लोना चमारिन का रहस्य: तंत्र विद्या की देवी, 1 मार्मिक जीवन यात्रा

Amit Srivastav

लोना चमारी की साधना, लोना चमारी की पुस्तक, तांत्रिक सिद्धियां

लोना चमारिन का रहस्यमयी नाम तंत्र-मंत्र की रहस्यमयी दुनिया में एक ऐसी चमकदार ज्योति की तरह चमकता है, जो न केवल आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक अन्याय, स्त्री शक्ति और धार्मिक समानता के गहन दार्शनिक संदेश को भी उजागर करता है। हिंदू तंत्र परंपरा में, जहां शाबर मंत्रों और सिद्धियों का उल्लेख होता है, लोना चमारिन का नाम बार-बार आता है, मानो वे किसी अमर शक्ति का अवतार हों। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर क्षेत्र में एक चमार परिवार में हुआ था, जो उस समय की सामाजिक व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर माने जाते थे।

गरीबी, भेदभाव और अस्पृश्यता की जंजीरों में जकड़े एक साधारण परिवार की लड़की, जो परियों जैसी सुंदरता की मालकिन थी, कैसे बनी तंत्र विद्या की विश्वविख्यात सिद्धा? यह प्रश्न न केवल उनकी कथा को रोचक बनाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचने का मार्ग जाति, वर्ण या सामाजिक बंधनों से परे है। लोना चमारिन की कहानी एक गरीब बालिका की दर्दभरी यात्रा से शुरू होती है, जहां उनकी सुंदरता ही उनके लिए अभिशाप बन गई। बालपन से ही उनकी अलौकिक सौंदर्य पर पड़ने वाली बुरी नजरों ने उन्हें समाज के क्रूर चेहरे से रूबरू करा दिया।

लेकिन इसी विपत्ति ने उन्हें तंत्र साधना की ओर धकेल दिया, जहां उन्होंने न केवल अपनी रक्षा की, बल्कि अन्याय के विरुद्ध एक ऐसी शक्ति अर्जित की जो आज भी लाखों मंत्रों में गूंजती है। धार्मिक दृष्टिकोण से, लोना चमारिन को तंत्र की देवी माना जाता है, क्योंकि उनके नाम से जुड़े शाबर मंत्र—जो सरल, ग्रामीण भाषा में रचे गए हैं—तंत्र विद्या को आम जन तक पहुंचाने वाले माध्यम बने। शैक्षणिक रूप से, उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची शक्ति बाहरी साधनों से नहीं, बल्कि आंतरिक जागरण और गुरु कृपा से प्राप्त होती है।

यदि हम उनकी जीवन गाथा को गहराई से देखें, तो यह स्पष्ट होता है कि लोना चमारिन न तो मात्र एक तांत्रिक थीं, न ही एक विद्रोही स्त्री; वे तो एक जीवंत प्रतीक हैं—जातिगत भेदभाव को तोड़ने वाली, स्त्री सम्मान की रक्षक और आध्यात्मिक समानता की वाहक। उनकी कथा में याचक और याचिका का भाव भी अंतर्निहित है, जहां वे स्वयं एक याचक बनीं—ज्ञान और शक्ति की याचना करने वाली—और बाद में याचकों की संरक्षक, जो उनके मंत्रों के माध्यम से सहायता मांगते हैं।

इस लेख में, हम चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव काम की देवी जिनसे सृष्टि में नारी के ब्रह्मांडीय शक्ति का अस्तित्व जूड़ा है कामेश्वरी कामाख्या की मार्गदर्शन में तंत्र विद्या की देवी लोना चमारिन की कहानी को एक बार फिर विस्तार से उजागर करेंगे, उनके जीवन के विभिन्न चरणों का धार्मिक और शैक्षणिक विश्लेषण करेंगे, और यह सिद्ध करेंगे कि तंत्र विद्या का भोग—यदि धर्म के दायरे में हो—पाप नहीं, बल्कि मोक्ष और शांति का मार्ग होता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा की भोग से— शरीर निरोग रहता है। यह कथा न केवल मार्मिक है, बल्कि यह हमें वर्तमान समाज में व्याप्त असमानताओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करती है।

