीं है। रात्रि में यक्ष यक्षिणीयां यहां नित्य गान करती हैं।
मंत्र: – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः
2. मणिभद्र Manibhadra – सौभाग्य और समृद्धि के रक्षक
मंत्र: – ॐ मणिभद्राय नमः
3. धनद Dhanada – धन और ऐश्वर्य के संरक्षक
मंत्र: – ॐ धनदाय स्वाहा
4. चित्ररथ Chitraratha – दिव्य रथों और सौंदर्य के स्वामी
मंत्र: – ॐ चित्ररथाय नमः
5. वैश्रवण Vaishravana – कुबेर का एक अन्य नाम, धन और सुरक्षा के देवता
मंत्र: – ॐ वैश्रवणाय विद्महे, धनराजाय धीमहि, तन्नो कुबेरः प्रचोदयात्
6. विरूपाक्ष Virupaksha – अर्द्ध-दैवीय योद्धा
मंत्र: – ॐ विरूपाक्षाय नमः
7. पंचिक Panchika – कुबेर के सहायक और योद्धा
मंत्र: – ॐ पंचिकाय नमः
8. राजतनभास Rajatanabhasa – राजसिक और ऐश्वर्य के प्रतीक
मंत्र: – ॐ राजतनभासाय नमः
9. स्वयंप्रभा Swayamprabha – गुफाओं और रहस्यों की संरक्षक
मंत्र: – ॐ स्वयंप्रभायै नमः
10. सतेंद्र Satendra – सतोगुणी यक्ष, जो पुण्य और धर्म के रक्षक हैं
मंत्र: – ॐ सतेंद्राय नमः
11. धनपाल Dhanapala – संपत्ति के संरक्षक
मंत्र: – ॐ धनपालाय नमः
12. सोमयक्ष Somayaksha – चंद्रमा और शीतलता के प्रतीक
मंत्र: – ॐ सोमयक्षाय नमः
13. महासेन Mahasena – युद्ध और बल के प्रतीक
मंत्र: – ॐ महासेनाय नमः
14. किन्नर यक्ष Kinnara Yaksha – संगीत और नृत्य के संरक्षक
मंत्र: – ॐ किन्नराय नमः
15. इलापुत्र Ilaputra – कुबेर का पुत्र और यक्षों का नेता
मंत्र: – ॐ इलापुत्राय नमः
यदि आप पाठक/पाठिका को किसी विशेष यक्ष के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो भारतीय हवाटएप्स 7379622843 पर बताइए, मां कामाख्या देवी की कृपा से आपको बताने का प्रयास करता रहूंगा!
यक्ष मंत्र जाप की विधि
इन मंत्र का 21, 51, या 108 माला (1 माला = 108 बार) जप करें। मंत्र जप के दौरान घी का दीपक जलता रहना चाहिए। मंत्र जाप के बाद नैवेद्य (मिठाई या फल) अर्पित करें।

(3) ध्यान और तांत्रिक अनुष्ठान
अपने द्वारा सिद्ध किए जा रहे यक्ष का ध्यान करें और उन्हें अपने सामने उपस्थित का आभास करें। सच्चे मन में कल्पना करें कि यक्ष प्रसन्न होकर आपको धन और आशीर्वाद दे रहे हैं। यदि साधना सफल होती है, तो आपको विशेष स्वप्न, संकेत, या ऊर्जा का अनुभव होता है।
यक्ष साधना में सावधानियाँ
यह साधना शक्तिशाली होती है, इसलिए इसे मज़ाक या खेल समझकर न करें। गलत साधना करने पर यक्ष कुपित हो सकते हैं और नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। किसी अनुभवी गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन लेना आवश्यक होता है। साधना के दौरान मांस, मदिरा, तामसिक भोजन और असत्य बोलने से बचें।
यक्ष साधना के संकेत और सफलता के लक्षण
साधना सफल होने पर साधक को स्वप्न में संकेत मिल सकते हैं, जैसे- खजाने की झलक, दिव्य प्रकाश या ऊर्जा, रहस्यमयी गुफा या जंगल का दिखना, कोई अलौकिक दर्शन का होना यक्ष साधना में सफलता का लक्षण है।
व्यापार, धन, या किसी विशेष क्षेत्र में अचानक सफलता मिलने लगती है। कुछ साधकों को यक्ष प्रत्यक्ष रूप में दर्शन भी देते हैं जो अत्यंत दुर्लभ है।
Yaksha Sadhana का संक्षेपण
यक्ष साधना एक रहस्यमयी और शक्तिशाली साधना है, जिसे केवल योग्य साधक ही सफलतापूर्वक कर सकते हैं। यदि सही विधि से की जाए, तो यह साधना अपार धन, सफलता, और गुप्त शक्तियों की प्राप्ति करा सकती है।
हालाँकि, यह साधना अत्यंत जटिल होती है, इसलिए सावधानीपूर्वक और पूर्ण निष्ठा के साथ इसका अभ्यास करना चाहिए। किसी भी प्रकार की असावधानी नकारात्मक परिणाम दे सकती है।
यदि आप इस साधना में रुचि रखते हैं, तो किसी योग्य गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें और उचित विधि से योग्य गुरु के संरक्षण में करें।