सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

Amit Srivastav

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शारीरिक संबंध के साथ जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्यों जरूरी है ? SEX EDUCATION 

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है, स्कूली शिक्षा में जोडना, यौन शिक्षा पाठ्यक्रम – सेक्स एजुकेशन। जी हां बढ़ती जनसंख्या का मुख्य देन है, लोगों में सेक्स से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारियों का अभाव। अगर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने या सेक्स के प्रति आकर्षित होने से पहले सेक्स एजुकेशन यौन शिक्षा की समुचित जानकारी हो तो न अनचाहा गर्भ धारण होगा, न गर्भपात कराने की जरूरत, और सुखदायी भरपूर, सेक्स पूर्ति भी आसानी से होगी। जिस तरह से दिनचर्या में खाना-पीना, सोना-जागना, साफ-सफाई, नहाना-धोना आदि शामिल है उसी प्रकार सेक्स भी हम मनुष्य या जीव-जंतुओं के लिए जीवन में शामिल है, तो सेक्स एजुकेशन- यौन शिक्षा आखिर ससमय सभी के लिए अनिवार्य क्यूँ नहीं? जबकि यौन शिक्षा रती शास्त्र, कोख शास्त्र, ज्योतिषशास्त्र कि जानकारी से सुयोग्य पुत्र या पुत्री कि उत्पत्ति अपनी इच्छानुसार किया जा सकता है। सेक्स एजुकेशन से गर्भ में पल रहा भ्रुण लड़की है या लड़का इसकी भी जानकारी गर्भ धारण से लेकर उत्पत्ति तक सटीक रूप से बिना किसी डाक्टरी जांच-पड़ताल, खुद ही किया जा सकता है। शिशु किस प्रवृत्ति का चाहिए खुद अपने आप पर निर्भर करता है, यौन शिक्षा कि सही जानकारी होने पर सेक्स से सम्बंधित बहुत सारी डाक्टरी या उपचार खुद ही किया जा सकता है।
सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

हमारे जीव विज्ञान व मेडिकल साइंस में सेक्स एजुकेशन से जुड़ा थोड़ा ज्ञान भरा हुआ है जो प्रयाप्त नही है। यौन शिक्षा निचले स्तर से हिन्दी एवं स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए, क्योंकि ? हर कोई मेडिकल कॉलेज तक कि पढ़ाई नहीं करता और नीचले कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों के बीच भी यौन संबंध बनते-बनाते देखा जा रहा है। आज आनलाईन इंटर्नेट के जमाने में गूगल, यूट्यूब तमाम साइटों वेबसाइटों सहित हिन्दी भोजपुरी फिल्म व टीवी सिरियलो द्वारा अश्लीलता युवाओं के मनोभाव पर परोसा जाता है। ऐसी स्थिति में सेक्स का सही समुचित ज्ञान बालपन से हो तो यौन उत्पीड़न के मामलों में हस्तक्षेप हो सकता है और अनावश्यक गर्भ धारण से बचाव के साथ जनसंख्या नियंत्रण उदेश्य को पूरा किया जा सकता है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनियों ने जो भी सुयोग्य या अयोग्य पुत्र पुत्रियों को उत्पन्न किया, उत्पत्ति के पहले ही उनकी कार्यशैली जीवन गाथा को जान लिया। इसका बहुत सारा प्रमाण हमारे धर्म ग्रंथों में मिलता है। जन्म समय पर आधारित जन्म एवं लग्न पत्रिका बनाईं जाती है, अब इसका चलन धीरे-धीरे कम हो गया है। शादी-ब्याह के लिए लग्न पत्रिका का मिलान किया जाना हमारे पूर्वजों की दी हुई परम्परा है। इस परम्परा का पालन करते हुए वैवाहिक जीवन सुखदायी सावित हुआ है। इन परम्पराओं में बहुत ही रहस्य छूपी हुई है। गुण, दोष, नाड़ी, वर्ण आदि की मिलान को, आज की युवा पीढ़ी समझने में असमर्थ है। इन रहस्यों को आज धर्म ग्रंथों को मानने वाले बुद्धजीवियों के अलावा सामान्य व्यक्ति नही जानता, अगर जानकारी होती तो मनचाहा पुत्र-पुत्रियों की उत्पत्ति होती और आज किसी देश में प्रधानमंत्री या राज्य के मुख्यमंत्री को न जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की आवश्यकता होती न किसी मुख्यमंत्री को सेक्स एजुकेशन पर बोलने की जरुरत पड़ती।

