आंख: सबसे बड़ा शिकारी

Amit Srivastav

यह लेख वास्तव में समाज में फैली एक गंभीर समस्या को उजागर करता है। इसमें एक स्पष्ट और सटीक संदेश दिया गया है कि पुरुषों को अपनी सोच और दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं के प्रति उनके व्यवहार में सुधार हो सके।
तेरी आंखें मेरी आंखें देख तमाशा दो आंखों का।
तेरी मिनरल वाटर देखा यह लेख लिखा आंखों का।।
लेख में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया है कि कैसे पुरुषों की निगाहें और उनका दृष्टिकोण महिलाओं के प्रति समाज में उनकी स्थिति को प्रभावित करता है। औरत या मर्द की आंखें सबसे बड़ा शिकारी होती है। शेर, चीता और बाज तो एक कहावत है, लेकिन सच में, मर्द व औरत अपनी आंखों से, शिकार को एक झटके में घायल कर सकता है। मर्दो की शिकार होती है – खूबसूरत युवतियां व महिलाएं। तो औरतों की शिकार होते हैं – हर जरूरत पूरी करने की उम्मीद के पुरुष। पुरुष की आंखें वैसे तो हर आती-जाती स्त्रियों को एक नज़र जरुर निहार लेती है मौका मिला और नजरें मिलीं तो अपनी नशीली आंखों से प्यार का रंग औरत की रोम-रोम में भरने लगता है। बस औरत की आंखों से एक सिग्नल मिलने की देर होती है, औरत सिग्नल दे दी फिर तो प्यार की गाड़ी पटरी पर तेजी से दौड़ने लगती है, रफ्तार कितनी होगी और ठहराव कहाँ होगा यह दोनों की मनोभाव पर निर्भर हो जाता है। पढ़िए इस लेख में- आख: सबसे बड़ा शिकारी, शिर्षक भगवान चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव की प्रेम पथ में अग्रसर मार्गदर्शी कलम से….
पुरुष खूबसूरत महिला को तलाशते हैं। और औरत हर जरुरत पूरी करने लायक पुरुष को। फिर नज़रें मिलती हैं, पुरुष उसके खूबसूरत अंगों को अपनी आंखों से निहारते हैं अगर दोनों आखें मिल गई और महिला ने सिग्नल दे दिया तो प्रेम कि आंच से दोनों आंखों को सेकते हैं।
फिर पुरुष की तीसरी आंख उसके बॉम फिगर पर होती है, चौथी आंख उसके उभारों पर, पांचवी आंख कमर पर। फिर आंखों से ही वे महिलाओं के अंदर की सारी जानकारी लेते हैं, और अपनी आंखों से ही पुरुष महिला का सुखदायी प्रेम कम बलात्कार कर देता है।

आंख: सबसे बड़ा शिकारी होती हैं:

