हरि ओम जादूगर का जीवन किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है। यह कहानी एक छोटे से गांव के एक आम लड़के की है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और अपने पूर्वजों से प्राप्त तंत्र-मंत्र की विद्या के बल पर न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि दुनिया भर में जादू के क्षेत्र में भी अपना नाम रोशन किया। उनके जीवन में जो रहस्य और शक्ति है, वह हर किसी को आश्चर्यचकित कर देती है। आइए, जानिए हम भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की कर्म-धर्म लेखनी द्वारा इस अद्भुत और संघर्षमय यात्रा के बारे में पूरी सत्यता पर आधारित हरि ओम जादूगर की आपबीती कहानी से।
दादा की विरासत: भेरा कटारा भील और काली विधियां
हरि ओम जादूगर के दादा, भेरा कटारा भील, ने बहुत ही कम उम्र में काली विधियों का गहन अध्ययन किया। भेरा कटारा का जन्म आदिवासी भील परिवार में हुआ था, जहां काली विधियों और तंत्र-मंत्र की विशेष महत्ता थी। उनका गुरु, हिरा नाथ माजन बनिया, जो कामरू देश कामाख्या देवी सहित त्रिया राज्य जादूई नगरी से अपार कष्ट झेलते हुए जादूगर बना था, जब हरि ओम जादूगर के दादा का गुरू हिरा नाथ बनिया कामाख्या के तांत्रिक क्षेत्र त्रिया राज्य में पहुंच गया। कईयों वर्षों तक जादूगरनियों के गिरफ्त में पशु के रूप में बैल बन बंधा रहा। जादूगरनी अपनी इच्छा अनुसार मनुष्य रूप देकर अपनी कामवासना कि पूर्ती करतीं फिर तंत्र-मंत्र का थोड़ा-थोड़ा विद्या दे पुनः पशु रूप देकर बांध दिया करती थी। वहां से सम्पूर्ण सिद्धी प्राप्त कर एक जादूगरनी को अपनी बहन बना वापस अपने घर परिवार में चला आया। हिरा नाथ एक बहुत प्रसिद्ध तांत्रिक था, जिसने भेरा कटारा को शमशान घाट में साधना करने के लिए प्रेरित किया। यह वही समय था जब भेरा कटारा ने काली विधियों के माध्यम से शक्तियों को प्राप्त किया। उन्होंने वहां मारण प्रयोग, वशीकरण मंत्र, टोना-टोटका, श्मशान साधना और 52 वीर तथा 84 वीर की रूहानी तांत्रिक चिकित्सा सीखी।
काली विधियां और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से भेरा कटारा भील का नाम दूर-दूर तक फैल गया। उन्होंने न सिर्फ भूत-प्रेत, डाकनी और कालवा जैसी समस्याओं से लोगों को निजात दिलाई, बल्कि उन्होंने दुखी और बीमार लोगों का इलाज भी किया। भेरा कटारा की इस अजीबोगरीब शक्ति और ज्ञान ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई, और वे अपनी शक्तियों से सैकड़ों परिवारों की मदद करने में सफल रहे।
पिता की शिक्षा: हिरा कटारा भील की जादुई यात्रा
हरि ओम जादूगर के पिता, हिरा कटारा भील, ने भी काली विधियों और तंत्र-मंत्र की शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों की सेवा की और भेरा कटारा भील की तरह कई उपचार विधियों का उपयोग किया। हिरा कटारा का यह मानना था कि काली विधियां केवल एक प्रकार की शक्ति नहीं होती, बल्कि यह एक जीवनदायिनी शक्ति है, जो किसी के दुखों को दूर करने और उन्हें शांति प्रदान करने का माध्यम बनती है।
जब भेरा कटारा का निधन हुआ, तो उनके जीवन के ज्ञान को हिरा कटारा ने हरि ओम को दिया। हिरा कटारा ने धीरे-धीरे हरि ओम को काली विधियों के बारे में सिखाना शुरू किया। काली विधियों में रुचि और इनकी शक्ति के प्रति गहरी आस्था ने हरि ओम के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।
हरि ओम की शुरुआत: शिक्षा और संघर्ष

हरि ओम जादूगर का बचपन संघर्षों से भरा हुआ था। वह आठवीं कक्षा तक पढ़ाई में ही पीछे रह गए थे, क्योंकि उनका ध्यान पूरी तरह से काली विधियों और तंत्र-मंत्र में लग गया था। कक्षा में ध्यान ना लगाने के कारण उन्हें शिक्षा में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। हरि ओम का मानना था कि उनकी असल शिक्षा जीवन से संबंधित है, और वह जीवन में सफलता पाने के लिए हमेशा मेहनत करते रहे।