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?
आज इंटर्नेट के जमाने में व्यवस्था से परिपूर्ण व्यक्ति को किसी तरह की जानकारी की आवश्यकता है, तो वह आसानी से गूगल द्वारा प्राप्त कर लेता है। हम लेखकों द्वारा ही दी गई जानकारी किसी व्यक्ति को गूगल सर्च में मिलता है। सेक्स एजुकेशन को स्कूली शिक्षा के मुख्य धारा में जोडने की बात भारत देश में बिहार राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में कहने मात्र से देश व्यापी विवाद खड़ा कर दिया है, जो एक राजनीतिक छवि को खराब करने का तोड़-मरोड़ प्रयास है। भारत देश में 70 प्रतिशत आवादी अंग्रेजी भाषा को समझने में असमर्थ है। इस स्थिति में वहां की स्थानीय भाषा में न बताया जाना, अग्रेजी भाषा में सिर्फ वक्तव्य देना भैंस के आगे बीन बजाने के समान ही है। जहां जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर जनसंख्या नियंत्रण का असफल प्रयास हो रहा है, वही स्थानीय भाषा में सेक्स एजुकेशन पर बोल देना महिलाओं के प्रति अपमान जनक शब्द कह विवाद खड़ा कर दिया गया है। आज लोगों को सेक्स एजुकेशन के बारे में बहुत ही कम जानकारी है। हालांकि इसके बारे में लोगों को पता होना बेहद जरूरी है। अक्सर सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करते हुए लोग हिचहिचाते हैं। अगर कोई बात करता है तो आंखों से आंख मिलाने से भी घबराते हैं। सेक्स एजुकेशन के जरिए लोगों को यौन संबंधी कई तरह की जानकारी मिलती है। सेक्स एजुकेशन में यौन संबंध बनाने का तरीका, प्रजनन प्रणाली, अनचाहे गर्भधारण, सही तरीके से सेक्स द्वारा बहुत सारी बीमारियों का इलाज़ आदि के बारे नीचले स्तर से स्कूलों में पढ़ाये जाने की आवश्यकता है।
सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?
Sex Education: सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है। आखिर ये इतनी जरूरी क्यों है ? आपने क्या कभी सोचा है ? आज हम आपको बता रहे हैं स्कूली शिक्षा में यौन शिक्षा पाठ्यक्रम, Sex Methods In Hindi… Sex Education को जोड़ना और अच्छी तरह से पढ़ाना क्यों जरूरी है? यह हमारे सेक्शुअल लाइफ पर कैसे प्रभाव डालता है?
 

सेक्स एजुकेशन की जरूरत क्यों है?

सेक्स एजुकेशन में लोगों को प्रोटेक्टिव सेक्स, गर्भनिरोधक और बॉडी स्क्रक्चर के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सेक्स के दौरान किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए इसके बारे में भी पूरी जानकारी मिलती है। जिन लोगों ने यौन शिक्षा प्राप्त किया है, उनकी सेक्स लाइफ बहुत ही बेहतर है और उनकी जिंदगी में कई बड़े बदलाव आये हैं। अगर लोगों को सेक्स एजुकेशन दी जाए तो सेक्शुअल बैलेंस, अनापेक्षित गर्भावस्था और सेक्स के जरिए होने वाली बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। सेक्स एजुकेशन का असल मकसद लोगों को यौन संबंध से जुड़ी हर जानकारी देना होता है।

 