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लोना चमारिन का रहस्यमयी सफर amitsrivastav.in

लोना चमारिन का जन्म और प्रारंभिक जीवन एक ऐसी कथा है जो गरीबी और सामाजिक अन्याय की काली स्याही से लिखी गई प्रतीत होती है, फिर भी इसमें आध्यात्मिक उजाले की किरणें झलकती हैं। पंजाब के अमृतसर के आसपास के एक छोटे से चमारी गांव में, जो चमारी या चमार समुदाय का था, लोना का जन्म एक साधारण चमार परिवार में हुआ। उस समय का समाज जाति व्यवस्था के कठोर जाल में फंसा था, जहां चमार जैसे समुदाय को अस्पृश्य माना जाता था—उनका स्पर्श तक पाप समझा जाता था।

लोना के पिता एक गरीब चर्मकार थे, जो जानवरों की खाल से जुते-चप्पल बनाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनकी मां घरेलू कार्यों में व्यस्त रहतीं, और लोना, जो बचपन से ही असाधारण रूप से सुंदर थी, परिवार की छोटी सी उम्मीद थी। लेकिन यह सुंदरता उनके लिए वरदान कम, अभिशाप अधिक सिद्ध हुई। गांव के ठाकुरों और उच्च वर्ण के पुरुषों की बुरी नजरें लोना पर पड़ने लगीं। कथा के अनुसार, जब लोना मात्र बारह-तेरह वर्ष की हुईं, तो एक सामुहिक बलात्कार की घटना ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।

गांव के एक प्रभावशाली ठाकुर, जो अपनी वासनाओं के लिए कुख्यात था, ने लोना को आमंत्रित किया लोना द्वारा प्रस्ताव को ठुकराने पर नागवार लगा तब लोना से बलपूर्वक ठाकुर परिवार ने अपने दरवाजे पर बारी-बारी से शारीरिक शोषण किया। लोना बदले की आग में जलने लगी बलपूर्वक बदला लेना सम्भव नहीं था। उस समय नाथ संप्रदाय से शावर मंत्र का प्रचार प्रसार जोर पर था। अपने अपमान का बदला लेने की ठान तंत्र विद्या की सिद्धि के लिए घर से निकल चली।

वे अपने घर से वर्तमान के दिल्ली को बिरान रास्ते निकल गईं, दिल्ली की योगिनियों से निराशा हाथ लगी वहां से उन योगिनियों की प्रेरणा से वर्तमान के असम कामाख्या की यात्रा की जहां भूख-प्यास और भय के मध्य उन्होंने प्रार्थना की—एक याचिका की, जहां उन्होंने ईश्वर से शक्ति की मांग की। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह याचना तंत्र साधना का प्रारंभिक बिंदु थी, क्योंकि कामाख्या में भटकते हुए उन्हें इसमाइल जोगी नामक एक तांत्रिक का आश्रम मिला। इसमाइल जोगी, जो कामरूप देश (आधुनिक असम) के कामाख्या मंदिर के निकट रहते थे, तंत्र विद्या के सिद्ध पुरुष थे।

उन्होंने लोना की दशा देखी और उनकी याचना को स्वीकार किया। अपना सबकुछ खो चुकीं लोना इसमाइल जोगी की शिष्या बन गईं। जोगी ने उन्हें तंत्र के मूल सिद्धांत सिखाए—मंत्र, यंत्र, और ध्यान। कामाख्या देवी, जो शक्ति की प्रतीक हैं, का मंदिर वह स्थान है जहां लोना ने अपनी साधना को गहराई दी और बदले में गुरु को भोग के लिए अपना शरीर अर्पित की यहां तंत्र विद्या का भोग—जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संतुलन है—उन्हें सिखाया गया। शैक्षणिक रूप से, यह चरण दर्शाता है कि गुरु-शिष्य परंपरा में जाति का कोई स्थान नहीं; तंत्रालोक मे वर्णित परंपरा में गुरु को अपना सबसे बहुमूल्य उपहार अर्पित करना पाप नहीं, वह योग और साधना है।