2007 में हरि ओम ने मुंबई का रुख किया। वहां उन्होंने कई काम किए, जैसे चाय की दुकान पर काम करना, होटल में बर्तन धोना, रंगाई-रंगाई का काम करना, सब्जी बेचना और किराना की दुकान लगाना। इन सभी छोटे-मोटे कामों के बावजूद, उनका मन हमेशा काली विधियों की साधना में लगा रहता है। वे समय-समय पर काली विधियों के बारे में अपनी जानकारी को बढ़ाने की कोशिश करते रहते रहे हैं।

जादू का सफर: हरि ओम का मैजिक शो
2009 में हरि ओम ने काली विधियों के साथ-साथ जादू में भी रुचि लेना शुरू किया। उन्होंने धीरे-धीरे मैजिक सीखना शुरू किया और उसे अपने शो में प्रस्तुत करना शुरू किया। अपने शो के दौरान, उन्होंने राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, बैंगलोर, हैदराबाद और अन्य प्रमुख शहरों में जादुई प्रदर्शन किए। हरि ओम का यह विश्वास है कि जादू के द्वारा वह लोगों के चेहरों पर हंसी ला सकते हैं और उनका मन हलका कर सकते हैं।
हरि ओम के जादू के शो ने उन्हें देश भर में प्रसिद्धि दिलाई। उनकी जादुई कला ने न सिर्फ लोगों को मोहित किया, बल्कि उन्हें काली विधियों और तंत्र-मंत्र में भी और अधिक निपुण बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और पुरस्कार

2021 में, कोरोना महामारी के कारण जादू शो पर रोक लग गई, लेकिन हरि ओम ने इसका सामना करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने इंटरनेशनल आई.बी.एम. अमेरिका में तीन बार भाग लिया और बाद में वियतनाम में आयोजित इंटरनेशनल मैजिक क्लब प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद, उन्होंने इंटरनेशनल मैजिक क्लब के जज के रूप में कार्य किया और 40 देशों के जादूगरों को निशुल्क प्रमाणपत्र प्रदान किए।
इसके बाद, उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले, जिनमें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, इन्फुलसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और वर्ल्ड रेकॉर्ड जैसी महत्वपूर्ण मान्यताएं शामिल हैं। हरि ओम के जादुई सफर ने उन्हें भारतीय रत्न सम्मान, परम भूषण अवॉर्ड, उदयपुर रत्न सम्मान जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलाए।
काली विधियों का जुनून: अब भी कम नहीं हुआ है
आज भी हरि ओम जादूगर का काली विधियों के प्रति जुनून और तंत्र-मंत्र का अध्ययन जारी है। वे समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन मैजिक प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, जिसमें वह जादूगरों को निशुल्क प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र प्रदान करते हैं।
अब हरि ओम का लक्ष्य भारत और विदेशों में काली विधियों और तंत्र-मंत्र के रहस्यों को और अधिक लोगों तक पहुंचाना है। वे कामरूदेश और कामाख्या देवी के मंदिर में जाकर अपनी काली विधियों की साधना करना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह साधना उन्हें और अधिक शक्तिशाली बनाएगी और वह दुनिया भर के लोगों की मदद कर सकेंगे। गूगल सर्च से हमारी कईयों लेखनी से प्रभावित हो गूगल पोस्ट से नम्बर पाकर इन्होंने सम्पर्क किया और जानकारी ली अब जून माह में लगने वाले अंबुबाची मेला कामाख्या शक्तिपीठ पर जाने का मन बनाया है। काले जादूई क्षेत्र मायोंग गांव भी जाने की इच्छा व्यक्त किया है।
हरि ओम जादूगर की पारिवारिक पृष्ठभूमि
हरि ओम जादूगर का जन्म एक आदिवासी भील परिवार में हुआ था, जो राजस्थान के गोगुंदा कस्बे के नर्सिंग दास जी के गुड़ा गांव से जुड़ा हुआ था। उनका परिवार कड़ी मेहनत करने वाला और संघर्षशील था, और हरि ओम के जीवन में यह परिवार की परंपराएं और संस्कार अहम भूमिका निभाते थे। उनके परिवार के सदस्य न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी मजबूत थे, जो उन्हें जीवन के कठिन रास्तों पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे।
दादा- भेरा कटारा भील
