महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है, और रोज़मर्रा की ज़रूरतें अब किसी लग्ज़री से कम नहीं लग रही हैं। इस लेख में हम व्यंग्यात्मक शैली में यह विश्लेषण करेंगे कि कैसे रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, सब्जियां, और खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जबकि सरकार विकास की बात कर रही है।
महंगाई के इस दौर में गरीब आदमी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है, और सरकार के लिए यह ‘स्वर्ण युग’ साबित हो रहा है। अगर आप भी महंगाई की मार झेल रहे हैं, तो इस लेख को पढ़कर अपनी भावनाओं को शब्दों में बंधा हुआ पाएंगे! और निस्पक्ष सुस्पष्ट निर्भिक बेदाग कलम की लेख को शेयर करने से अपने आप को रोक भी नहीं पायेंगे।
Table of Contents
महंगाई के स्वर्ण युग में जनता का संघर्ष
भारत में महंगाई का ऐसा दौर पहले कभी नहीं देखा गया, जब हर आम नागरिक को अर्थशास्त्री बनकर अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों का हिसाब-किताब करना पड़ रहा हो। सरकार ने ‘अच्छे दिनों’ का जो सपना दिखाया था, वह अब इतना महंगा हो गया है कि गरीबों के लिए तो केवल एक कल्पना भर रह गया है। रसोई गैस, पेट्रोल, सब्जियां, दालें, और अनाज—हर चीज़ के दाम आसमान छू रहे हैं, और जनता की जेबें ज़मीन से भी नीचे धंस चुकी हैं।
उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन तो बांट दिए गए, लेकिन उन्हें भरवाना अब उतना ही कठिन हो गया है जितना एक आम आदमी का करोड़पति बनना। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने गाड़ियों को शोपीस बना दिया है, और सड़कों पर दौड़ने वाले वाहन अब गैराज में धूल खा रहे हैं। टमाटर, प्याज और हरी सब्जियों की कीमतें इतनी अधिक हो चुकी हैं कि अब गरीब आदमी इन्हें सपनों में ही देख सकता है।
सरकार विकास की बात कर रही है, लेकिन जनता सिर्फ अपने घर का राशन पूरा करने की जद्दोजहद में लगी हुई है। महंगाई के इस स्वर्ण युग में अमीर और अमीर हो रहे हैं, और गरीबों की थाली से रोटी भी गायब होती जा रही है। अगर यही ‘अच्छे दिन’ हैं, तो फिर बुरे दिनों की कल्पना करना भी डरावना हो सकता है! पढ़िए भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी में निस्पक्ष निर्भिक बेदाग कलम से सत्यता को दर्शाता व्यंग्यात्मक लेखनी।

अर्थव्यवस्था का नया रामराज्य: जनता की कुर्बानी, सरकार की कहानी
महंगाई का ऐसा सुनहरा दौर पहले कभी नहीं आया, जब जनता की जेब हल्की और सरकार की झोली भारी हो। देश का हर आम नागरिक अब एक वित्त मंत्री की तरह सोचने लगा है—हर दिन का बजट बनाता है, खर्चों की प्राथमिकताएँ तय करता है और अंत में यह निष्कर्ष निकालता है कि “चलो, आज भी देश हित में उपवास करते हैं!”
जिस महंगाई को काबू में करने के लिए बड़े-बड़े अर्थशास्त्री किताबें लिखते थे, उस महंगाई को केंद्र सरकार ने ऐसी आज़ादी दे दी है कि वह बिना किसी रोक-टोक के अपनी मनचाही ऊँचाई तक उड़ रही है। आलम यह है कि अब आम आदमी को भी महसूस होने लगा है कि वह वाकई ‘विश्वगुरु’ बन रहा है—बस फर्क इतना है कि वह खाली पेट ध्यान करने को मजबूर हो गया है!
रसोई गैस: ‘उज्ज्वला’ से उजाड़ तक का सफर
एक दौर था जब गरीबों को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त सिलेंडर मिले थे, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि वे सिलेंडर सजावट के सामान बन गए हैं। लोग अब इसे घर में रखकर रिश्तेदारों को दिखाते हैं, जैसे कि कोई अनमोल धरोहर हो।
रसोई गैस की कीमतें ऐसी ऊँचाई छू रही हैं कि लोग अब इसे जलाने से पहले चार बार सोचते हैं। सिलेंडर भरवाने का खर्च इतना अधिक हो चुका है कि कई घरों में गैस चूल्हे जलना बंद हो गए हैं और लोग अपने पड़ोसियों को आशा भरी निगाहों से देखते हैं कि शायद वे दाल-चावल में से कुछ बचा हुआ दे दें।
जंगलों में लकड़ियाँ बटोरते लोग यह सोचकर खुश हो रहे हैं कि चलो, सरकार ने हमें पुरानी परंपराओं की ओर लौटने का मौका दिया है। लकड़ी जलाकर खाना बनाना अब मजबूरी नहीं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नया प्रतीक बन चुका है।
पेट्रोल-डीजल: ‘सपनों का ईंधन’
अब पेट्रोल पंप पर जाने का मतलब है कि जेब में कम से कम चार-पाँच हज़ार रुपये रखो, वरना वहां जाना भी बेकार है। लोग अब अपने वाहनों की पूजा करके उन्हें गैराज में बंद कर चुके हैं, क्योंकि उनकी औकात अब साइकिल चलाने की रह गई है। यह अकाट्य सत्य आप अपने पर न लें मै खुद अपने आप पर ही बता दें चार पहिया से दो पहिया फिर साईकिल वो बेचारी साईकल भी तहसील भाटपार में एसडीएम साहब के चेम्बर के सामने से गायब हो गयी।

