कंकालि शक्तिपीठ Kankali Shakti peeth, मेरठ का एक प्राचीन और सिद्ध शक्तिपीठ है, जिसे माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है, जहां भक्तों को माँ कंकालि देवी की कृपा प्राप्त होती है। यह मां कामाख्या देवी की प्रेरणा से भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज के देव वंश-अमित श्रीवास्तव की लेख मंदिर की महिमा, इतिहास, धार्मिक मान्यताओं और यहाँ तक पहुँचने के मार्ग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
Table of Contents
1. कंकालि शक्तिपीठ 16वीं मेरठ का परिचय
Introduction to Kankali Shakti peeth 16th Meerut

कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut, Uttar Pradesh) में स्थित एक प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल है, जो माता सती के 51 शक्तिपीठों (Sati Shakti peeth) में से एक माना जाता है। यहाँ पर सती के एक कान का कुंडल (Ear Ornament of Sati) गिरा था, जिसके कारण इसे कंकालि शक्तिपीठ कहा जाता है। मेरठ, जो ऐतिहासिक रूप से “क्रांतिधरा” (Land of Revolution) के नाम से जाना जाता है, इस शक्तिपीठ के कारण शक्ति उपासना (Shakti Worship) का भी प्रमुख केंद्र है।
यहाँ भैरव कपिलेश्वर (Bhairav Kapileshwar) माता की रक्षा करते हैं और भक्तों को उनकी मनोकामनाएँ पूरी करने का आशीर्वाद देते हैं। यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से अनमोल है। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण इसे भक्तों के लिए विशेष बनाता है। यहाँ की कहानियाँ और चमत्कार इसे देश भर में प्रसिद्ध करते हैं।
2. सती के शक्ति पीठ की पौराणिक कथा
Mythological Story of Sati Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) की उत्पत्ति की कथा माता सती (Goddess Sati) और भगवान शिव (Lord Shiva) से जुड़ी है। पुराणों के अनुसार, जब सती के पिता दक्ष (Daksha) ने यज्ञ आयोजित किया और शिव का अपमान किया, तो सती ने क्रोध और दुख में यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया। यह देखकर शिव क्रोधित और व्याकुल हो गए तभी माता काली का प्रादुर्भाव हुआ दोनो के संयोग से भद्रकाल की उत्पत्ति हुई, भद्रकाल दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस कर दक्ष प्रजापति का सर काट दिया।
सभी देवताओं ने भगवान शिव से दक्ष प्रजापति को जीवन दान देने का आग्रह किया। तब भगवान शिव दक्ष प्रजापति के यज्ञ स्थल पर उपस्थित हो कर दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर प्रदान कर जीवन दान दिया और सती के मृत शरीर को गोद में उठाकर तांडव नृत्य (Tandava Dance) करने लगे। उनका यह क्रोध सृष्टि के लिए खतरा बन गया। तब भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने अपने सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) से सती के शरीर को माता आदिशक्ति से आज्ञा पाकर 51 भागों में विच्छेदित कर दिया।
सती के अंग आभूषण जहाँ-जहाँ गिरे, वहाँ शक्तिपीठ बन गए। मेरठ में सती का कान का कुंडल गिरने से कंकालि शक्ति पीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) का निर्माण हुआ। यह कथा माता की शक्ति और शिव के प्रेम को दर्शाती है, जो भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
3. मेरठ का ऐतिहासिक महत्व और शक्तिपीठ
Historical Significance of Meerut and Shaktipeeth
मेरठ (Meerut History) का इतिहास बहुत पुराना है और यह महाभारत काल (Mahabharata Era) से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि पांडवों ने अपने वनवास का कुछ समय यहाँ बिताया था। यहाँ द्रौपदी का स्वयंवर भी हुआ था, ऐसा कुछ विद्वान मानते हैं। इसके अलावा, 1857 की क्रांति (First War of Independence 1857) की शुरुआत भी मेरठ से हुई थी, जिसने इसे “क्रांतिधरा” का नाम दिया।
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) इस ऐतिहासिक शहर को धार्मिक पहचान भी देता है। यहाँ की प्राचीनता और शक्ति की कहानियाँ इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। मंदिर के आसपास की लोककथाएँ बताती हैं कि यहाँ कई चमत्कार हुए हैं, जो इसे भक्तों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।
4. सती के कुंडल का रहस्यमयी महत्व
Mystical Significance of Sati’s Earring
सती का कान का कुंडल (Ear Ornament of Sati) कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shaktipeeth) की पहचान है। हिंदू मान्यताओं में कुंडल को नारी शक्ति (Feminine Power), सुंदरता और संवेदनशीलता का प्रतीक माना जाता है। यहाँ इसकी पूजा से भक्तों को लगता है कि माता उनकी हर प्रार्थना सुनती हैं। एक कथा के अनुसार, जब कुंडल यहाँ गिरा, तो आसमान से प्रकाश की किरणें निकलीं और यह स्थान पवित्र हो गया।
कुछ लोग कहते हैं कि इस कुंडल में माता की दिव्य शक्ति (Divine Energy) समाई है, जो यहाँ के वातावरण को हमेशा ऊर्जावान रखती है। यह प्रतीक भक्तों को जीवन में संतुलन और सुख की प्रेरणा देता है। ब्लाग पोस्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
5. भैरव कपिलेश्वर की दिव्य शक्ति
Divine Power of Bhairav Kapileshwar
कंकालिनी मंदिर शक्तिपीठ (Kankali Devi temple, Shakti peeth) में भैरव कपिलेश्वर (Bhairav Kapileshwar) की मौजूदगी इसे और पवित्र बनाती है। शक्तिपीठों में भैरव को शक्ति का रक्षक (Guardian of Shakti) माना जाता है। यहाँ वे कपिलेश्वर महादेव के रूप में माता की सेवा करते हैं। पौराणिक कथाओं में भैरव को शिव का क्रोधित रूप कहा गया है, जो बुराई को नष्ट करते हैं।
एक कथा के अनुसार, जब सती का कुंडल यहाँ गिरा, तो शिव ने भैरव रूप में यहाँ निवास किया ताकि माता की शक्ति की रक्षा हो सके। भक्त मानते हैं कि उनकी पूजा से डर, दुख और शत्रु दूर होते हैं। यहाँ की शक्ति और भैरव का संयोग इसे तंत्र साधना (Tantra Sadhana) के लिए भी खास बनाता है।
6. कंकालि शक्तिपीठ की स्थापना का रहस्य
Mystery of Kankali Shaktipeeth’s Origin
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) की स्थापना का रहस्य आज भी लोगों को आश्चर्य में डालता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, जब सती का कुंडल यहाँ गिरा, तो स्वयं भगवान शिव ने इसे अपने तप से पवित्र स्थल बनाया। स्थानीय कथाओं में कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहाँ घना जंगल था, जहाँ साधु-संत तपस्या करते थे। एक रात कुंडल की चमक से यह स्थान प्रकाशित हो उठा और एक दिव्य आवाज ने इसे शक्तिपीठ घोषित किया।
कुछ लोग मानते हैं कि यहाँ पहले एक छोटा शिवलिंग था, जो बाद में कपिलेश्वर के रूप में पूजा जाने लगा। यह रहस्यमयी कहानी इसे और भी रोचक और आकर्षक बनाती है।
7. तंत्र साधना और कंकालि शक्तिपीठ
Tantra Sadhana and Kankali Shakti peeth

कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) का तंत्र साधना (Tantra Sadhana) से गहरा नाता है। यह स्थान प्राचीन काल से तांत्रिक सिद्धियों (Tantric Powers) का केंद्र रहा है। यहाँ साधक अपनी आध्यात्मिक शक्तियाँ जागृत करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। तंत्र साधना का केंद्र विंदु प्रथम कामाख्या शक्तिपीठ जो सभी शक्तिपीठों में सर्वशक्तिशाली सर्वश्रेष्ठ है का ही भाग सभी शक्तिपीठ हैं।
इसका उदाहरण जब सती अपना शरीर त्याग कर दीं और उनके शरीर के अंग आभूषण से शक्तिपीठ निर्मित हुआ तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने दैत्यराज नरकासुर को योनि स्थान कामाख्या शक्तिपीठ को नष्ट करने के लिए भेजा था। लेकिन नरकासुर देवी कामाख्या की मनमोहक रुप को देखकर अपना विचार बदल लिया। देवी ने कहा बहुत कठिन परिक्षा से गुजरते हुए तुम हमारे पास तक आये हो, अपनी इच्छा अनुसार वर मांगों, तब नरकासुर ने माता के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।
माता ने योग्यता की परिक्षा लेने के लिए भूतल से अपने स्थान तक भक्तों को आने-जाने के लिए मार्ग बनाने की बात कही – वो भी एक रात्री काल में, नरकासुर मार्ग बनाने का कार्य संध्या काल के बाद शुरू किया और अर्ध रात्री से पहले ही माता के स्थान से कुछ दूरी तक कार्य सम्पन्न कर दिया। जो नरकासुर मार्ग आज भी स्थित है। देवी-देवताओं मे हाहाकार मच गयी सभी देवी देवताओं ने मिलकर मां आदिशक्ति कि अराधना कर शक्तिपीठ की रक्षा के लिए कहा, तब आदिशक्ति ने कहा शक्तिपीठ कि रक्षा के लिए भगवान शिव भैरव रूप मे सभी शक्तिपीठों में विधमान हैं।
यह याचना भैरव से ही करो, तब सभी देवता भैरव कामेश्वर का आवाह्न किए जैसा कि माता कामाख्या का एक नाम कामेश्वरी भी है, जिनके पास भैरव रूप मे कामेश्वर विधमान रहते हैं। भैरव कामेश्वर मुर्गे का रुप लेकर आवाज लगानी शुरू किया जिससे नरकासुर को लगा अब हम अपने कार्य में असफल हुए। लज्जा से नरकासुर सर झूका पाताल लोक के लिए प्रस्थान किया। रास्ते मे दैत्यगुरु शुक्राचार्य उसे रोककर उसके साथ हुए छल की बात बताई तब नरकासुर और भी क्रोध में निलांचल पर्वत की ओर चला और पर्वत को उखाड़ने या उलाटने का ज्यो प्रयास शुरू किया, मां कामेश्वरी पुनः वर देने के लिए प्रकट हुईं।
तब नरकासुर अपने साथ पाताल लोक चलने के लिए माता से कहा। माता ने नरकासुर के साथ पाताल लोक जाने के लिए राजी हो गयीं, साथ ही इन्होंने कहा जब जहा भी असुरीय प्रवृत्ति तुम्हारे मन में विधमान होगी वही से मै तुम्हारा त्याग कर दूँगी। सभी देवी देवताओं ने मनुष्य रूप ले नरकासुर को उज्जैन में भगवान की संज्ञा दे रोक लिया। कुछ दिनों तक नरकासुर यहां रहा और धीरे-धीरे नरकासुर को अभिमान होने लगा और असुरीय प्रवृत्ति जागृति हो गई वहीं मां कामाख्या अमावस्या से एक दिन पहले नरकासुर का त्याग कर दीं और नरकासुर का वध हुआ। मां कामेश्वरी अपने मूल स्थान कामाख्या मे आकर स्थापित हो गयीं।