हरि ओम जादूगर के दादा, भेरा कटारा भील, परिवार के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने काली विधियों और तंत्र-मंत्र की शिक्षा हासिल की थी, जो उनके परिवार की अगली पीढ़ियों के लिए एक गहरी और रहस्यमयी धरोहर बन गई। भेरा कटारा ने शमशान घाट में साधना की थी और वहाँ से काली विधियों का ज्ञान प्राप्त किया था। उनका मानना था कि इन विधियों से ही किसी भी व्यक्ति को जीवन में शक्ति और सफलता मिल सकती है। उनके द्वारा किए गए रूहानी इलाज, जैसे भूत-प्रेत, डाकनी, और कालवा से मुक्ति दिलाने के उपाय, बहुत प्रसिद्ध थे। इस प्रकार, भेरा कटारा भील का नाम अपने कार्यों और सिद्धियों से बहुत दूर-दूर तक फैल गया, और उनका प्रभाव परिवार और समाज दोनों में गहरा था।
पिता – हिरा कटारा भील
हरि ओम के पिता हिरा कटारा भील भी एक महान तंत्रज्ञ थे। भेरा कटारा के निधन के बाद, उन्होंने परिवार के इस काले जादू और तंत्र-मंत्र के ज्ञान को संभाला और अपनी परंपरा को आगे बढ़ाया। हिरा कटारा ने काली विधियों का अध्ययन किया और लोगों के दुखों का समाधान निकालने में मदद की। उन्होंने कई बीमारियों का इलाज किया और अपने परिवार को काली विधियों के बारे में विस्तार से सिखाया। उनके मार्गदर्शन में, हरि ओम ने अपनी तंत्र-मंत्र की शिक्षा पूरी की और जीवन के कठिन रास्तों पर चलने की प्रेरणा पाई।
हरि ओम का प्रारंभिक जीवन
हरि ओम का बचपन बहुत ही साधारण था। उन्हें शिक्षा में अधिक रुचि नहीं थी, क्योंकि उनका ध्यान काली विधियों और तंत्र-मंत्र के अध्ययन में पूरी तरह से लगा रहता था। उनकी शिक्षा में कठिनाई आई, और उन्होंने आठवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि, इस समय के बाद उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका पारिवारिक पृष्ठभूमि, जिसमें तंत्र-मंत्र और काली विधियों की गहरी समझ थी, उनके व्यक्तित्व और कार्यों पर गहरा प्रभाव डालती रही।
हरि ओम की पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें शक्ति, साहस और आत्मविश्वास दिया। उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें न सिर्फ कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि किसी भी कार्य को ईमानदारी और पूरी निष्ठा से किया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है। इस प्रकार, हरि ओम का परिवार उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक था।
भारत में प्रसिद्ध तांत्रिक स्थल और काला जादू: एक परिचय
भारत एक ऐसा देश है जहाँ तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और विभिन्न तांत्रिक परंपराओं का प्राचीन समय से ही गहरा संबंध रहा है। यहां के कुछ स्थान ऐसे हैं, जिनकी गूढ़ तांत्रिक परंपराएं, रहस्यमयी साधनाएं और तंत्र विद्या के अभ्यास के कारण इन्हें देशभर में विशिष्ट पहचान मिली है। आइए जानें ऐसे ही प्रमुख स्थलों और तांत्रिक परंपराओं के बारे में, लेखक भगवान चित्रगुप्त वंशज-अमित श्रीवास्तव की कलम से जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम

कामाख्या मंदिर भारत का सबसे प्रमुख तांत्रिक स्थल माना जाता है। यह असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी से थोड़ी दूरी पर नीलाचल पर्वत पर स्थित है। कामाख्या देवी को तांत्रिक परंपराओं का केंद्र माना जाता है, और यहाँ पर विशेष रूप से शक्ति की उपासना की जाती है। इस मंदिर में देवी सती की ‘योनि’ गिरी थी, जिसके कारण इसे सिद्धपीठ माना गया। यहाँ हर साल जून महीने में अंबुबाची मेला आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में साधक और तांत्रिक इकट्ठा होते हैं। इस स्थान की तांत्रिक परंपराओं का प्रभाव और गूढ़ता विश्वभर के साधकों को आकर्षित करता है।
मायोंग: काले जादू का गढ़