लोना, जो चमार जाति से थीं, इसमाइल जोगी की फुलवारी (शिष्यों का समूह) में फूल चुनने वाली बनीं। उनकी साधना इतनी प्रबल हुई कि वे शाबर मंत्रों की रचयिता बनीं, जो सरल हिंदी और ग्रामीण भाषा में हैं और आम जन के लिए सुलभ हैं। उदाहरण के लिए, एक प्रसिद्ध लोना चमारी के मंत्र नीचे कलर में — लोना चमारी की पुस्तक साधना हेतु सम्पूर्ण तंत्र-मंत्र सिद्धि का विधि-विधान रचित ग्रंथ प्राप्त करने के लिए संपर्क करें 7379622843 निर्धारित शुल्क के साथ सिर्फ जनकल्याण हेतु पीडीएफ बुक तांत्रिकों के लिए 521 रूपये में उपलब्ध है।

यह मंत्र वशीकरण के लिए प्रयुक्त होता है, और इसमें लोना का नाम याचिका का केंद्र है। इस प्रारंभिक जीवन ने लोना को सिखाया कि तंत्र विद्या का सच्चा भोग धर्म के दायरे में ही मोक्ष का द्वार खोलता है—यह न तो पाप है, न ही विकृति, बल्कि शक्ति का संतुलित उपयोग है जो आत्मा को शांति प्रदान करता है। लोना की यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि विपत्तियां ही आध्यात्मिक जागरण का बीज बोती हैं, और एक याचक की प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती।

लोना चमारिन के जीवन का मध्य चरण अन्याय के विरुद्ध विद्रोह और तंत्र शक्ति के प्रदर्शन से भरा हुआ है, जो उनकी कथा को मार्मिक और प्रेरणादायक बनाता है। साधना के कुछ वर्षों बाद, जब लोना युवावस्था में पहुंचीं, तो वे गांव लौटीं। लेकिन लौटते ही उन्हें वही क्रूर वास्तविकता का सामना करना पड़ा। कथा के अनुसार, गांव के ग्यारह ठाकुर भाइयों ने—जो उच्च जाति के प्रभावशाली जमींदार थे—लोना की सुंदरता पर मोहित होकर उन्हें अपहरण कर लिया जबरन बलात्कार किया, जिसका बदला लेने अपने सिद्धियों से वायु रुप में गयी और एक एक करके सभी ठाकुर परिवार को मौत के घाट उतार दिया।

वहाँ लोना ने अपनी तंत्र विद्या का उपयोग किया। कुछ कथाओं में कहा जाता है कि लोना ने उनके वासना-राक्षस रूप को ही नष्ट कर दिया, और वे मृत्यु को प्राप्त हुए। यह घटना न केवल लोना की शक्ति का प्रमाण है, बल्कि स्त्री सम्मान की रक्षा का प्रतीक भी। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह तंत्र के ‘भोग’ सिद्धांत को दर्शाता है—तंत्र में भोग का अर्थ है ऊर्जा का संतुलित उपयोग, जहां शारीरिक इच्छाओं को दबाना नहीं, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक शक्ति में परिवर्तित करना सिखाया जाता है। लोना ने ठाकुरों की अनुचित इच्छा को एक याचना के रूप में देखा, लेकिन जब वह धर्म-विरुद्ध सिद्ध हुई, तो उन्होंने इसे नष्ट कर दिया।

यह कार्य पाप नहीं था, बल्कि धर्म रक्षा का कृत्य था, जो उन्हें मोक्ष की ओर ले गया। शैक्षणिक रूप से, यह घटना सामाजिक न्याय की मांग करती है। उस समय की जाति व्यवस्था में, चमार स्त्रियों को वस्तु समझा जाता था, लेकिन लोना ने अपनी तंत्र शक्ति से इस अन्याय को चुनौती दी। पद्मावत महाकाव्य में मलिक मुहम्मद जायसी ने लोना चमारिन का तीन बार उल्लेख किया है, जहां वे चमारिनि लोना के रूप में जादूगरनी के रूप में चित्रित हैं। जायसी जी ने लिखा— “जहिकर गुरू चमारिन लोना। सिखा काँवरू पाढ़न टोना…॥” अर्थात, लोना तंत्र विद्या की गुरु बनीं, जो कन्याओं को सिखाती थीं।