आंख: सबसे बड़ा शिकारी

आंखें न होतीं, तो कुछ भी न होता !
नज़रें न मिलती, न ये दिल तड़पता !!
हर स्त्री पुरुष के पास मनोविज्ञान का ज्ञान नही होता जो मन कि आंखों से दिल कि बातें पढ़ सके। फिर भी आंखें हर किसी कि कुछ न कुछ करामात करती ही रहती हैं। जो ज्ञानी होते हैं आखों के आकर्षण से अनायास ही किसी के प्रति आकर्षित भी नही होते अगर पुरुष से स्त्री या स्त्री से पुरुष को सिग्नल मिल भी रही है तो पहले भलीभांति परखते हैं। जब परख लेते हैं, फिर स्वीकार करते हैं और वो रिस्ते वास्तव में चलने वाले बन जाते हैं। अगर अपरिचित महिला की नजर पुरुष पर पड़ जाए, महिला से प्रेम का सिग्नल मिल जाए तो पुरुष इतना सीधा, सरल और मासूम बन कर मुस्कुराते हैं कि बेचारी महिला समझ भी नहीं पाती और नासमझ महिला धोखा खा जाती है।
यहीं से शुरू होता है बातचीत का सिलसिला। पुरुष अपनी तरफ से महिलाओं को भरोसा दिलाने का कोई कसर नहीं छोड़ते। तब होता है इस आधुनिक जमाने में फोन नंबर का आदान-प्रदान।
नादान औरत क्या जाने कि वे आंख टिकाए बैठे हैं!
वो औरत बातों में कैसे आएगी, वे बात बनाए बैठे हैं!!
आज हमारे देश में ना जाने रोज कितने कपड़े उतार दिए जाते हैं, यह बोलकर कि शादी मैं तुमसे ही करूंगा। बस एक बार तुम मुझपर भरोसा तो कर लो। मना मत करो। फिर सर्वस्व निछावर कर देने वाली महिला यह नही समझ पाती पुरुष सिर्फ अपनी हवश का शिकार बना आज नहीं तो कल किनारे कर देगा। क्यूँकि पुरुष किसी स्त्री का अंतिम प्रेम बनकर रहना ही नहीं चाहा, तभी तो आखों के सामने पडऩे वाली हर युवती या स्त्री को काम भाव से निहार लेता है, क्यूँ न पुरुष शादीशुदा ही हो। स्त्री कुवांरी हो या शादीशुदा जिसे भी चाहती उसके साथ अंत तक रहना चाहती मतलब स्त्री किसी पुरुष का अंतिम प्रेम बनना चाहती है। यह फर्क आज भी बहुत कम ही स्त्री पुरुष समझ पाते हैं। आंखों कि मिलन से एक दिन पुरुष के झांसे में आई स्त्री अपने भरोसे में सबकुछ गंवा बैठती है। उसे मिलता है तो सिर्फ धोखा, धोखा, और धोखा। प्राचीन काल से लेकर राजतंत्र में भी जैसे स्त्री को भोग का वस्तु समझा जाता था, जिसकी जब मर्जी भोग किया छोड़ दिया। वही स्थिति आज भी ज्यादातर औरतों के साथ होता है। लेकिन मन मार कर औरतें भी अपनी राह बदल लेती हैं, ताकि समाज में बात जाने के बाद बदनामी की डर बना रहता है। स्त्री दो राहों में कौन सी राह का चुनाव करेगी यह उसके मनोभाव पर निर्भर हो जाता है। अगर स्त्री अतीत को छोड़कर भविष्य में अपने घर परिवार व अपनी इज्जत का ध्यान रख अपने माता-पिता भाई-बहन परिवार के मुताबिक शादी-ब्याह के बंधन में बंध सामान्य जीवन व्यतीत करने की राह पर जाती है तो समाज में इज्जत आबरू सब बना रहता है। अगर उसी पुराने रास्ते पर आगे बढ़ जाती है तो सर्वस्व नाश हो सकता है।
वहीं पुरुष फिर से अपने दूसरे तीसरे शिकार पर निकल पड़ते हैं, वे कभी यह नहीं सोचते कि उन धोखा खाई महिला का क्या होगा?
कुछ तंग आकर, तंन की शोषित युवती या महिला रोकर, चिल्लाकर, टूटकर, वह धोखा खाकर एक दिन विस्फोटक बारूद की तरह बहुत ही खतरनाक बन जाती है। और समाज के लोग उसे नाम देते हैं – वैश्या, धोखेबाज, दगाबाज, और न जाने क्या-क्या? फिर एक दिन वह महिला अपने साथ कितने पुरुष, कितने घरों को, कितने बच्चों और कितनी महिलाओं को बर्बाद कर देती है। सिर्फ खुद को मिले धोखे की वजह से। वेश्यावृत्ति के पथ पर अग्रसर होकर।