असम के मोरीगांव में स्थित मायोंग गांव को ‘भारत का काला जादू की राजधानी’ कहा जाता है। गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे जंगली क्षेत्र में स्थित इस गांव की पहचान काले जादू के अभ्यास के लिए है। ऐसा माना जाता है कि मायोंग से ही काले जादू की परंपराएं और तांत्रिक विधियां फैली हैं। यह गांव जादू, तंत्र-मंत्र, और टोने-टोटके की पुरानी कहानियों से भरा हुआ है। माना जाता है कि महाभारत काल के घटोत्कच, भीम और हिडिंबा के पुत्र, ने भी इसी गांव में जादुई शक्तियां प्राप्त की थीं। आज भी यहां पर लोग तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक और अन्य जादुई प्रक्रियाओं का अभ्यास करते हैं।
अघोरी और उनकी साधना स्थल
अघोरी साधक तंत्र-मंत्र और शव साधना में माहिर माने जाते हैं। ये साधना अक्सर श्मशान में की जाती है, और इसके माध्यम से साधक आत्मा, मृत्यु और परामनोवैज्ञानिक शक्तियों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। भारत में ऐसे कुछ प्रमुख श्मशान स्थल हैं जहां अघोरी साधक साधना करते हैं, जैसे कामाख्या पीठ का श्मशान, तारापीठ का श्मशान, त्रंबकेश्वर, और उज्जैन के चक्रतीर्थ का श्मशान। अघोरी साधक अपनी कठोर साधनाओं और रहस्यमयी जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। श्मशान साधना के माध्यम से वे शिव शक्ति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और अद्वितीय ज्ञान व शक्तियां अर्जित करने की कोशिश करते हैं।
जादूगर और ऐंद्रजालिक
भारतीय जादूगरों को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। आमतौर पर जो व्यक्ति भ्रम जाल का प्रदर्शन करता है उसे ‘जादूगर’ या ‘ऐंद्रजालिक’ कहा जाता है। वहीं, कुछ विशेष प्रकार के जादू प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को उनके कार्य के अनुसार मायावी, बाजीगर, या परामनोवैज्ञानिक के रूप में भी जाना जाता है। ऐंद्रजालिक वे होते हैं, जो अपने जादुई प्रभावों से लोगों का मनोरंजन करते हैं। भारतीय समाज में तंत्र-मंत्र और जादू का अपना एक विशिष्ट स्थान है, जहाँ लोग इसे रुचि और आश्चर्य के साथ देखते हैं।
काले जादू के लक्षण और पहचान
काले जादू के प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति में कई प्रकार के लक्षण देखे जा सकते हैं। यह माना जाता है कि जिन लोगों पर काले जादू का प्रभाव होता है, वे मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। उनमें नकारात्मक ख्याल आने लगते हैं, चेहरे पर से तेज खत्म हो जाता है, चेहरा पीला या काला पड़ने लगता है, और आँखें लाल रहती हैं। ये संकेत बताते हैं कि व्यक्ति पर किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव है। हालांकि, आधुनिक विज्ञान के दृष्टिकोण से काले जादू और जादू-टोने को मान्यता नहीं दी जाती है, लेकिन समाज के कुछ हिस्सों में यह विश्वास आज भी प्रचलित है।
काला जादू का उद्देश्य और सिद्धांत
काला जादू एक प्रकार की तांत्रिक साधना मानी जाती है, जिसका उद्देश्य पराप्राकृतिक शक्तियों का उपयोग कर अपने स्वार्थ को पूरा करना होता है। आमतौर पर काला जादू व्यक्तिगत लाभ के लिए, किसी अन्य व्यक्ति को हानि पहुंचाने या किसी की मानसिकता पर प्रभाव डालने के लिए किया जाता है। काले जादू के पीछे यह मान्यता है कि यह नकारात्मक शक्तियों की सहायता से होता है। इसका उल्लेख वैदिक साहित्य, खासकर अथर्ववेद में मिलता है, जहां पर तंत्र-मंत्र, जादू-टोने और औषधियों का विस्तृत वर्णन है।
जादू और तंत्र-मंत्र की प्राचीन परंपरा
भारत में तंत्र-मंत्र और जादू का इतिहास बहुत पुराना है। वैदिक साहित्य में जादू-टोना और तंत्र-मंत्र का उल्लेख मिलता है, खासकर अथर्ववेद में। इसमें न केवल तंत्र-मंत्र और टोने-टोटके का जिक्र है, बल्कि औषधीय गुणों और जीवन रक्षा के उपायों का भी उल्लेख है। इसके माध्यम से यह सिद्ध करने की कोशिश की गई है कि तंत्र-मंत्र और जादू-टोना उस समय के समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे।

हरि ओम जादूगर के काले जादूगरी की कहानी का निष्कर्ष