यह उल्लेख उनकी ऐतिहासिक वास्तविकता को प्रमाणित करता है। लोना की यह विजय ने उन्हें लोक-नायिका बना दिया। गांववासी, जो पहले उन्हें नीचा देखते थे, अब उनकी शरण में आने लगे। वे याचक बनकर लोना से रक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि की याचना करने लगे। लोना ने उनके लिए सरल शाबर मंत्र रचे, जैसे नजर उतारने या वशीकरण के लिए। इन मंत्रों में ‘लोना चमारिन’ का नाम जपना अनिवार्य है, क्योंकि यह उनकी शक्ति का केंद्र है।

लेकिन लोना ने कभी अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया; वे हमेशा धर्म के दायरे में रहकर भोग को आध्यात्मिक शांति में बदलती रहीं। इस चरण में, लोना की कथा हमें सिखाती है कि तंत्र विद्या का सच्चा स्वरूप रक्षा और समानता है, न कि विनाश। यदि भोग—चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक—धर्मसम्मत हो, तो यह मोक्ष का द्वार खोलता है, क्योंकि यह आत्मा को विकारों से मुक्त करता है। लोना की यह यात्रा एक गरीब चमारिन से तंत्र देवी तक का परिवर्तन दर्शाती है, जो हमें जातिगत भेदभाव की क्षणभंगुरता स्मरण कराती है।


लोना चमारिन के जीवन का उत्तरार्ध तंत्र साधना की पराकाष्ठा और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है, जो उनकी कथा को अमर बनाता है। कामाख्या मंदिर के जंगल में लौटकर, लोना ने गहन तपस्या की। यहां, कामरूप देश की शक्ति ऊर्जा ने उन्हें सिद्ध बना दिया। कथाओं के अनुसार, लोना ने कामाख्या देवी की आराधना में शाबर मंत्रों की एक श्रृंखला रची, जो आज भी तंत्र साधकों द्वारा प्रयुक्त होती हैं। इन मंत्रों में भोग का भाव प्रमुख है—तंत्र में भोग को नकारात्मक नहीं, बल्कि ऊर्जा का प्रवाह माना जाता है।

उदाहरणस्वरूप, एक मंत्र है— “ओम लोना चमारिन, कामरूप की रानी, जो भी याचक आए, उसकी इच्छा पूर्ण करो, लेकिन धर्म के मार्ग पर।” यह मंत्र दर्शाता है कि लोना याचकों की संरक्षक बनीं। धार्मिक दृष्टिकोण से, तंत्र के चार पुरुषार्थों—धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष—में काम को भोग के रूप में स्वीकार किया गया है। लोना ने सिद्ध किया कि यदि भोग धर्म के दायरे में हो, तो यह पाप नहीं, बल्कि शांति और मोक्ष का साधन है। शैक्षणिक रूप से, लोना की विरासत लोक-तंत्र को समृद्ध करती है।

शाबर मंत्र, जो संस्कृत के जटिल मंत्रों के विपरीत सरल हैं, ग्रामीण भारत को तंत्र से जोड़ते हैं। लोना के नाम से जुड़े मंत्र—जैसे मोहिनी, वशीकरण या रक्षा के—आज भी गांवों में प्रचलित हैं। पद्मावत में उनका उल्लेख राजा रतनसेन की कथा से जुड़ा है, जहां वे जादू के माध्यम से सहायता करती हैं। लेकिन लोना की कथा का मार्मिक पक्ष उनकी एकाकीता है—शक्ति प्राप्ति के बाद भी वे समाज से अलग-थलग रहीं, क्योंकि उनकी जाति ने उन्हें देवी का दर्जा नहीं दिया।

फिर भी, तांत्रिक उन्हें ‘देवी लोना चमारिन’ कहते हैं। यदि वे उच्च जाति से होतीं, तो मंदिरों में उनकी मूर्ति स्थापित होती। यह विडंबना हमें जातिवाद के विरुद्ध सोचने पर मजबूर करती है। लोना का देहांत रहस्यमय है—कहते हैं कि वे जंगल में समाधि में लीन हो गईं, और उनकी आत्मा कामाख्या की शक्ति में विलीन हो गई। उनकी मृत्यु के बाद, उनके शिष्य मंत्रों को फैलाते रहे, जो आज इंटरनेट पर भी उपलब्ध हैं।

