दीपावली: अंधकार से प्रकाश की ओर का सफर, घर सजाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक सम्पूर्ण विधि-विधान सहित सम्पूर्ण जानकारी

Amit Srivastav

इस वर्ष दीपावली 31 अक्टूबर 2024 और 01 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष महत्व है, जो संध्या समय में किया जाता है। संध्या समय अमावस्या दोनों दिन रह रहा है। 31 अक्टूबर को तीसरे पहर 03 बजकर 52 मिनट से 01 नवम्बर साम 06 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। हिन्दी पंचांग के अनुसार उदया तिथि ही मानी जाती है, इसलिए उदया तिथि को मानने वाले दीपावली 01 नवम्बर को मनाएंगे। 01 नवम्बर को अमावस्या शाम 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रहा है और संध्या काल सुर्यास्त 05 बजकर 36 मिनट पर होगा। दीपोत्सव संध्या काल से रात्रि पूजन की होती है, इसलिए दीपोत्सव का त्योहार 31 अक्टूबर व 01 नवम्बर दोनों दिन मनाया जा सकता। व्यवसायिक वर्ग खासकर वृष व सिंह लग्न में पूजा करते हैं और दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन रात्री काल में ही होती है। 31 अक्टूबर गुरुवार को वृष लग्न शाम 06 बजकर 20 मिनट से और सिंह लग्न निशा रात्री 12 बजकर 56 मिनट से निर्धारित है। गोधूलि बेला और पूषा काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए व्यवसायिक वर्ग 31अक्टूबर रात को ही पूजा करेंगे। दीपावली पर माता लक्ष्मी का स्वागत करके सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहते हैं, भारत का एक प्रमुख पर्व है। इसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है क्योंकि इस दिन घरों, बाजारों, और मंदिरों को दीपों से सजाया जाता है। दिवाली का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। इस दिन भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में नगरवासियों ने दीप जलाए थे, इसलिए इसे दीपों का पर्व कहा गया।
दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का महत्व भी है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर आती हैं और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन के पहले से ही लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीपावली को नए कपड़े पहनते हैं और मिठाई बांटते हैं। पटाखों का चलन भी इस त्योहार का हिस्सा है, जो खुशी और उमंग का प्रतीक है।
दिवाली हमारे समाज को बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ने, आलोकित रहने, और जीवन में खुशियों के दीप जलाने की प्रेरणा देती है। हमें इस पर्व को स्वच्छता, पर्यावरण और आपसी स्नेह के साथ मनाना चाहिए।

दीपावली: अंधकार से प्रकाश की ओर का सफर, घर सजाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक सम्पूर्ण विधि-विधान सहित सम्पूर्ण जानकारी

दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र पर्व है। इसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है क्योंकि इस दिन दीप, मोमबत्तियाँ और रंग-बिरंगे लाइट्स जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है। यह त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य हिस्सों में भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव संपादक कि कलम से दीपावली के इतिहास, धार्मिक मान्यताओं और इसके महत्व के बारे में।

दीपावली का ऐतिहासिक महत्व

दीपावली का इतिहास कई सदियों पुराना है और इसका उल्लेख हमारे धर्मग्रंथों में भी मिलता है। इसका मुख्य आधार धार्मिक कथाओं पर आधारित है।

रामायण की कथा

सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे। रावण पर विजय प्राप्त करने और अयोध्या वापसी की खुशी में नगरवासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। इस घटना को दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा आज तक जारी है।

भगवान कृष्ण और नरकासुर वध

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने दीपावली के दिन अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था और पृथ्वीवासियों को उसके आतंक से मुक्त किया। इस विजय के उपलक्ष्य में लोगों ने दीप जलाकर खुशियाँ मनाईं।

मां लक्ष्मी का जन्म

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए दीपावली को लक्ष्मी पूजन का दिन माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर धन-धान्य और समृद्धि की कामना की जाती है।

सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

ऐसा माना जाता है कि महान सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी दीपावली के दिन हुआ था। यह उनके साहस और न्यायप्रिय शासन की शुरुआत का प्रतीक बना।

दीपावली का आध्यात्मिक महत्व

दीपावली न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन अंधकार पर प्रकाश की जीत, असत्य पर सत्य की विजय और अज्ञानता पर ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हमें आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के अंधकार को दूर कर प्रकाशमय जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

दीपावली कैसे मनाई जाती है?