पूरी वृतांत विस्तार से जानने के लिए हमारी प्रथम शक्तिपीठ लेखनी पढ़ने के लिए यहां ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये। आते हैं माँ कामाख्या देवी के आशीर्वाद से शक्तिपीठ कंकालि देवी मेरठ में एक कथा के अनुसार, यहाँ एक तांत्रिक साधक ने माता की कृपा से अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त की थी। माना जाता है कि माता और भैरव की जोड़ी तंत्र में सबसे शक्तिशाली होती है। रात के सन्नाटे में ध्यान से सुनने पर यहाँ मंत्रों की गूंज सुनाई देती है, जो इसे रहस्यमयी बनाती है। यह स्थान तंत्र साधकों के लिए आज भी महत्वपूर्ण है।
8. कंकालि मंदिर का प्राचीन ढांचा
Ancient Structure of Kankali Temple
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Temple Meerut) का मंदिर प्राचीन भारतीय शैली में बना है। इसके पत्थरों पर की गई नक्काशी प्राचीन काल की कला को दर्शाती है। गर्भगृह में सती के कुंडल की छोटी मूर्ति स्थापित है, जिसके चारों ओर भक्त प्रार्थना करते हैं। मंदिर के बाहर एक प्राचीन कुआँ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं। समय के साथ मंदिर में कुछ बदलाव हुए, लेकिन इसकी मूल संरचना आज भी बरकरार है। यहाँ का शांत वातावरण और प्राचीन ढांचा भक्तों को ध्यान और भक्ति में डुबो देता है।
9. कंकालि शक्तिपीठ में धार्मिक अनुष्ठान
Religious Rituals at Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) में सालों साल धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। नवरात्रि (Navratri) के दौरान यहाँ भव्य हवन और पूजा का आयोजन होता है। मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, और भक्त लंबी कतारों में माता के दर्शन के लिए खड़े रहते हैं। कपिलेश्वर भैरव की विशेष पूजा भी यहाँ की परंपरा है। एक कथा के अनुसार, नवरात्रि में यहाँ एक भक्त को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए थे। ये अनुष्ठान भक्तों के जीवन में सुख और शांति लाते हैं। यहाँ की धार्मिकता हर किसी को प्रभावित करती है।
10. कंकालि शक्तिपीठ की स्थानीय मान्यताएँ
Local Beliefs of Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) के आसपास के लोग कई मान्यताओं में विश्वास रखते हैं। कहा जाता है कि यहाँ सच्चे मन से माँगी हर मुराद पूरी होती है। एक लोककथा के अनुसार, यहाँ एक गरीब किसान ने माता से धन माँगा, और अगले दिन उसे खेत में सोने का घड़ा मिला। कुछ लोग कहते हैं कि रात में माता यहाँ भक्तों से मिलने आती हैं। ये मान्यताएँ इस स्थान को चमत्कारों का केंद्र बनाती हैं और भक्तों का विश्वास बढ़ाती हैं।
11. मेरठ की संस्कृति और कंकालि शक्तिपीठ
Culture of Meerut and Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) मेरठ की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। यहाँ हर साल मेला लगता है, जहाँ गीत, नृत्य और भक्ति का संगम देखने को मिलता है। मंदिर के पास होने वाले उत्सव स्थानीय लोगों को एकजुट करते हैं। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक बार मेले में माता की मूर्ति से प्रकाश निकला था, जिसे चमत्कार माना गया। यह स्थान मेरठ की परंपराओं को जीवित रखता है और इसे सांस्कृतिक धरोहर बनाता है।
12. प्राचीन ग्रंथों में कंकालि शक्तिपीठ
Kankali Shakti peeth in Ancient Texts
कई प्राचीन ग्रंथों में शक्तिपीठों (Shaktipeeths) का उल्लेख है। देवी भागवत पुराण (Devi Bhagwat Purana) में 51 शक्तिपीठों की सूची दी गई है, और विद्वान मानते हैं कि कंकालि (Kankali Shakti peeth) भी इसमें शामिल है। कुछ स्थानीय ग्रंथों में मेरठ के इस मंदिर का जिक्र मिलता है। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक ऋषि ने माता की तपस्या की थी, जिसके बाद यह स्थान शक्तिपीठ बना। यह प्राचीनता इसे और भी खास बनाती है।
13. कंकालि शक्तिपीठ का भक्तों के लिए आकर्षण
Attraction of Kankali Shakti peeth for Devotees
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) भक्तों के लिए बड़ा आकर्षण है। नवरात्रि और अन्य त्योहारों पर यहाँ हजारों श्रद्धालु आते हैं। दूर-दूर से लोग माता सती के कुंडल से स्थापित देवी कंकालि और भैरव कपिलेश्वर के दर्शन के लिए पहुँचते हैं। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक भक्त की खोई हुई बेटी माता की कृपा से मिल गई थी। यहाँ का शांत और पवित्र माहौल हर किसी को भक्ति में डुबो देता है।
14. कंकालि शक्तिपीठ का प्राकृतिक सौंदर्य