शैक्षणिक दृष्टिकोण से, लोना की कथा स्त्री सशक्तिकरण का प्रतीक है। वे साबित करती हैं कि शिक्षा, साधना और विवेक से कोई भी—चाहे कितना भी वंचित हो—ऊंचाइयों को छू सकता है। तंत्र में भोग को मोक्ष से जोड़ना लोना की सबसे बड़ी देन है—यह दर्शाता है कि इच्छाओं को दबाना नहीं, बल्कि उन्हें पवित्र बनाना ही सच्चा धर्म है।


लोना चमारिन की कथा का धार्मिक और शैक्षणिक विश्लेषण हमें गहन चिंतन की ओर ले जाता है, जहां याचक-याचिका का भाव तंत्र विद्या के केंद्र में है। धार्मिक रूप से, लोना स्वयं एक याचक थीं—इसमाइल जोगी से ज्ञान की याचना करने वाली—और बाद में याचकों की देवी बनीं। उनके मंत्रों में याचिका का स्वरूप स्पष्ट है: “लोना चमारिन, मेरी रक्षा करो।” यह करुणा और शक्ति का संयोजन है।

तंत्र दर्शन में, भोग को चार उपासना—पौष्टिक, रौद्र, माध्य और वैष्णव—में वर्गीकृत किया गया है। लोना ने पौष्टिक भोग अपनाया, जहां शारीरिक ऊर्जा को आध्यात्मिक शक्ति में बदला जाता है। यदि भोग धर्मसम्मत हो—सहमति, विवेक और उद्देश्यपूर्ण—तो यह पाप नहीं, बल्कि मोक्ष का मार्ग है। शैक्षणिक दृष्टिकोण से, लोना की कथा सामाजिक सुधार की मांग करती है।

जाति व्यवस्था ने उन्हें देवी का दर्जा न देकर अन्याय किया, लेकिन उनकी शक्ति ने सिद्ध किया कि ईश्वर सबमें समान है। पद्मावत जैसे साहित्यिक ग्रंथों में उनका उल्लेख उनकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करता है। आज, जब स्त्री हिंसा एक समस्या है, लोना की कहानी प्रेरणा देती है—अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की। तंत्र को अंधविश्वास न मानकर, इसे विज्ञान की तरह समझें— ऊर्जा का संतुलन। लोना की विरासत हमें सिखाती है कि भोग से भागना नहीं, बल्कि उसे धर्म में ढालना ही शांति का रहस्य है।

लोना चमारिन की कथा एक मार्मिक समापन की ओर ले जाती है, जहां दर्द, शक्ति और आशा का संगम है। एक चमार बालिका से तंत्र देवी तक की यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि सच्ची शक्ति आंतरिक है। उनके मंत्र आज भी याचकों की सहायता करते हैं, और उनकी कथा जाति-भेद मिटाने की प्रेरणा देती है। यदि भोग को धर्म के साथ जोड़ा जाए, तो यह मोक्ष का द्वार, मुक्ति का मार्ग है।

अनुरागिनी यक्षिणी साधना कैसे करें

लोना चमारिन अमर हैं—उनकी जय हो। यह लेख लोना चमारिन की प्रेरणा से जनकल्याण के लिए प्रकाशित किया गया है। मंत्र पीडीएफ बुक ग्रथ रूप में रचित प्राप्त करने के डायरेक्ट भी भारतीय हवाटएप्स कालिंग सम्पर्क नम्बर 07379622843 पर सम्पर्क किया जा सकता है। amozan.in पर भी श्री चित्रगुप्त जी के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी में लिखी किताबें आनलाईन उपलब्ध हैं।

Conclusion: प्राचीन शास्त्रों की शिक्षा आज भी समाज में स्वस्थ संबंध और परिपक्व दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण है।

Disclaimer: यह सामग्री केवल धार्मिक सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से है, न कि किसी भी प्रकार की यौन क्रिया को प्रोत्साहित करने हेतु।

HomeOctober 27, 2022Amit Srivastav
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