नई दिल्ली में विश्व भोजपुरी सम्मेलन और मैथिली भोजपुरी अकादमी के राष्ट्रीय अधिवेशन में ‘भोजपुरिया अमन’ पत्रिका के राम जियावन दास बावला विशेषांक का शानदार लोकार्पण हुआ। सांसद मनोज तिवारी, डॉ. अरुणेश नीरन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में भोजपुरी संस्कृति, साहित्य और संत बावला बाबा के योगदान का उत्सव मनाया गया।
नई दिल्ली, भारत की राजधानी, एक बार फिर भोजपुरी भाषा, संस्कृति और साहित्य के उत्सव का साक्षी बनी। विश्व भोजपुरी सम्मेलन और मैथिली भोजपुरी अकादमी, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन ने भोजपुरी समाज के गौरव और उसकी समृद्ध परंपराओं को न केवल उजागर किया, बल्कि इसे एक नई ऊंचाई प्रदान की।
इस अधिवेशन का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण रहा देवरिया के प्रख्यात पत्रकार, साहित्यकार और भोजपुरी संस्कृति के सेनानी डॉ. जर्नादन सिंह द्वारा संपादित पत्रिका ‘भोजपुरिया अमन’ के राम जियावन दास बावला विशेषांक का भव्य लोकार्पण। यह विशेषांक भोजपुरी समाज के एक महान संत, समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु राम जियावन दास बावला के जीवन, दर्शन और योगदान को समर्पित है। इस आयोजन ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति लोगों के प्रेम और समर्पण को एक बार फिर प्रदर्शित किया।
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विश्व भोजपुरी सम्मेलन, जो भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और इसकी सांस्कृतिक पहचान को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है, ने इस राष्ट्रीय अधिवेशन को एक ऐतिहासिक मंच प्रदान किया। मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के सहयोग से, इस आयोजन को और अधिक व्यापक और प्रभावशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सभागार में आयोजित इस समारोह में देश-विदेश से भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रेमी, विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र हुए।
‘भोजपुरिया अमन’ पत्रिका भोजपुरी समाज के लिए एक साहित्यिक और सांस्कृतिक मंच है, जो भोजपुरी भाषा में विचारों, साहित्य और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देती है। इस पत्रिका का राम जियावन दास बावला विशेषांक उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके सामाजिक सुधारों, आध्यात्मिक दर्शन और भोजपुरी समाज पर उनके प्रभाव को विस्तार से प्रस्तुत करता है।
राम जियावन दास बावला, जिन्हें भोजपुरी समाज में ‘बावला बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसे संत थे जिन्होंने अपने उपदेशों और कार्यों से समाज में समता, भाईचारा और आध्यात्मिक जागरूकता का संदेश दिया। इस विशेषांक का लोकार्पण न केवल उनकी स्मृति को श्रद्धांजलि है, बल्कि भोजपुरी समाज को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा भी देता है।

भोजपुरिया अमन—लोकार्पण समारोह का भव्य आयोजन
लोकार्पण समारोह की शुरुआत पारंपरिक भोजपुरी संस्कृति के रंग में रंगी हुई थी। मंच को भोजपुरी लोककला और संस्कृति से प्रेरित चित्रों, रंगोली और पारंपरिक वस्तुओं से सजाया गया था। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और मां सरस्वती की वंदना के साथ हुई, जिसमें भोजपुरी लोकगीतों की मधुर प्रस्तुति ने सभी के मन को मोह लिया। इस अवसर पर विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरुणेश नीरन मुख्य अतिथि सांसद मनोज तिवारी, विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत दुबे, संतोष ओझा, और पत्रिका के संपादक डॉ. जर्नादन सिंह ने विशेषांक का विमोचन किया।
मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. अपूर्व नारायण तिवारी (बनारसी बाबू), डॉ. अशोक द्विवेदी, भगवती प्रसाद द्विवेदी, शंभूनाथ चौबे, कर्नल एस. के. ओझा, महेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. पारितोष मणि, विनय मणि त्रिपाठी, मनीष चौधरी, अंजलि, डॉ. देवेंद्र तिवारी, डॉ. जे. पी. द्विवेदी, डॉ. उमाशंकर साहु, और सुल्तान शहरयार खान जैसे प्रख्यात लोग शामिल थे। इन सभी ने अपने विचारों से समारोह को और अधिक गरिमामय बनाया।
राम जियावन दास बावला भोजपुरी समाज के एक ऐसे संत और समाज सुधारक थे, जिन्होंने अपने जीवन को समाज के उत्थान और आध्यात्मिक जागरण के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी सोच और कार्य असाधारण थे। बावला बाबा ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। उनके उपदेशों में भक्ति, कर्म और समता का संदेश प्रमुख था।
उन्होंने भोजपुरी लोकगीतों और कथाओं के माध्यम से अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचाया, जिससे उनकी शिक्षाएं आम लोगों के लिए सहज और प्रासंगिक बन गईं। ‘भोजपुरिया अमन’ का यह विशेषांक राम जियावन दास बावला के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए है। इसमें उनके द्वारा स्थापित आश्रमों, उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों, और उनके आध्यात्मिक दर्शन पर विस्तृत लेख शामिल हैं।
