पृथ्वीराज चौहान, वसंत पंचमी पर क्या है? पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

Amit Srivastav

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पृथ्वीराज चौहान, वसंत पंचमी पर क्या है? पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

वसंत पंचमी का दिन सनातन धर्म में पृथ्वीराज चौहान को लेकर बहुत बड़ा महत्व रखता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा अनुष्ठान सार्वजनिक रूप से मुर्तियां रखकर वसंतोत्सव मनाया जाता है। यह दिन बहुत बड़ा ऐतिहासिक भी है, किन्तु सार्वजनिक जानकारी किसी-किसी को ही है। क्या है ऐतिहासिक महत्व ?

पृथ्वीराज चौहान, वसंत पंचमी पर क्या है? पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

वसंत पंचमी पर-पृथ्वीराज चौहान का ऐतिहासिक इतिहास –

आज वसंत पंचमी के दिन का छुपे ऐतिहासिक इतिहास को उजागर कर रहा हूं। अंत तक पढ़िए सनातन धर्म के बीर सपूत पृथ्वीराज चौहान कि वीरता से जुड़ी हुई है। अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शौर्य व बलिदान को वसंतोत्सव के दिन शहीद व बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाना चाहिए। पृथ्वीराज तृतीय जिन्हें पृथ्वीराज चौहान और राय पिथौरा कहा जाता है। वे क्षत्रिय चौहान वंश से राजा थे। इनका जन्म 1166 ईस्वी में वर्तमान के गुजरात में हुआ था। इन्होने 26 वर्ष तक जीवन वीरतापूर्वक व्यतीत किया। बचपन से ही होनहार थे, 16 वर्ष की उम्र में राज्य का बागडोर सम्भाल राजा बने। इनकी तेरह रानियाँ थीं जिसमें संयोगिता सबसे अधिक रूपवती थी, जिसे तिलोत्तमा, संयुक्ता, क्रान्तिमती इत्यादि नामों से जाना जाता है। 1192 ईस्वी में वसंत पंचमी के दिन अपने मित्र के साथ वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिम भारत में शासन किया। पृथ्वीराज चौहान का राज्य वर्तमान के राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, कुछ उत्तर प्रदेश के हिस्से को कभर किए हुए था। वसंत पंचमी के दिन हिन्दू बीर सपूत पृथ्वीराज चौहान अपने एक ही शब्द भेदी वाण से सुल्तान गयासुद्दीन गौरी को मृत्यु के घाट उतार दिया था।

पृथ्वीराज चौहान, वसंत पंचमी पर क्या है? पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

वसंत पंचमी वसंतोत्सव हमें हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बीर गाथा, आत्म बलिदान की याद दिलाती है। विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को हम्मीर महाकाव्य के अनुसार 7 बार पृथ्वीराज प्रबंध के अनुसार 8 बार, पृथ्वीराज रासो के अनुसार 21 बार और प्रबंध चिंतामणी के अनुसार 23 बार पराजित कर अपनी उदारता दिखा जीवन दान दिया। इतिहासकारों के अनुसार मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को 16 वें बार में आंक कर 17 वे बार बहुत बड़ी सेना के साथ आक्रमण किया। 17 वें बार के आक्रमण में पृथ्वीराज चौहान पराजित हो गये। तब मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज को बंदी बना अफगानिस्तान अपने भाई सुल्तान गयासुद्दीन के सामने पेश करने ले गया। गयासुद्दीन पृथ्वीराज चौहान को अपने सामने झूकने को कहा लेकिन पृथ्वीराज चौहान झूकना तो दूर अपनी आंखों की पलकें भी नही झूकने दिया। इस पर गयासुद्दीन गौरी सम्राट पृथ्वीराज चौहान कि दोनों आंखें फोड़ने का हुक्म दे फोड़वा दिया। पृथ्वीराज चौहान को अंधा बना वर्तमान के पाकिस्तान स्थित अफगानिस्तान के हेरात के निकट देहाक जेल में बंद कर दिया। पृथ्वीराज चौहान दस बर्षों तक देहाक की जेल में बंद थे। पृथ्वीराज का मित्र चंन्दबरदाई ढूँढ़ते-ढूँढते अफगानिस्तान के देहाक पहुंच सुल्तान गयासुद्दीन गौरी व छोटे भाई मोहम्मद गौरी को अपने जाल में फंसा कर कहा, आपके जेल में बंद एक कैदी शब्द भेदी वाण चलाने की कला जानता है, सम्राट उसके कला का प्रदर्शन देखिए आप हैरत में पड़ जायेगें। गयासुद्दीन गौरी पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड देने से पहले उनके शब्द भेदी वाण की कला का प्रदर्शन देखने के लिए तैयार हो गया। हिन्दू सम्राट बीर सपूत पृथ्वीराज का मित्र कवि चंन्दबरदाई के सलाह पर गयासुद्दीन गौरी एक ऊंचे स्थान पर जाकर घंटे पर चोट मार शाब्बास लफ्ज़ का उद्घोष कर संकेत दिया। तभी चंन्दबरदाई ने अपने कवि भाषा में पृथ्वीराज को संदेश दिया। Click on the link गूगल ब्लाग पर अपनी पसंदीदा लेख पढ़ने के लिए यहां ब्लू लाइन पर क्लिक किजिये।

चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान।।

पृथ्वीराज चौहान, वसंत पंचमी पर क्या है? पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने जीवन दान देने वाली पिछली गलतियों को दोहराए बगैर इस बार उदारता नही दिखाई। घंटे पर चोट कि आवाज़ और मित्र चंन्दबरदाई के संकेत से अनुमान लगा वाण साधा, वो एक ही वाण गयासुद्दीन गौरी के सीने में जा लगा। जिससे गयासुद्दीन की वहीं मृत्यु हो गई। दुश्मनों के हाथ मारे जाने से पहले ही पृथ्वीराज चौहान मित्र चंन्दबरदाई एक दूसरे को छुरा भोंककर आत्मबलिदान दे दिया। और इधर आत्मबलिदान की सूचना पाकर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी संयुक्ता उर्फ संयोगिता ने मुहम्मद गौरी से बचने के लिए सभी रानियों सहित अजमेर के किले में जौहर कर सती हुईं। राजकुमारी संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान कि प्रेम कहानी- पृथ्वीराज रासो, में लिखीं गयी है। गयासुद्दीन गौरी की कब्र उसी देहाक के जेल में बनाई गई, वहीं उसके पैरों की तरफ़ हिन्दू बीर सपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान व उसके मित्र चंन्दबरदाई को दफना मृत्यु स्मारक बनाया गया है। जिस पर अफगानिस्तानी आज भी जूता मारकर गयासुद्दीन गौरी की कब्र पर फूल चादर अर्पित करते हैं। गयासुद्दीन गौरी की कब्र पर – शहीद वो गाजी सहित 1203 ईस्वी लिखा हुआ है। शहीद वो गाजी का अर्थ हिन्दू काफ़िर द्वारा मारा गया, पंजाब के अफगानिस्तानीयों द्वारा बताया जाता है। शहीद वो गाजी इसलिए लिखा गया है कि अपने जीवन काल में गौरी गैर मुस्लिमों को मारा था। हमारे इतिहास में मलेक्षो से उत्पन्न वंशजों ने या उसके अनुयायियों ने इसे खुलकर नही लिखा। गयासुद्दीन गौरी मुहम्मद गौरी का बड़ा भाई था। मुहम्मद गौरी गयासुद्दीन गौरी का सेनानायक था। इससे स्पष्ट है सुल्तान मुहम्मद महमूद गौरी नही गयासुद्दीन गौरी था। गयासुद्दीन की मृत्यु हिन्दू सम्राट बीर सपूत पृथ्वीराज चौहान के हाथों शब्द भेदी वाण से वसंत पंचमी के दिन 1192 ईस्वी में हुई। और वहीं अपने कवि मित्र चंन्दबरदाई के हाथ पृथ्वीराज व पृथ्वीराज के हाथ चंन्दबरदाई ने एक दूसरे को छुड़ा भोंक आत्मबलिदान दिए थे। इतिहास में इतिहासकारों ने पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु गौरी के हाथों तराइन की दूसरी लड़ाई में बताया है जो संदेहास्पद है। 15 मार्च 1206 में बीर योद्धा रामलाल खोखर ने मुहम्मद गौरी का सिर काट मृत्युदंड दिया था।

यहां क्लिक किजिये जानिए वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त पूजा पाठ विधि विधान। इस प्रकार वसंत पंचमी का त्योहार सनातन धर्म में इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए बहुत बड़ा महत्व रखता है।

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