amitsrivastav.in से विश्व स्तरीय गूगल प्लेटफार्म पर यह तो है खट्टी-मीठी विदेशी पाठकों को भी जानकारी चाहिए ही भारत विकास के पथ सहित विश्व गुरु बनने के लिए अग्रसर है। मतलब यह स्पष्ट है कि लोगों कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और भारतीय गंवई चोर जो पहले बड़ी-बड़ी चीजों पर हाथ साफ़ करते थे अब छोटी-छोटी चीज़ भी चुराना शुरू कर दिये हैं – अपना खर्चा निकालने से परहेज नहीं करते। कारण यह है कि सरकार का ध्यान लोगों का जेब खाली करने पर लगा हुआ भरने का कोई रास्ता नहीं है।
आये दिन चमत्कार हो रहे हैं- आनलाईन का जबाना है, खाने-पीने का नही ठिकाना है, मोबाइल रिचार्ज कराना है नही तो अब इनकमिग भी मोदी सरकार बंद करने का नियम बना दी है, फिर भी पैन कार्ड को आधार से लिंक कराने के लिए दो चार हजार कहीं न कहीं से तो लाना है। एक मात्रा या अंक कि गलती अगर आधार मे या किसी प्रमाण पत्र मे है तो उसे सुधार कराना है, मतलब साफ है दो चार हजार रुपये कही न कही से लगाना है और दो चार महीने का चक्कर भी काटना है।
आपका जन्म कब हुआ था आपके माता पिता के बताएं अनुसार या बोर्ड परीक्षा के प्रमाण पत्र से भी अब नहीं माना जाता है – गांव कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और ग्राम प्रधान आपके जन्म को बताते हुए प्रमाण पत्र निर्गत करते हैं। जो शायद आपसे उम्र में भी छोटे हों या आपको जानते भी न हों, फिर कागज और रूपये का दौर शुरू होता है और जन्म /मृत्यु प्रमाणपत्र आनलाईन दो चार हजार रुपये खर्च के बाद बनता है, फिर आधार सुधार के लिए जाते हैं, दो चार चक्कर लगा दो चार सो खर्च करते हैं, फिर आपकी तरक्की होती है! आप अप-टू-डेट हो जाते हैं।
यही है भारत का असली विकास जो विपक्ष मे रहकर विरोध किया, वही और तगड़ा नियम बनाकर लागू। यह मुद्दा बहुत बड़ा है आते हैं – शिर्षक महंगाई को मिली तेज़ रफ़्तार क्योंकि केंद्र में है – मोदी सरकार।
कुछ उत्साही लोग तो अपने दुपहिया वाहनों को ‘विंटेज’ घोषित करने की सोच रहे हैं, क्योंकि वे अब सड़क पर दौड़ते कम और शोकेस में सजे ज़्यादा दिखते हैं। लोग अब अपने दोपहिया और चारपहिया वाहनों को उतनी ही मोहब्बत से देखते हैं, जितनी राजा-महाराजाओं के जमाने में लोग हाथी-घोड़ों को देखा करते थे।
सब्ज़ी और फल: अमीरों की थाली में, गरीबों की यादों में
अगर आपको लगता है कि सेब, अंगूर, और अनार सिर्फ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, तो अब यह सोच बदल लीजिए। ये अब स्टेटस सिंबल बन चुके हैं। टमाटर की कीमतें इतनी अधिक हो गई हैं कि लोग शादी-ब्याह में गहनों के बदले टमाटर के गिफ्ट पैक देने लगे हैं।
आलू प्याज हरे सब्जी की कीमत इतनी बढ़ चुकी है कि अब लोग उसे तिजोरी में रखते हैं और खास मौकों पर ही निकालते हैं। कोई-कोई तो प्याज की माला बनाकर इसे गले में डालकर घूम रहा है ताकि लोग जान जाएं कि वे ‘असली अमीर’ हैं।
सब्जियों का हाल यह है कि दुकानदार अब उन्हें सोने-चांदी के गहनों की तरह बेचते हैं। “भैया, आधा किलो टमाटर देना,” कहने पर दुकानदार आपको ऊपर से नीचे तक ऐसे देखता है जैसे आपने उनकी दुकान खरीदने की बात कह दी हो।
खाने-पीने की चीज़ें: भूख का नया गणित
महंगाई का सबसे बड़ा असर जनता की थाली पर पड़ा है। दालें अब इतनी महंगी हो गई हैं कि लोग अब ‘दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ’ वाली कहावत को छोड़कर सिर्फ प्रभु के गुण गाने में लग गए हैं, क्योंकि खाने को तो कुछ बचा ही नहीं।
आटे-चावल के दाम ऐसे चढ़े हैं कि लोग अब गेहूं और धान की खेती करने के बजाय इन्हें घर के लॉकर में रखने लगे हैं। कुछ लोगों ने तो अपने घर में छोटे-छोटे गोदाम बना लिए हैं, ताकि आने वाले सालों में इन्हें बेचकर अमीर बन सकें।
अब होटल और रेस्तरां में जाने वाले लोग ‘बिल’ देखकर रो पड़ते हैं। पहले खाने के बाद टिप देने का चलन था, अब लोग बिल देखकर वेटर से खुद टिप मांगने लगते हैं।
महंगाई के फायदे: सरकार के लिए स्वर्ण युग
अब सरकार को भी इस महंगाई से फायदा हो रहा है। टैक्स कलेक्शन रिकॉर्ड तोड़ रहा है, और सरकार कह रही है कि देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत हो रही है। गरीबों की जेब से निकला हर पैसा अब सरकारी खजाने की शोभा बढ़ा रहा है।
सरकार का दावा है कि देश की अर्थव्यवस्था शानदार गति से बढ़ रही है। हाँ, यह बात अलग है कि यह गति नीचे से ऊपर नहीं, बल्कि ऊपर से नीचे जा रही है। मतलब अमीर और अमीर हो रहे हैं, और गरीबों को उनकी गरीबी का असली स्वाद चखने का मौका मिल रहा है।