  • दीपावली के दौरान पांच दिन तक विशेष आयोजन किए जाते हैं।
  • पहला दिन (धनतेरस): इस दिन धन, समृद्धि और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को प्राप्त हुईं और धन्वंतरि अमृत कलश के साथ देवताओं को।
  • दूसरा दिन (नरक चतुर्दशी): इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, और इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध की कथा याद की जाती है।
  • तीसरा दिन (मुख्य दिवाली): इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। घरों में संध्या काल में दीपक मोमबत्ती जलाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर विधि-विधान से पूजा होती है और व्यापारी वर्ग लग्न मुहूर्त के अनुसार अपने प्रतिष्ठानों में विधि पूर्वक पूजन करते हैं।
  • चौथा दिन (गोवर्धन पूजा): इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को इंद्र देवता के प्रकोप से बचाने की कहानी याद की जाती है। और गाय के गोबर से गोवर्धन को बनाया जाता है जिसे अगले दिन युवतियां डंडे से कुटटी हैं।
  • पांचवां दिन (भाई दूज): गोवर्धन को कुटने के साथ ही इस दिन भाई-बहन के रिश्ते का पर्व भाईदूज मनाया जाता है और भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज कायस्थों द्वारा कलम दवात की पूजा की जाती है तत्पश्चात कलम धारण किया जाता है। इस दिन का भगवान चित्रगुप्त जी की कथा दीपावली पर भगवान राम के राज्याभिषेक और अवतरण से जूड़ा हुआ है।

दीपावली का सामाजिक महत्व

दीपावली का संदेश सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक भी है। यह पर्व सभी को एकजुट करता है और आपसी प्रेम, सौहार्द और सद्भावना को बढ़ावा देता है। साथ ही, दीपावली का त्योहार हमें स्वच्छता और पर्यावरण की रक्षा के महत्व को भी बताता है। पटाखों के कारण बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ और सुरक्षित दीपावली मनाना आज के समय की आवश्यकता है। दीपावली का इतिहास और महत्व हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

दीपावली: अंधकार से प्रकाश की ओर का सफर, घर सजाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक सम्पूर्ण विधि-विधान सहित सम्पूर्ण जानकारी

दीपावली 2024 में 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का स्वागत कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इस पूजा का समय और विधि विशेष महत्व रखती है, इसलिए शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

लक्ष्मी पूजा की मुहूर्त

31 अक्टूबर 2024 को तीसरे पहर 3 बजकर 52 मिनट से अमावस्या की शुरुआत हो रही है और प्रदोष काल अमावस्या तिथि पर रहेगी। इस दिन संध्या समय 5 बजकर 36 मिनट से लक्ष्मी गणेश जी की पूजा आरंभ होगी। व्यवसायिक वर्ग अपने अपने लग्न मुहूर्त में पूरी रात्रि काल मां लक्ष्मी गणेश की पूजा करेगें।

लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

1 नवंबर 2024 को 6 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि है। सुर्यास्त 5 बजकर 36 मिनट पर होगा शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 02 मिनट तक समय अवधि लगभग 2 घंटे पूजा के लिए मिलेगी।

दीपावली पूजन की विशेष विधि

दीपावली पूजन में गणेश-लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, जो घर में सुख, शांति और धन-समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं दीपावली पूजा की विस्तृत विधि।

  • 1. पूजा की तैयारी
  • पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई करें, खासकर पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
  • मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाएं और दीप जलाकर सजाएं। माना जाता है कि साफ-सुथरे घर में ही मां लक्ष्मी का वास होता है।
  • पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियाँ रखें।
  • 2. कलश स्थापना
  • एक जल भरा हुआ कलश रखें और उसमें आम या अशोक के पत्ते रखें।
  • इस कलश के ऊपर एक नारियल रखें। यह शुभता का प्रतीक माना जाता है और पूजा का अभिन्न हिस्सा है।
  • 3. गणेश जी का पूजन
  • सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। भगवान गणेश विघ्नहर्ता माने जाते हैं और सभी पूजाओं में सबसे पहले उन्हीं की आराधना की जाती है।
  • गणेश जी को अक्षत, कुमकुम, पुष्प, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें।
  • 4. मां लक्ष्मी का पूजन
  • लक्ष्मी जी को अक्षत, कुमकुम, पुष्प, धूप, दीप और विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित करें, क्योंकि मां लक्ष्मी कमल पर विराजित होती हैं।
  • इसके बाद 11 या 21 लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें। उदाहरण के लिए, “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप कर सकते हैं।
  • लक्ष्मी जी को प्रसाद स्वरूप खीर या कोई मीठा भोजन अर्पित करें।
  • 5. धन-कुबेर का पूजन
  • मां लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर का भी पूजन करें, ताकि आर्थिक समृद्धि बनी रहे।
  • कुबेर देवता को पंचामृत और पुष्प अर्पित करें।
  • 6. आरती
  • लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के बाद आरती करें। आरती के दौरान कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं। इस समय घर में सभी लोग एकत्रित होकर आरती करें।
  • 7. दीप जलाना
  • घर के सभी कमरों, आंगन, और मुख्य द्वार पर दीप जलाएं। माना जाता है कि दीपों की रोशनी से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं।
  • बाहर और अंदर दीपों की कतारें लगाएं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

