चन्दौली। उत्तर प्रदेश के राजकीय आईटीआई काॅलेज औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में हाल ही में दूरस्थ शिक्षा से बीटेक की फर्जी डिग्रियों के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर आसीन होकर भ्रष्टाचार करने के गंभीर मामले प्रकाश में आए हैं। जबकि यदि बीटेक प्रोग्राम AICTE -DEB दोनों की मान्यता प्राप्त हो और वह प्रोग्राम ODL/ ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा मोड में विस्तार से मान्यता प्राप्त हो तो राजकीय सेवा में बैधता मिल सकती है।

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परंतु इंजीनियरिंग/तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए अनुभव प्रैक्टिकल प्रयोगशाला आदि आवश्यक है और दूरस्थ ऑनलाइन मोड में यह सुविधा कदापि पूरी नहीं की जा सकती हैं, जबकि पूर्व में उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय दोनों ने ही दोषी 18 प्रधानाचार्यों की दूरस्थ डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया है। इसके बावजूद अभी तक यह अपने पद पर कैसे बने रहे। यह समझने योग्य है।
यह स्थिति अत्यंत चिंतनीय है। विशेषकर तब जब इन्वेस्ट प्रधानाचार्यों की शैक्षिक योग्यता की जांच पूर्व में तत्कालीन निदेशक यशु रुस्तगी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। तथापि प्रभावशाली तत्वों द्वारा धनबल का प्रयोग कर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

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