हरि ओम जादूगर का जीवन यह दर्शाता है कि जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना करना सिर्फ मानसिक शक्ति और संकल्प से ही संभव है। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि अगर किसी के पास जुनून, समर्पण और सही मार्गदर्शन हो, तो वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है, चाहे वह कितना भी मुश्किल क्यों न हो। हरि ओम का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह साबित करता है कि किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास और संघर्ष बेहद जरूरी हैं।
हरि ओम जादूगर की पारिवारिक पृष्ठभूमि में काली विधियों और तंत्र-मंत्र की परंपरा का गहरा असर रहा है। उनके दादा और पिता ने ही उन्हें यह ज्ञान दिया, जिसने बाद में हरि ओम को न सिर्फ जादू और तंत्र-मंत्र में निपुण किया, बल्कि समाज के दुखों को दूर करने के लिए उनकी राह भी तय की। उनके परिवार का संस्कार और शिक्षाएं आज भी उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
भारत का तांत्रिक और जादू-टोना की परंपरा विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में विविधता लिए हुए है। कामाख्या, मायोंग, और अघोरियों के श्मशान साधना स्थल जैसे स्थान इस प्राचीन परंपरा के अद्वितीय स्थल हैं, जहाँ साधक, तांत्रिक और जादूगर अपने-अपने प्रकार की साधनाएं करते हैं। विज्ञान ने इनकी सच्चाई को साबित नहीं किया है, किन्तु कामाख्या शक्तिपीठ जैसे स्थानों पर होने वाली दैवीय शक्तियों से चमत्कार के सामने विज्ञान अपनी पराजय स्वीकार जरुर किया है। तंत्र-मंत्र जादू टोने-टोटके इन पर आधारित आस्था और परंपराओं ने भारत के सांस्कृतिक धरोहर में अपना स्थान बनाए रखा है। आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट बॉक्स में जय मां कामाख्या देवी जरुर लिखिए। क्योंकि सती की योनि भाग से स्थापित प्रथम कामाख्या शक्तिपीठ ही तंत्र-मंत्र जादू टोने-टोटके का मूल केंद्र विन्दु प्राचीन काल से रहा है और आज भी है।
यह जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट बॉक्स में जय मां कामाख्या देवी लिखिए क्योंकि तंत्र-मंत्र जादू टोने-टोटके का मूल केंद्र विन्दु यहीं से शुरू हुई और आज भी है।
बहुत ही रोचक जानकारी गुरूदेव आपने दिया है इस लेख में। जादूगर को बधाई आपको सादर प्रणाम 🙏🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी तह दिल से प्यार आभार व्यक्त करता हूं
श्रीवास्तव जी आपकी लेखनी बहुत ही रोचक ज्ञानवर्धक सत्यता को उजागर करते हुए रहती है आप कि कलम से लिखित लेखनी को नियमित पढ़ते रहने के लिए बेल आइकन को दबा एक्सेप्ट किया हूं। आपका नोटिफिकेशन मिलते ही समय निकाल पढा करता हूं। इस लेखनी में बहुत ही रोचक जानकारी दिए हैं जादू टोने-टोटके से सम्बन्धित आपको सादर प्रणाम 🙏जादूगर को बहुत बहुत बधाई।
आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहे सर जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद सा
बहुत सुंदर सर जी
धन्यवाद सादर
धन्यवाद सादर
बहुत ही रोचक लेखनी 🙏
हरिओम जी को भी बहुत बहुत बधाई, और ईश्वर से प्रार्थना है की और ऊंचाइयों को छुए।
हरिओम जी के लिए एक बात तो जरूर कहनी पड़ेगी कि जितनी भी सफलता अभी तक पाई है देश विदेश में परंतु ज़मीन से जुड़े एक बहुत ही नेक दिल शक्षियत है। 🙏🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहे
बहुत ही रोचक जानकारी हरिओम जादूगर जी से इतना ज्ञानवर्धक हमें मिला इसके लिए जादूगर हम हरिओम जी को तहे दिल से धन्यवाद और इसी तरह आगे बढ़ते रहें और देश दुनिया में अपना नाम रोशन करते रहे और जो इंटरनेशनल प्रतियोगिता चलते हैं उन्हें हमेशा चलते रहे
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर जी आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है
सुपर बहुत बड़िया रियल कहानी सर hariom jadu gar बहुत बड़ा सांगस किया sir ने हरिओम जादूगर रियल jadugar he बहुत अच्छा लगा आपका आभार व्यक्त करते है 🙏🙏🙏🙏
Thank you so much 😊
बहुत खूब आप भविष्य में भी बहुत उन्नति करे इसी मंगल कामना के साथ आपको बहुत बहुत बधाई
Thank you so much 😊 thank
Vvv nice so happy 😊
धन्यवाद सा ओम नमो आदेश