पूजा के बाद विशेष मंत्र

पूजा समाप्त होने पर सभी लोग एकत्रित होकर निम्न मंत्र का जाप कर सकते हैं।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥

इस मंत्र का जाप दीपावली की पूजा को अधिक प्रभावी बनाता है।

दीपावली पूजन के लाभ

इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।
परिवार में खुशियों का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
दीपावली 2024 का लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त और विधि के साथ करें ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और जीवन में खुशियों का दीप जलता रहे।

दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा है, जो घर-परिवार में खुशियों और समृद्धि का प्रतीक है। इस त्योहार की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाती है, जिसमें घर की सफाई, सजावट, खरीदारी, और लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष प्रबंध शामिल होते हैं। आइए जानें कि दीपावली की तैयारी कैसे की जाती है।

घर की साफ-सफाई और सजावट

दीपावली पर मान्यता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छ और सजाए हुए घरों में ही वास करती हैं। इसलिए, इस दिन से पहले घर की सफाई को प्राथमिकता दी जाती है।
दीवारों, फर्श, और कोनों की सफाई करें: ध्यान रखें कि हर कोना साफ हो, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो।
रंग-रोगन और पेंटिंग: यदि संभव हो, तो दीपावली से पहले घर का रंग-रोगन करवाएं, जिससे घर सुंदर दिखे।
मुख्य द्वार की सजावट: मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं, फूलों की माला लगाएं, और तोरण सजाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता और शुभता का संचार होता है।

दीपावली की खरीदारी

दीपावली से पहले बाजार में विशेष रौनक होती है। इस समय कई जरूरी वस्तुएँ खरीदी जाती हैं।
दीये और मोमबत्तियाँ: मिट्टी के दीये, सजावटी मोमबत्तियाँ, और रंग-बिरंगी लाइटें खरीदें, ताकि दीपावली के दिन घर रोशन किया जा सके।
पूजन सामग्री: लक्ष्मी पूजन के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियाँ, धूप, कपूर, दीपक, चंदन, पुष्प, हल्दी, और मिठाई जैसी चीजें जरूर खरीदें।
धनतेरस के लिए धातु की वस्तुएं: माना जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी या धातु के बर्तन, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या आभूषण खरीदना शुभ होता है।

रंगोली बनाना

दीपावली के दिन मुख्य द्वार और पूजा स्थल पर रंगोली बनाना एक पुरानी परंपरा है। रंगोली को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सजावट के डिज़ाइन: आप रंगोली में देवी लक्ष्मी के पैरों के निशान, फूलों के डिज़ाइन या अन्य शुभ प्रतीकों का उपयोग कर सकते हैं।
फूलों से सजावट: रंगोली में फूलों का भी प्रयोग कर सकते हैं जो प्राकृतिक और खूबसूरत दिखते हैं।

लक्ष्मी पूजन की तैयारी

दीपावली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। यहां जानें लक्ष्मी पूजन की तैयारी कैसे करें।
पूजा स्थान की सजावट: पूजा स्थल पर एक साफ और स्वच्छ चौकी रखें, उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियाँ: लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित करें और उनके चारों ओर दीपक सजाएँ।
कलश स्थापना: एक जल भरा हुआ कलश रखें, जिसमें आम या अशोक के पत्ते हों, और नारियल रखें। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।