Natural Beauty of Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) के आसपास का क्षेत्र हरा-भरा और शांत है। मंदिर के चारों ओर पेड़-पौधे इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं। कहते हैं कि यहाँ की हवा में माता की शक्ति महसूस होती है। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक बार सूखा पड़ा था, लेकिन माता की प्रार्थना से बारिश हुई। यह प्राकृतिक माहौल भक्तों को सुकून देता है और इसे खास बनाता है।
15. कंकालि शक्तिपीठ के चमत्कार
Miracles of Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) से कई चमत्कारी कहानियाँ जुड़ी हैं। कईयों भक्तों कि लाइलाज बीमारी यहाँ प्रार्थना से ठीक हो गई है। एक कथा में एक माँ को उसका खोया बच्चा माता की कृपा से मिला। कुछ लोग कहते हैं कि यहाँ मूर्ति से प्रकाश निकलता है। ये चमत्कार भक्तों का विश्वास बढ़ाते हैं और इसे पवित्र स्थल बनाते हैं।
16. आधुनिक युग में कंकालि शक्तिपीठ
Kankali Shakti peeth in Modern Era
आधुनिक समय में भी कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) की महत्ता बरकरार है। नई पीढ़ी भी यहाँ भक्ति के लिए आती है। तकनीक के युग में इसकी पुरानी परंपराएँ जीवित हैं। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक विदेशी यात्री ने माता के दर्शन के बाद शांति पाई। यह स्थान आज भी शक्ति साधकों और भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
18. अन्य शक्तिपीठों से कंकालि की तुलना
Comparison of Kankali with Other Shaktipeeths
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth) की तुलना कामाख्या (Kamakhya Shakti peeth) और ज्वालामुखी (Jwalamukhi Shakti peeth) से की जा सकती है। पर यहाँ की सादगी और शांति इसे अलग बनाती है। एक कथा के अनुसार, यहाँ माता ने एक भक्त को स्वप्न में दर्शन दिए, जो इसे अनोखा बनाता है। हर शक्तिपीठ की अपनी महिमा है, पर कंकालि देवी का अपना रंग है।
19. कंकालि शक्तिपीठ के संरक्षण की जरूरत
Need for Preservation of Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) को संरक्षित करना जरूरी है। समय के साथ इसके कुछ हिस्से खराब हो रहे हैं। सरकार और स्थानीय लोगों को इसे बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक बार मंदिर की मरम्मत के दौरान मूर्ति से रोशनी निकली थी। यह धरोहर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अनमोल है।
20. कंकालि शक्तिपीठ की महिमा
Kankali Shaktipeeth
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shakti peeth Meerut) मेरठ का अनमोल रत्न है। यह माता सती और भैरव कपिलेश्वर की शक्ति का प्रतीक है। यहाँ की पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक महत्व और चमत्कार इसे खास बनाते हैं। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक भक्त को माता ने स्वयं आशीर्वाद दिया था। यह स्थान भारत की धार्मिक धरोहर का हिस्सा है और हर भक्त के लिए आस्था का केंद्र है।
प्रेम से कमेंट बॉक्स में लिखिए जय मां कंकालि देवी। अद्भुत रहस्यमयी जानकारी अच्छी लगी हो तो माता के सम्मान में शेयर जरूर करें। मां कामाख्या देवी के आशीर्वाद से लिखी गयी हमारी शक्तिपीठ लेखनी जगत कल्याण के लिए सहायक सिद्ध होगीं।
20. कंकालि शक्तिपीठ यात्रा का महत्व
Significance of Kankali Shakti peeth Pilgrimage
कंकालि शक्तिपीठ (Kankali Shaktipeeth Meerut) की यात्रा आत्मिक शांति देती है। भक्त कहते हैं कि यहाँ आकर उन्हें नई ऊर्जा मिलती है। मंदिर का माहौल ध्यान और प्रार्थना के लिए उपयुक्त है। एक कथा के अनुसार, यहाँ एक साधु ने माता की भक्ति से मोक्ष प्राप्त किया। यह यात्रा हर भक्त के लिए खास अनुभव होती है।
21. कंकालि शक्तिपीठ कैसे पहुँचें?
Kankali Shakti peeth
कंकालि शक्तिपीठ, Kankali Shakti peeth मेरठ (उत्तर प्रदेश) में स्थित है और यहाँ सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। मेरठ दिल्ली से लगभग 70 किमी दूर है, जिससे यहाँ सड़क मार्ग से बसों, टैक्सियों और निजी वाहनों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन मेरठ सिटी और मेरठ कैंट हैं, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं। यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं, तो निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) है, जो लगभग 90 किमी दूर है। वहाँ से आप टैक्सी या ट्रेन द्वारा मेरठ पहुँच सकते हैं और फिर स्थानीय परिवहन से कंकालि शक्तिपीठ आ सकते हैं।