तो बताइए, एक महिला को गलत बनने पर मजबूर किसने किया? पुरुष अगर चाहे तो कोई औरत गलत रास्ते पर जा ही नही सकती। इसके लिए पुरुष को अपने अंदर बदलाव लाना होगा।
पुरुष अगर अपनी आंखों से शिकार करना छोड़ दें। अपनी आंखों को सेकना छोड़ दें। हर औरत युवती को अपनी मां बहन की तरह समझें। शादी तो एक दिन होनी ही है। अपनी पत्नी को प्यार देना सीखें, उनकी इज्जत को समझें, दूसरी तीसरी के चक्कर में न पड़े। जो तन-मन अपनी औरत के पास है वही तन-मन गैर औरत के पास है तो गैर औरत पर नज़र डालना छोड़ दें। फिर औरत गलत राह पर जा ही नही पायेगी।
पुरुष बड़ी सफाई से कहते हैं और निकल जाते हैं कि आजकल सोशल मीडिया पर ही देख लीजिए। अपरिचित औरतें अपने नंगे वदन का प्रदर्शन कर आमंत्रित करती हैं। मै उनका निमंत्रण कैसे अस्वीकार कर अपनी पुरुषत्व को अपमानित करु। जैसे कि- राखी सावंत अपनी वर्थडे पार्टी में मीका सिंह को लडकियों के साथ डांस करने को कही, मीका सिंह मना कर दिया मै इन लड़कियों के साथ डांस नही करुंगा तब राखी ने नामर्द कह ललकारने का काम किया, तो क्या मीका सिंह ने सार्वजनिक पार्टी में ही रगड़ रगड़ का किस किया वो गलत था? आदि उदाहरण पुरुषों के पास मौजूद है। खैर इन बातों को छोड़कर सभ्य समाज का निर्माण किया जाए।
जो महिला अच्छे कॉन्टेंट अपलोड करती है, अच्छे वीडियो बनाती है, या अच्छा ज्ञान देती है, बदन को ढक कर सोशल मीडिया पर आती है, आपने गौर किया होगा उन्हें ज्यादा रिएक्शन नहीं मिलते। सपोर्ट नहीं मिलती। उनकी वीडियो को लोग देखना पसंद नहीं करते।
वहीं अगर कोई महिला अश्लील वीडियो बनाती है, गंदे वीडियो बनाती है, गलत विचार प्रकट करती है, छोटे-छोटे कपड़े पहन कर रील बनाती है, अपना बॉम फिगर दिखाती है, आजकल अमूल दूध, विलायती दूध बहुत दिखा रही हैं महिलाएं, मेरा पती मुझे प्रेग्नेंट नही कर पा रहा है, जो मुझे प्रेग्नेंट कर देगा इतना लाख दूंगी जो मांगोगे वो दूंगी। पूरी-पूरी रात दूंगी, मै यहां रहती हूं, एक रात का पांच सौ लेती हूं, जिसकी मर्जी आ जाओ। सौ रुपए दो नंगी बीडीओ काल पर आनलाईन सेक्स करो मेरे साथ, का आफर देने वाली सोशल मीडिया आईडी का लाईक कमेंट भरपूर होता है। वहाँ आप मर्दों को देखिए लाईक कमेंट करने की भरमार लगी रहती है।
कितने मजे से देखेंगे। उनकी वीडियो में रिएक्शन भी देंगे। शेयर भी करेंगे और कॉमेंट में महिला को समझाएंगे गलत वीडियो मत बनाओ अच्छे वीडियो बनाओ।
कितने पुरुष तो पंचायत बिठाकर कमेंट बॉक्स में नेतागिरी भी करने लगते हैं।
ऐसी वीडियो बंद होनी चाहिए। सरकार को सोशल मीडिया पर एक्शन लेना चाहिए।
यह समाज को खराब कर रही हैं, वगैरह वगैरह। और खुद बड़े मजे से देखते भी हैं।
आपके कहने से कुछ नहीं होगा ना ही सरकार इस पर सोचेगी। महिलाएं खुद समझ और जान गई हैं आपको क्या पसंद है? उसे गालियां भी देंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
जरूरत है कि आप खुद को बदलें। खुद की सोच को बदलें। अपनी आंखों को सेकना छोड़ें। जब तक आप उस तरह की पोस्ट – विलायती दूध, अमूल दूध और बॉम फिगर को देखना नहीं छोड़ेंगे, तब तक कुछ नहीं हो सकता।
जब भी आपको ऐसी पोस्ट मिले उसे इग्नोर करें और अपना कोई भी रिएक्शन, कमेंट ना दें। उनकी रिच, एंगेजमेंट खुद ब खुद डाउन होकर गिर जाएगी। जिससे हमारे समाज की महिलाएं, आने वाली बच्चियों का भविष्य, उनकी मर्यादा, उनकी इज्जत और देश की संस्कृति बची रहेगी।