निहायत जरूरी है सेक्स एजुकेशन

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

सेक्स एजुकेशन में यौन संबंध बनाने के सही तरीके बताए जाते हैं, हर व्यक्ति को शारीरिक सम्बन्ध बनाने का सही ज्ञान होना जरूरी है। यौन संबन्धित बीमारी जैसे योनी में गांठ का होना, बच्चेदानी में समस्या, सम्बन्ध बनाने में किसी को दर्द का महसूस होना वगैरह, सही सेक्स एजुकेशन निजात दिलाता है। और साथ ही साथ परिपक्वता के बारे में भी जानकारी मिलती है। सेक्स एजुकेशन के जरिए समाज में यौन संबंध को लेकर फैली गलत धारणाओं को भी खत्म किया जा सकता है। सेक्स न घृणित है न अनावश्यक, सेक्स प्रत्येक जीवन का मूल आधार है, इसकी समुचित जानकारी हर किसी को होनी आवश्यक है। बालपन से ही ज्यादातर बच्चों का मन जाने-अनजाने में सेक्स के प्रति आकर्षित होते देखा जा रहा है। सेक्स एजुकेशन से लोगों में एक आत्मविश्वास भरा जा सकता है। जिसकी वजह से अपने पार्टनर के सामने सहज और अच्छा महसूस किया जा सके। सेक्स एजुकेशन में मेंटल हेल्थ, सेक्शुअल हेल्प और सेक्शुअल अधिकारों के बारे में बताया जाता है। कैसे इंसान का मूड और आसपास की परिस्थितियां उसके सेक्शुअल हेल्थ पर असल डालती हैं और कैसे अपने पार्टनर को समझना और उसके मानसिक स्थिती को जानना जरूरी होता है। इन सब के बारे में अनिवार्य रूप से नीचले स्तर से स्कूली शिक्षा के माध्यम से दिया जाना चाहिए।

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

हम सब जगत-जननी द्वारा उत्पन्न किए गए ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित ऋषि, मुनि, देव, दैत्य, दानव की संतानें हैं। इस श्रृष्टि में सर्वशक्तिशाली श्रृष्टि विस्तार एवं संहार करने वाली नारी ही है। स्त्री स्वरूपा जगत-जननी आदिशक्ति कि प्रथम रचना ब्रह्मा दूसरे विष्णु श्रृष्टि में प्रलय काल तक रहेंगे, और महेश जिनके साथ आदिशक्ति अनेकों रुप में स्यम् अर्धांगिनी हैं आदि से अंत और अंत से आदि तक सदैव रहेगें। आदिशक्ति द्वारा त्रिदेवों को उत्पन्न करने का उद्देश्य ही श्रृष्टि का विस्तार करना है। इसका प्रमाण तमाम धर्म ग्रंथों में वर्णित है। सेक्स एजुकेशन, यौन शिक्षा, रती शास्त्र, कोख शास्त्र आदि का ज्ञान वेद-शास्त्र, धर्म-ग्रंथों से देखा जाए तो स्पष्ट समझ आ जायेगा की हमारे पूर्वजों को था। इस सही शिक्षा और ज्ञान से आज की पीढ़ी अनभिज्ञ होती जा रही है, जिसका खामियाजा इस श्रृष्टि को भुगतना पड़ रहा है। हमारे पूर्वजों द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया ज्ञान और विज्ञान जो एक परम्परागत तरीके से चल रहा था, का भी धीरे-धीरे परित्याग किया जानें लगा है। ऋग्वैदिक वर्ण व्यवस्था के अनुसार वर्ण का निर्धारण कर्म से माना गया और समाज को उसी आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के अलग-अलग वर्ण निर्धारित किये गए। सामजिक स्थिति और शुद्धता के मद्देनज़र मनुष्य चार वर्णों में विभाजित हुआ । उन चार वर्णों में से कर्म के अनुसार जातीय प्रथा में विभाजित हुआ। जो आज जाती प्रथा आरक्षण व्यवस्था के दृष्टिगत मानव जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। वैदिक, साहित्य, धर्म-कर्म, समुचित शिक्षा का अभाव ही है, जो आज सेक्स एजुकेशन का पाठ्यक्रम स्कूली शिक्षा में शामिल करने की बात पर एटम बम विस्फोट की तरह विवाद खड़ा कर दिया है। इतना भी नहीं सोचा जा रहा है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने से कैसे जनसंख्या नियंत्रण होगी और जनसंख्या नियंत्रण के लिए युवा पीढ़ी को कैसे प्रेरित किया जाएगा। जब युवा पीढ़ी को सेक्स एजुकेशन का ज्ञान होगा तभी जनसंख्या नियंत्रण कानून व्यवस्था – सफलता हासिल करेगी। अज्ञानता की देन है जो हमारे पूर्वजों से विरासत में मिला था, वो धीरे-धीरे लूप्त होता जा रहा है। और आने वाली पीढ़ी दुष्ट और दानवों की तरह होती जा रही है। मानवता कितना प्रतिशत बचा है इसका भी सहज आकलन किया जा सकता है। माता-पिता के प्रति न बच्चों में आदरभाव है न बच्चों के प्रति माता-पिता में स्नेह है। मानव समाज में ऐसा दिखता है कि इस पृथ्वी पर आकर अमरत्व प्राप्त हो गया है और सदैव के लिए सब कुछ अपने लिये ही है।