लक्ष्मी पूजन की विधि

गणेश पूजा: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें अक्षत, पुष्प, और मिठाई अर्पित करें।
लक्ष्मी पूजा: लक्ष्मी जी को कमल का फूल, हल्दी-कुमकुम, चंदन, और मिठाई अर्पित करें। मां लक्ष्मी के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें।
कुबेर देवता का पूजन: धन के देवता कुबेर का भी पूजन करें ताकि घर में धन-धान्य की वृद्धि हो।
दीप जलाना: पूजा के बाद घर के हर कोने में दीपक जलाएं और पूरे घर को रोशन करें।

दीपावली की रात दीप जलाना

दीपावली की रात मुख्य द्वार, आंगन, और सभी कमरों में दीप जलाएं। माना जाता है कि रोशनी से घर में नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और मां लक्ष्मी का स्वागत होता है।
दीपों की कतारें: घर के अंदर और बाहर दीयों की कतारें लगाएं। ये दीये पूरे वातावरण को प्रकाशमय बनाते हैं और शुभता का संदेश देते हैं।
मोमबत्तियाँ और लाइट्स: अगर दीये उपलब्ध न हों तो मोमबत्तियाँ और रंग-बिरंगी लाइट्स से भी घर सजाया जा सकता है।

मिठाई वितरण और पटाखे

मिठाइयाँ: दीपावली पर अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, और पड़ोसियों को मिठाई बांटें। यह खुशी और भाईचारे का प्रतीक है।
पटाखे: दीपावली पर पटाखे जलाने की भी परंपरा है, लेकिन पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सीमित मात्रा में और सुरक्षित स्थानों पर ही पटाखे जलाएं।

शुभकामनाएँ और परिवार संग समय बिताना

दीपावली का पर्व सिर्फ पूजा और सजावट तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवार संग समय बिताना और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देना भी इसकी परंपरा है।
दीपावली की तैयारी घर की सफाई, सजावट, खरीदारी और लक्ष्मी पूजन से जुड़ी होती है। यह पर्व न सिर्फ घर में उजाला लाता है, बल्कि दिलों को भी रोशन करता है।

दीपावली का पर्व हर्षोल्लास और आनंद का प्रतीक है, लेकिन इस खुशी को बनाए रखने के लिए सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। दीपों और पटाखों का सही उपयोग करना, पर्यावरण का ख्याल रखना, और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है ताकि दीपावली सुरक्षित और स्वच्छ रूप से मनाई जा सके।

पटाखों का सीमित उपयोग

पटाखों से प्रदूषण और दुर्घटनाओं का खतरा होता है, इसलिए इन्हें सीमित और सुरक्षित तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
कम ध्वनि वाले पटाखे चुनें: अधिक शोर वाले पटाखों से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो बच्चों, बुजुर्गों, और पालतू जानवरों के लिए हानिकारक होता है।
ग्रीन पटाखों का प्रयोग करें: अब ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं, जो कम प्रदूषण करते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते।
बच्चों को अकेले न छोड़ें: बच्चों को पटाखे चलाते समय कभी भी अकेला न छोड़ें। उनकी देखरेख करें और उन्हें सुरक्षा के बारे में बताएं।

सुरक्षा के लिए खास सावधानियाँ

पटाखों और दीयों के इस्तेमाल के दौरान कुछ विशेष सावधानियाँ बरतें ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
बाल्टी में पानी और रेत रखें: पटाखे जलाते समय एक बाल्टी पानी और रेत रखें ताकि आग लगने की स्थिति में तुरंत उपयोग किया जा सके।
ढीले कपड़े न पहनें: पटाखे जलाते समय ढीले और सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें। सूती कपड़े पहनें ताकि आग का खतरा कम हो।
चोट से बचाव के लिए प्राथमिक उपचार किट: घर पर प्राथमिक उपचार किट रखें ताकि किसी भी चोट या जलने की स्थिति में त्वरित उपचार हो सके।

दीयों और मोमबत्तियों का सही उपयोग

दीपावली पर दीये जलाना एक परंपरा है, लेकिन इन्हें सुरक्षित तरीके से जलाना आवश्यक है।
सही स्थान पर रखें: दीयों को ऐसी जगह रखें, जहाँ से वे गिरें नहीं और आसानी से बुझ न जाएं। उन्हें बच्चों और पालतू जानवरों की पहुँच से दूर रखें।
बाहरी जगह पर रखें: दीयों को अंदरूनी जगह के बजाय बाहर सजाएं ताकि आग का खतरा कम हो।
अग्निरोधक सामग्री पर रखें: दीयों और मोमबत्तियों को लकड़ी या कपड़े के बजाय अग्निरोधक प्लेट या स्टैंड पर रखें।