आंख: सबसे बड़ा शिकारी

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आज सोशल मीडिया पर हर वर्ग के लोग हैं, देखने वाले सभी लोग जो अपनी आंखों को सोशल मीडिया पर सेकते हैं, अपनी आंखों को सुकून दिलाते हैं।
याद रखिए, अगर आप अब भी नहीं सुधरे, खुद को नहीं बदले तो आने वाला समय बहुत ही भयानक होने वाला है। फिर वो दिन दूर नहीं, जब आपकी बेटी, आपकी बहन, आपकी पत्नी, आपकी बहू भी सोशल मीडिया पर गंदा नाच करेगी, अपना अंग प्रदर्शन करेगी।
फिर आप बड़े मजे से उसे देखना और अपना रिएक्शन देते रहना। महिलाओं को हम आप खुद खराब बनाते हैं और हम आप ही उसे सही रास्ते पर ला सकते हैं। हमारी कोशिश बस यही है कि आप गलत चीजों को प्रमोट ना करें।
थोड़ा सपोर्ट उन्हें करें जो अच्छी चीजों को प्रमोट करते हैं। अच्छी वीडियो, अच्छी पोस्ट बनाते हैं।
ताकि सभी महिलाओं को संदेश मिले कि हमारे देश के लोग अच्छी पोस्ट, अच्छी वीडियो देखना पसंद करते हैं। आज हम लेखक भी गूगल सर्च कि रिपोर्ट को देखकर हैरान हैं। हम लोगों कि मार्गदर्शी लेखनी से ज्यादा सेक्सुअल कहानी लेखनी पढ़ने देखने वालों की संख्या ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। हम लेखकों का समय और दिमाग दोनों लगाना व्यर्थ तब लगता है जब दो पैसे की आमदनी अच्छे विचार देकर नही मिलती फिर मजबूर होकर कलम कि रुख थोड़ी बदलनी पड़ती है ताकि हम लेखकों को भी आप पढें साइड पर समय दें ताकि दो पैसे की आमदनी हो और भरण-पोषण के लिए अन्य रास्ता न देखना पडे। अगर अच्छे विचारों को पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा होती तो हम भगवान चित्रगुप्त वंशज कि कलम से वो मार्गदर्शी लेखनी प्राप्त होती जो दुर्लभ हैं। किंतु गूगल पर पाठकों कि सर्च को ध्यान में रखते हुए अपनी आमदनी के लिए कुछ उन लोगों के लायक भी लिखता हूँ जिसके पाठक ज्यादा हैं। अंत में आते हैं मुल मुद्दे के चंद शब्दों पर।
पुरुष अपनी आंखों को शिकारी बनाना, आंखों को सेकना बंद करें। इस लेख पर विचार विमर्श करें अपने मे बदलाव लायें अच्छा लगे तो आगे शेयर करें ताकि लेखनी सार्थक हो सके।

click on the link जानिए अपने पूर्वजों की उत्पत्ति कौन किसके वंशज भाग एक से चार तक में मौजूद आप हम सबके पूर्वज। यहां क्लिक कर पढ़िए भाग एक क्रमशः पढ़ते रहिए शेयर करते रहिए दुर्लभ और सत्य लेखनी।

आंख: सबसे बड़ा शिकारी लेखनी का निष्कर्ष:

यह लेख समाज में एक गंभीर समस्या को उजागर करता है और पुरुषों को उनकी सोच और दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता पर जोर देता है। लेख के अनुसार, पुरुषों की निगाहें और उनका दृष्टिकोण महिलाओं के प्रति समाज में उनकी स्थिति को प्रभावित करते हैं। इसमें यह बताया गया है कि कैसे पुरुष अपनी आंखों के माध्यम से महिलाओं को शिकार बनाते हैं और कैसे यह समाज में महिलाओं के लिए नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करता है।
लेख में पुरुषों को अपनी आंखों को ‘शिकारी’ बनाना बंद करने और महिलाओं को सम्मान देने की सलाह दी गई है। यह भी बताया गया है कि अगर पुरुष अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाते हैं तो समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सकता है।
लेख में एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है और हमें सोशल मीडिया पर गलत और अश्लील सामग्री को प्रमोट नहीं करना चाहिए। हमें उन महिलाओं का समर्थन करना चाहिए जो अच्छे और सकारात्मक सामग्री बनाती हैं ताकि समाज में एक अच्छा संदेश जाए।
लेख का मुख्य उद्देश्य पुरुषों को उनकी सोच और दृष्टिकोण में बदलाव लाने की प्रेरणा देना है ताकि वे महिलाओं के प्रति अधिक सम्मानजनक और सकारात्मक व्यवहार अपना सकें।
लेख आपको कैसी लगी, अपने अनमोल विचार कॉमेंट में लिखें।

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