विशेषांक में भोजपुरी साहित्यकारों, विद्वानों और शोधकर्ताओं के लेखों के माध्यम से बावला बाबा के योगदान को रेखांकित किया गया है। साथ ही, उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनकही कहानियां और लोककथाएं भी इस अंक में स्थान पा चुकी हैं, जो पाठकों को उनके व्यक्तित्व की गहराई से परिचित कराती हैं।
भोजपुरिया अमन – विमोचन समारोह में व्यक्त विचार
विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि सांसद मनोज तिवारी, जो स्वयं भोजपुरी सिनेमा और संस्कृति के एक प्रमुख चेहरा हैं, ने अपने संबोधन में कहा, “राम जियावन दास बावला जैसे संत भोजपुरी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके समय में थीं। ‘भोजपुरिया अमन’ का यह विशेषांक न केवल उनकी स्मृति को जीवित रखेगा, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों से जोड़ेगा।” उन्होंने भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए विश्व भोजपुरी सम्मेलन के प्रयासों की भी सराहना की।
विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सिंह ने अपने संबोधन में भोजपुरी संस्कृति की समृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भोजपुरी भाषा और संस्कृति में एक अनूठी शक्ति है, जो लोगों को जोड़ती है। राम जियावन दास बावला जैसे व्यक्तित्व ने इस शक्ति को और मजबूत किया। यह विशेषांक उनके विचारों को नई पीढ़ी तक ले जाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय महासचिव डॉ. अरुणेश नीरन ने अपने उद्बोधन में पत्रिका के संपादक डॉ. जर्नादन सिंह की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “डॉ. जर्नादन सिंह ने ‘भोजपुरिया अमन’ के माध्यम से भोजपुरी साहित्य और संस्कृति को एक नया मंच प्रदान किया है। यह विशेषांक राम जियावन दास बावला के जीवन और दर्शन को समझने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।”
पत्रिका के संपादक डॉ. जर्नादन सिंह ने अपने संबोधन में विशेषांक के पीछे की प्रेरणा और उद्देश्य को साझा किया। उन्होंने कहा, “राम जियावन दास बावला का जीवन भोजपुरी समाज के लिए एक मिसाल है। इस विशेषांक के माध्यम से हम उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं। यह पत्रिका भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”
लोकार्पण समारोह केवल एक पत्रिका के विमोचन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भोजपुरी भाषा और संस्कृति का एक भव्य उत्सव था। समारोह में भोजपुरी लोकगीतों, नृत्यों और काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। भोजपुरी कवि सम्मेलन में कई प्रख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भोजपुरी भाषा की मिठास और गहराई को प्रस्तुत किया।
इसके अलावा, समारोह में भोजपुरी साहित्य और संस्कृति पर चर्चा के लिए एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने, इसके साहित्य को बढ़ावा देने और इसे डिजिटल मंचों पर ले जाने जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया। इस गोष्ठी में भोजपुरी भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, जिन्हें विश्व भोजपुरी सम्मेलन और मैथिली भोजपुरी अकादमी द्वारा भविष्य में लागू करने की योजना है।
‘भोजपुरिया अमन’ का राम जियावन दास बावला विशेषांक न केवल एक पत्रिका है, बल्कि यह भोजपुरी समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह विशेषांक नई पीढ़ी को उनके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने का एक प्रयास है। राम जियावन दास बावला के जीवन और दर्शन को केंद्र में रखकर यह विशेषांक भोजपुरी समाज को एकता, समता और भाईचारे का संदेश देता है।
इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति केवल एक क्षेत्रीय पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन और मैथिली भोजपुरी अकादमी के इस संयुक्त प्रयास ने भोजपुरी समाज को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है।
नई दिल्ली में आयोजित इस राष्ट्रीय अधिवेशन और ‘भोजपुरिया अमन’ के राम जियावन दास बावला विशेषांक का लोकार्पण भोजपुरी भाषा और संस्कृति के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। इस आयोजन ने न केवल राम जियावन दास बावला जैसे महान संत के योगदान को सम्मानित किया, बल्कि भोजपुरी समाज को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा भी दी।
यह विशेषांक और इस तरह के आयोजन भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने और इसे विश्व स्तर पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भोजपुरी समाज के लिए यह गर्व का क्षण है, और यह आयोजन भविष्य में और अधिक सांस्कृतिक और साहित्यिक पहलों की नींव रखेगा।
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