आते हैं मूल मुद्दा सेक्स एजुकेशन पर

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?
सेक्स एजुकेशन, यौन शिक्षा में – मेंटल हेल्थ, सेक्शुअल हेल्थ के साथ-साथ सेक्शुअल अधिकारों, प्रोटेक्टिव सेक्स, गर्भ निरोधक, बाॅंडी स्क्रक्चर की जानकारी होती है। सेक्स एजुकेशन, यौन शिक्षा में रती शिक्षा कोख शास्त्र का समुचित ज्ञान होने पर अपनी इच्छानुसार इच्छित पुत्र-पुत्री इच्छित समय में प्राप्त किया जा सकता है। अनचाही गर्भ धारण से भी बचते हुए भरपूर यौन सुख प्राप्त और प्रदान किया जा सकता है।
यौन शिक्षा का अभाव- दुर्भाग्य है कि आजकल इतना शिक्षित युवतियों को अपने ओव्यूलेशन डे का पता नहीं रहता। पीरियड्स से कितने दिन आगे पीछे किया जानें वाला सेक्स सेफ सेक्स डेज होता है। कब कैसे किया जाए सेक्स पुत्र या पुत्री होगी। यह सब जानकारी सेक्स एजुकेशन से दिया जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अगर कोई सेक्स एजुकेशन पर चर्चा स्थानीय भाषा में कर दे तो यह कोई गुनाह नहीं है। और माफी मांगने की जरूरत भी नहीं। वैसे लोगों का काम ही है विरोध करना-कराना जो स्वार्थी हों और बुजुर्गों की कहावत चरितार्थ करने वाले हो – सात मूंस खा के बिलार भईली भगतीन।
सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?

प्राचीनकाल में ऋषि, मुनि, देव और देवियों द्वारा श्रृष्टि विस्तार के लिए ऋतु, काल, चक्र का सम्पूर्ण ज्ञान था। जिस कारण तेजस्वी पुत्र पुत्री उत्पन्न होते थे। सेक्स के दौरान क्या ख्याल रखा जाए जो शरीर पर दुस्प्रभाव न डाले, न किसी बिमारी को निमंत्रण दे? गलत तरीके से किया जाने वाला सेक्स किसी के लिए थोड़ा सुखदायी होता है, तो किसी के लिए ज्यादा दुखदाई हो जाता है। आजकल ज्यादातर महिलाओं में बच्चेदानी से जुड़ी तमाम समस्याओं को देखा जा रहा है इसका मुख्य देन गलत तरीके से किया जाने वाला सेक्स ही है। आज पूर्वजों की परम्परा वर-वधू के लिए कुंडली मिलान तो दहेज प्रथा और प्रेम विवाह के साथ ही धीरे-धीरे लूप्त होने लगी है। जन्म कुंडली मिलान से स्पष्ट हो जाता है वर-वधू की जोड़ी, सम्बन्ध कैसा रहेगा अगली पीढ़ी कैसी होगी तमाम जानकारी जन्म कुंडली से मिलती है। आज बेजोड़ी विवाह ज्यादा ही हो रहा है जो एक दूसरे के लिए सुखदायी कम दुखदाई ज्यादा दिख रहा है।

सेक्स एजुकेशन पर विवाद क्यूँ ?
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