स्वच्छता का ध्यान रखें

दीपावली पर स्वच्छता का ध्यान रखना भी जरूरी है ताकि वातावरण पर असर न पड़े।
पटाखों का कचरा सही तरीके से निपटाएं: पटाखों के अवशेषों को सड़क या घर में न छोड़ें। उन्हें सही तरीके से इकट्ठा कर निपटान करें।
प्राकृतिक सजावट का उपयोग करें: कृत्रिम सजावट के बजाय फूलों और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें, जिससे प्लास्टिक और कचरे का उपयोग कम हो।
कम लाइट्स का इस्तेमाल: ऊर्जा की बचत के लिए ज्यादा लाइट्स का उपयोग न करें। बिजली बचाने के लिए एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करें।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता

दीपावली को पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है।
वृक्षारोपण करें: दीपावली के मौके पर पौधे लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में योगदान दें।
प्लास्टिक का उपयोग कम करें: सजावट के लिए प्लास्टिक का उपयोग न करें और ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें।

ध्वनि प्रदूषण से बचें

पटाखों के कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना जरूरी है ताकि आसपास के लोगों और पालतू जानवरों पर इसका नकारात्मक असर न हो।
कम आवाज वाले पटाखे चुनें: तेज आवाज वाले पटाखों की बजाय साइलेंट या कम आवाज वाले पटाखों का चुनाव करें।
रात के समय पटाखों से बचें: रात 10 बजे के बाद पटाखे चलाने से बचें ताकि आसपास के लोगों की नींद और शांति प्रभावित न हो।

अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें

दीपावली पर वातावरण में धुआं और प्रदूषण बढ़ जाता है, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
मास्क का उपयोग करें: अगर सांस की समस्या हो तो मास्क पहनें ताकि धुएं से बचा जा सके।
पौष्टिक आहार लें: दीपावली पर तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन होता है। संतुलित आहार लेकर अपनी सेहत का ध्यान रखें।
दीपावली की खुशियों को बनाए रखने के लिए सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। पटाखों का सीमित और सुरक्षित उपयोग करें, दीयों का सही तरीके से प्रयोग करें, और पर्यावरण की रक्षा करें। दीपावली का पर्व हमें खुशियों के साथ जिम्मेदारी का भी संदेश देता है।

दिवाली का पर्व न केवल दीपों, रंगोली, और पूजा का अवसर है, बल्कि स्वादिष्ट व्यंजनों का भी विशेष महत्व है। हर घर में अलग-अलग पकवान और मिठाइयाँ बनती हैं, जो इस त्योहार की रौनक को और भी बढ़ा देती हैं। दिवाली पर विशेष व्यंजन और परंपराओं का मिलन हमारे त्योहार को यादगार बना देता है। आइए जानते हैं दिवाली की कुछ प्रमुख रेसिपी और उनसे जुड़ी परंपराओं के बारे में।

लड्डू

लड्डू भारतीय मिठाइयों में सबसे पसंदीदा है और दिवाली के मौके पर इसे खासतौर पर बनाया जाता है। बेसन, सूजी, नारियल, और मोतीचूर के लड्डू दिवाली पर बनाए जाते हैं।
बेसन के लड्डू रेसिपी:
सामग्री: बेसन, घी, पिसी हुई चीनी, इलायची पाउडर, काजू-बादाम के टुकड़े।
विधि: बेसन को धीमी आंच पर घी में सुनहरा होने तक भूनें। इसमें इलायची पाउडर और चीनी मिलाकर लड्डू बनाएं।
ये लड्डू स्वादिष्ट और ऊर्जा से भरपूर होते हैं और हर किसी को पसंद आते हैं।

गुजिया

गुजिया उत्तर भारत की पारंपरिक मिठाई है, जो दिवाली पर विशेष रूप से बनाई जाती है। इसके अंदर खोया, सूखे मेवे, और चीनी का मिश्रण भरा जाता है।
गुजिया रेसिपी:
सामग्री: मैदा, घी, खोया, सूखे मेवे, चीनी, इलायची पाउडर।
विधि: मैदा और घी से आटा गूंथें। खोया और सूखे मेवों को भूनकर उसमें चीनी और इलायची मिलाएं। इस मिश्रण को गुजिया के आकार में भरें और तल लें।
यह मिठाई खाने में कुरकुरी और मीठी होती है, जो हर किसी को पसंद आती है।