Anuragini Yakshini Sadhana अनुरागिनी यक्षिणी साधना: प्रेम, सम्मोहन और आत्मीयता की सिद्ध तांत्रिक विद्या 1 WONDERFUL

संस्था की आड़ में अवैध वसूली और ठगी: सुजीत मोदी सहित कई सहयोगियों पर गंभीर आरोप

लोना चमारी और सिद्धेश्वर अघोरी: तांत्रिक सिद्धियां और तंत्र युद्ध की 1 Wonderful अमर गाथा

Yakshini sadhna सबसे सरल और प्रभावशाली कामोत्तेजक यक्षिणी साधना विधि 1 Wonderful

लोना चमारी की पुस्तक: तंत्र-मंत्र की गुप्त साधना और रहस्यमयी विधि-विधान 1 Wonderful आह्वान

Story of Maharishi Dadhichi: महर्षि दधीचि पुत्र पिप्पलाद ऋषि की कथा 1 Wonderful

संस्था के नाम पर अवैध वसूली और ठगी का धंधा: सुजीत मोदी और सहयोगियों के खिलाफ गंभीर आरोप

Sex Education यौन शिक्षा की भारत में आवश्यकता, चुनौतियां और समाधान या 1 Opposition

Friendship in hindi – क्या पुरुष और महिला के बीच शुद्ध मित्रता संभव है, या यह हमेशा आकर्षण, प्रेम, या शारीरिक इच्छा से प्रभावित होती है? Wonderful 9 तथ्य