अच्छे दिन’ का नया संस्करण
अब तो यह पूरी तरह साफ़ हो चुका है कि अच्छे दिन आ चुके हैं, बस फर्क इतना है कि वे जनता के लिए नहीं, बल्कि सरकार के लिए आए हैं। जनता अपने पेट पर पत्थर रखकर, जेब में छेद करके, और आंखों में आंसू भरकर ‘अच्छे दिनों’ का इंतजार कर रही है।
जब देश की जनता किसी चीज़ को खरीदने से पहले 10 बार सोचने लगे, जब हर आदमी अर्थशास्त्री बनकर घर का बजट बनाने लगे, जब लोग बिना ईंधन के वाहन चलाने की कला सीख जाएं—तो समझ लीजिए कि देश वाकई विकास कर रहा है और जल्द ही विश्व गुरु बनने वाला है! जय हिन्द जय भारत।
(हमारी यह खट्टी-मीठी लेख बढ़ती महंगाई देश का तेज विकास पर व्यंग्यात्मक है, कृपया इसे हल्के-फुल्के अंदाज में लें! किसी भक्त जन को ठेस पहुंचाना इस लेख का उद्देश्य नही है। अकाट्य सत्य है कि मोदी सरकार मे मध्यम वर्गीय परिवार गरीब होता जा रहा है और गरीबों को महंगाई की मार झेलना पड़ रहा है, अमीर चांदी काट रहे हैं। पहले से गरीबों कि श्रेणी में जो लोग थे थोड़ी-बहुत सरकारी योजना का लाभ भी पा रहे हैं। मोदी सरकार मे जिनका स्थिति बिगड़ गया है उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है।) Click on the link गूगल ब्लाग पर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Anuragini Yakshini Sadhana अनुरागिनी यक्षिणी साधना: प्रेम, सम्मोहन और आत्मीयता की सिद्ध तांत्रिक विद्या 1 WONDERFUL

संस्था की आड़ में अवैध वसूली और ठगी: सुजीत मोदी सहित कई सहयोगियों पर गंभीर आरोप

लोना चमारी और सिद्धेश्वर अघोरी: तांत्रिक सिद्धियां और तंत्र युद्ध की 1 Wonderful अमर गाथा

Yakshini sadhna सबसे सरल और प्रभावशाली कामोत्तेजक यक्षिणी साधना विधि 1 Wonderful

लोना चमारी की पुस्तक: तंत्र-मंत्र की गुप्त साधना और रहस्यमयी विधि-विधान 1 Wonderful आह्वान

Story of Maharishi Dadhichi: महर्षि दधीचि पुत्र पिप्पलाद ऋषि की कथा 1 Wonderful

संस्था के नाम पर अवैध वसूली और ठगी का धंधा: सुजीत मोदी और सहयोगियों के खिलाफ गंभीर आरोप

Sex Education यौन शिक्षा की भारत में आवश्यकता, चुनौतियां और समाधान या 1 Opposition

Friendship in hindi – क्या पुरुष और महिला के बीच शुद्ध मित्रता संभव है, या यह हमेशा आकर्षण, प्रेम, या शारीरिक इच्छा से प्रभावित होती है? Wonderful 9 तथ्य