शकरपारे और नमकपारे

शकरपारे और नमकपारे हल्के मीठे और नमकीन स्नैक्स होते हैं, जो दिवाली पर बनाए जाते हैं। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको पसंद आते हैं।
शकरपारे रेसिपी:
सामग्री: मैदा, चीनी, घी, पानी।
विधि: मैदे को घी के साथ गूंथें और इसे छोटे टुकड़ों में काटकर तल लें। चीनी की चाशनी में इन्हें डुबोकर निकालें।
ये कुरकुरे और मीठे शकरपारे त्योहारी माहौल में मुँह का स्वाद बढ़ा देते हैं।

काजू कतली

काजू कतली दिवाली पर बनाई जाने वाली लोकप्रिय मिठाई है। यह खाने में न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि इसे बनाना भी काफी आसान है।
काजू कतली रेसिपी:
सामग्री: काजू, चीनी, पानी, घी।
विधि: काजू को पीसकर पाउडर बना लें। चीनी और पानी की चाशनी तैयार करें और उसमें काजू का पाउडर डालें। इसे हल्का गूंथकर बेल लें और चौकोर टुकड़ों में काट लें।
यह मिठाई बड़ों और बच्चों सभी को खूब पसंद आती है और उपहार के रूप में भी दी जाती है।

मठरी

मठरी एक पारंपरिक स्नैक है, जो दिवाली पर बनाया जाता है। यह नमकीन और कुरकुरी होती है और चाय के साथ खाने में बेहद लाजवाब लगती है।
मठरी रेसिपी:
सामग्री: मैदा, अजवाइन, नमक, घी, पानी।
विधि: मैदे में अजवाइन, नमक और घी मिलाकर आटा गूंथें। इसे छोटी-छोटी मठरियों में बेलकर तल लें।
मठरी लंबे समय तक चलती है और इसे त्योहार के बाद भी कई दिनों तक खाया जा सकता है।
दिवाली से जुड़ी परंपराएँ:
दिवाली पर घर-परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और कई परंपराओं का पालन करते हैं।

लक्ष्मी पूजन

दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों के घर में समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। पूजा में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों की विशेष पूजा की जाती है।

दीप जलाना

दीप जलाना दिवाली का सबसे बड़ा प्रतीक है। घर के हर कोने में दीप जलाने का अर्थ है कि सभी अंधकार दूर हो और जीवन में प्रकाश का संचार हो।

मिठाई बाँटना

दिवाली पर रिश्तेदारों और मित्रों में मिठाई बांटने की परंपरा है। यह परंपरा हमारे समाज में प्रेम और सौहार्द का प्रतीक मानी जाती है।

रंगोली बनाना

दिवाली पर मुख्य दरवाजे और पूजा स्थल पर रंगोली बनाई जाती है। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है और रंगोली से घर की सुंदरता भी बढ़ती है।

उपहार देना

परिवार और मित्रों को उपहार देना दिवाली का हिस्सा है। यह परंपरा न केवल रिश्तों को मजबूत बनाती है बल्कि उत्सव का आनंद भी बढ़ाती है।
दिवाली की विशेष रेसिपी और परंपराएँ इस पर्व को और भी यादगार बनाती हैं। दीपावली पर सम्पूर्ण जानकारी आपको अच्छी लगी तो अपनों को शेयर किजिये ताकि सही जानकारी से अधिक से अधिक पाठक रूबरू हों। अंत में आप सभी परिवार जनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं बहुत-बहुत बधाई भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के वंशज अमित श्रीवास्तव गूगल ब्लोगर प्रिन्ट मीडिया संपादक कि तरफ से।

दीपावली: अंधकार से प्रकाश की ओर का सफर, घर सजाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक सम्पूर्ण विधि-विधान सहित सम्पूर्ण जानकारी

Click on the link उल्लू मां लक्ष्मी की वाहन से अजीबो-गरीब धारणाएं अंधविश्वास क्यूँ? जानिए उल्लू महाराज की बुद्धिमत्ता की कहानी फिर कभी नहीं कहेंगे कि मंद बुद्धि आदमी को उल्लू। उल्लू ही है इस पृथ्वी के रक्षक एक दुर्लभ पौराणिक कथा यहां क्लिक किजिये पढ़िए।

2 thoughts on “दीपावली: अंधकार से प्रकाश की ओर का सफर, घर सजाने से लेकर लक्ष्मी पूजन तक सम्पूर्ण विधि-विधान सहित सम्पूर्ण जानकारी”

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